अयोध्या: भगवान राम के जन्मस्थान पर राम मंदिर निर्माण की शुरुआत होने जा रही है. बहुप्रतीक्षित राम मंदिर 500 वर्षों के लंबे संघर्षों का परिणाम है. राम नगरी में भगवान राम के जन्मस्थान पर 5 अगस्त को भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. इसके साथ श्रीराम जन्मभूमि न्यास की राम मंदिर कार्यशाला का उद्देश्य सफल होगा. इसके साथ पूरा हो जाएगा 30 वर्षों से राम मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा में अपने जीवन का तीन दशक बिताने वाले एक कारसेवक अन्नू भाई सोमपुरा का सपना.
कार्यशाला के सुपरवाइजर हैं अन्नू भाई
कारसेवक पुरम से कुछ दूर पर श्रीराम जन्मभूमि न्यास द्वारा स्थापित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यशाला है. यह कार्यशाला वर्ष 1992 में स्थापित की गई थी. तब से भगवान राम के जन्मस्थान पर बनने वाले राम मंदिर के लिए यहां पत्थरों के तराशने का काम होता रहा. अयोध्या में यह कार्यशाला भी किसी मंदिर से कम नहीं है. देश के कोने-कोने से रामलला का दर्शन करने आने वाले हजारों श्रद्धालु कार्यशाला में पत्थरों को देखने आया करते हैं. 80 वर्ष के अन्नू भाई सोमपुरा इस कार्यशाला के सुपरवाइजर हैं. वे अयोध्या आने से पहले ठेके पर मंदिर बनाने का काम किया करते थे.
गुजरात से अयोध्या आए अन्नू भाई सोमपुरा
50 वर्ष की उम्र में अन्नू भाई सोमपुरा अयोध्या आए. साल 1990 में राम मंदिर का मैप तैयार करने का काम मिलने के बाद आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोनपुरा ने पुराने पत्थरों को तराशने के कार्य की जिम्मेदारी के लिए अन्नू भाई सोमपुरा को चुना. अन्नू भाई सोमपुरा ने अपने इस कार्य में अपने दामाद को भी लगाया था, लेकिन वर्ष 2019 में कार्यशाला में काम करते-करते उनकी मौत हो गई. अन्नू भाई सोमपुरा की बेटी की एक बेटी है. अब इस परिवार की जिम्मेदारी भी अन्नू भाई के ऊपर ही है.
कार्यशाला में अब तक 2 की मौत
30 वर्षों से स्थापित राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में दो कारीगरों की मौत हो चुकी है. हालांकि इसे नेचुरल डेथ बताया गया है. पहली मौत 2001 में हुई थी, जबकि दूसरी 2019 में हुई. लगातार पत्थरों की घिसाई और उस पर कलाकृतियां भरने का काम करने के दौरान डस्ट उड़ती है. ऐसे में श्रमिकों को सिलिकोसिस टीवी और फेफड़े की अन्य बीमारी होने की संभावना रहती है.
अधिक पत्थरों की आवश्यकता
अन्नू भाई सोमपुरा का कहना है कि राम मंदिर कार्यशाला में एक मंजिल के पत्थर का काम पूरा हो गया है. दूसरी मंजिल के लिए काम किया जा रहा था. राम मंदिर निर्माण शुरू हो होने के बाद पत्थरों को तराशने का काम जारी रहेगा. मंदिर के मॉडल में परिवर्तन करने के साथ और अधिक पत्थरों की आवश्यकता होगी. ट्रस्ट के निर्देश पर इसकी व्यवस्था की जा रही है. पहले पौने दो लाख घन फिट पत्थरों की आवश्यकता थी, लेकिन मॉडल में परिवर्तन होने के बाद अब तीन लाख घन फिट पत्थरों की आवश्यकता होगी. जितने पत्थरों की आवश्यकता पड़ेगी सब राजस्थान से आएंगे.
चलती रही कार्यशाला
अन्नू भाई सोमपुरा का कहना है कि कार्यशाला का कार्य बराबर चलता रहा. कार्यशाला में पत्थरों को तराशने के लिए राजस्थान, गुजरात और मिर्जापुर से कारीगरों बुलाया गया. शुरुआत में 40 से 50 कारीगर रखे गए थे. बाद में काम तेज होने पर कार्यशाला में करीब 150 कारीगर एक साथ काम करते थे.
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की तैयारी पूरी होने के साथ ही राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे पत्थरों को साफ किया जा रहा है. इस कार्य को दिल्ली की केएलए कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा संपन्न किया जा रहा है. पूरे अयोध्या में 4 और 5 अगस्त को दीपोत्सव मनाने की तैयारी है. अयोध्या और फैजाबाद के सभी प्रमुख स्थलों, मठ-मंदिरों में समाजसेवियों के सहयोग से डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय 3 लाख दीये जलाने की योजना बना रहा है. 500 वर्षों के संघर्ष के बाद बहुप्रतीक्षित राम मंदिर भूमिपूजन के दिन एक भव्य उत्सव का नजारा अयोध्या में देखने को मिलेगा.