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अयोध्या में अब इनका भी बनेगा मंदिर, धर्माचार्यों ने मॉडल को दी स्वीकृति

भगवान श्रीराम के पिता और चक्रवर्ती महाराज दशरथ का अयोध्या के विकास एवं रक्षा में प्रमुख योगदान है. इसके बाद भी उनका स्वतंत्र मंदिर अयोध्या में नहीं है. चक्रवर्ती महाराजा दशरथ के गौरवपूर्ण योगदान को देखते हुए उनकी गरिमा के अनुरूप भव्य मंदिर बनाने का मॉडल धर्म आचार्यों के सम्मुख प्रस्तुत किया गया.

मंदिर का मॉडल देखते संत.
मंदिर का मॉडल देखते संत.
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Published : Nov 23, 2020, 7:44 PM IST

अयोध्याः भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में उनके पिता चक्रवर्ती राजा दशरथ का भव्य मंदिर बनेगा. यह निर्णय बिंदु भाव धारा की आचार्य पीठ दशरथ महल के महंत विंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने लिया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय राजा दशरथ को उनकी गरिमा के अनुरूप ख्याति दिलाने के लिए लिया गया है.

दशरथ मंदिर का मॉडल प्रस्तुत किया गया
सोमवार को अक्षय नवमी पर्व पर दशरथ महल के जगमोहन में राम नगरी के विशेष धर्माचार्यों की मौजूदगी में दशरथ मंदिर का मॉडल प्रस्तुत किया गया. इसको धर्म आचार्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की.

महन्तों का हुआ स्वागत
इस अवसर पर मंदिर में भव्य गायन-वादन का दौर भी चला. दशरथ महल के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य ने दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, जगतगुरु रामानुजाचार्य डॉक्टर राघवाचार्य, रंगमहल के महंत रामशरण दास, जानकी घाट बड़ा स्थान के महंत जन्मेजय शरण, अयोध्या सन्त समिति के अध्यक्ष और सनकादिक आश्रम के महंत कन्हैया दास रामायणी, तीर्थ पुरोहित समिति के महामंत्री नंदकिशोर मिश्रा पेड़ा महाराज, जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश महाराज हनुमानगढ़ी के वरिष्ठ नागातीत हरिदास, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश कुमार दास आदि का स्वागत किया गया.


राजा दशरथ का स्वतंत्र मंदिर अयोध्या में नहीं
महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य ने कहा कि भगवान श्रीराम के पिता और चक्रवर्ती महाराज दशरथ का अयोध्या के विकास एवं रक्षा में प्रमुख योगदान है. इसके बाद भी उनका स्वतंत्र मंदिर अयोध्या में नहीं है. चक्रवर्ती महाराजा दशरथ के गौरवपूर्ण योगदान को देखते हुए उनकी गरिमा के अनुरूप भव्य मंदिर बनाने का मॉडल धर्म आचार्यों के सम्मुख प्रस्तुत किया गया. इसे धर्माचार्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान कर दी.

यहां किया जाएगा निर्माण
महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि महाराजा दशरथ के महल के परिसर में ही दशरथजी का भव्य मंदिर बनाया जाएगा. इसके लिए नींव के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया गया है. आगे का कार्य स्वीकृत मॉडल के अनुसार कराया जाएगा. उन्होंने विश्वास जताया किया कार्य एक से डेढ़ वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा. इस अवसर पर मंदिर के जगमोहन में भजन, गायन का दौर चला.

अयोध्याः भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में उनके पिता चक्रवर्ती राजा दशरथ का भव्य मंदिर बनेगा. यह निर्णय बिंदु भाव धारा की आचार्य पीठ दशरथ महल के महंत विंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने लिया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय राजा दशरथ को उनकी गरिमा के अनुरूप ख्याति दिलाने के लिए लिया गया है.

दशरथ मंदिर का मॉडल प्रस्तुत किया गया
सोमवार को अक्षय नवमी पर्व पर दशरथ महल के जगमोहन में राम नगरी के विशेष धर्माचार्यों की मौजूदगी में दशरथ मंदिर का मॉडल प्रस्तुत किया गया. इसको धर्म आचार्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की.

महन्तों का हुआ स्वागत
इस अवसर पर मंदिर में भव्य गायन-वादन का दौर भी चला. दशरथ महल के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य ने दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, जगतगुरु रामानुजाचार्य डॉक्टर राघवाचार्य, रंगमहल के महंत रामशरण दास, जानकी घाट बड़ा स्थान के महंत जन्मेजय शरण, अयोध्या सन्त समिति के अध्यक्ष और सनकादिक आश्रम के महंत कन्हैया दास रामायणी, तीर्थ पुरोहित समिति के महामंत्री नंदकिशोर मिश्रा पेड़ा महाराज, जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश महाराज हनुमानगढ़ी के वरिष्ठ नागातीत हरिदास, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश कुमार दास आदि का स्वागत किया गया.


राजा दशरथ का स्वतंत्र मंदिर अयोध्या में नहीं
महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य ने कहा कि भगवान श्रीराम के पिता और चक्रवर्ती महाराज दशरथ का अयोध्या के विकास एवं रक्षा में प्रमुख योगदान है. इसके बाद भी उनका स्वतंत्र मंदिर अयोध्या में नहीं है. चक्रवर्ती महाराजा दशरथ के गौरवपूर्ण योगदान को देखते हुए उनकी गरिमा के अनुरूप भव्य मंदिर बनाने का मॉडल धर्म आचार्यों के सम्मुख प्रस्तुत किया गया. इसे धर्माचार्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान कर दी.

यहां किया जाएगा निर्माण
महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि महाराजा दशरथ के महल के परिसर में ही दशरथजी का भव्य मंदिर बनाया जाएगा. इसके लिए नींव के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया गया है. आगे का कार्य स्वीकृत मॉडल के अनुसार कराया जाएगा. उन्होंने विश्वास जताया किया कार्य एक से डेढ़ वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा. इस अवसर पर मंदिर के जगमोहन में भजन, गायन का दौर चला.

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