अयोध्या: जिले में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत गुरुवार को 59 जोड़े ने नए जीवन की शुरुआत की. लेकिन कार्यक्रम में मौजूद तमाम लोगों में इस बात की भी चर्चा रही कि हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार खरमास माह में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. ऐसे में 59 जोड़ों में से 55 हिंदू जोड़ों का खरमास माह में विवाह क्यों कराया गया.
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आजीवन साथ निभाने का वादा
गुरुवार को मसौधा ब्लॉक पर प्रदेश सरकार की योजना के तहत सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सामूहिक विवाह कार्यक्रम में कुल 59 जोड़ों ने नए जीवन की शुरुआत की. विवाह कार्यक्रम में 4 मुस्लिम समाज के जोड़े ने निकाह के जरिए नए जीवन की शुरुआत की. जबकि 55 हिंदू समुदाय के दूल्हा-दुल्हन ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच एक दूसरे का आजीवन साथ निभाने का वादा लिया.
सरकारी खर्च पर बेटियों के हाथ हुए पीले
बेटियों के हाथ पीले करने की विशेष योजना के तहत गुरुवार को अयोध्या में भी सरकारी खर्च पर सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विवाह कार्यक्रम में सभी जोड़ों को गैस सिलेंडर, बिछिया, मोबाइल, बर्तन और जरूरत के अन्य घरेलू सामान के साथ सभी के खाते में 35 हजार रुपये नकद भी दिया गया.
सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान मौजूद फैजाबाद भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजन का मकसद उन गरीब परिवार के बेटियों की शादियां कराना हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे परिवारों की मदद करने के लिए प्रदेश सरकार की सामूहिक विवाह योजना के तहत बेटियों की शादी संपन्न कराई गई हैं.
खरमास में शादी करना बना चर्चा का विषय
सामूहिक विवाह कार्यक्रम में भले ही 59 जोड़ों ने जीवन की शुरुआत की. लेकिन कार्यक्रम में मौजूद तमाम लोगों में चर्चा रही कि हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार खरमास माह में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. ऐसे में 59 जोड़े में से 55 हिंदू जोड़े का खरमास माह में विवाह क्यों कराया गया. परिवारों की आपसी रजामंदी के चलते हंसी खुशी के माहौल में विवाह कर नए जीवन की शुरुआत किए.