अयोध्या : 6 दिसंबर यानी आज बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Demolition) की 29वीं बरसी है. इसके मद्देनजर अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं. हालांकि धार्मिक नगरी में विवादित ढांचे के विध्वंस की 29वीं बरसी पर शहर शांत दिखा. लेकिन, पूर्व वर्षों की भांति ही सुरक्षा के व्यापक इंतजाम रहे. अयोध्या शहर में प्रवेश के सभी मार्गों पर पूर्व के दिनों की अपेक्षा अधिक की संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं. आने-जाने वाले सभी व्यक्ति की चेकिंग कर रहे हैं और उनका आधार कार्ड देख रहे हैं. वहीं, शहर में प्रवेश करने के बाद अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में श्रीराम जन्मभूमि, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, नागेश्वरनाथ सहित प्रमुख दर्शनीय स्थलों पर पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई है. इसके अतिरिक्त सादे वर्दी में भी पुलिस कर्मी अयोध्या की सुरक्षा में तैनात हैं.
29 वर्ष बाद भी लोगों के जेहन में ताजा हैं यादें
धार्मिक नगरी के मुख्य प्रवेश मार्ग उदया चौराहे पर बैरियर लगाकर आने-जाने वाले वाहनों की सघन तलाशी ली जा रही है. इसके अतिरिक्त रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर भी चौकसी बढ़ा दी गई है. बीते दिनों अयोध्या को बम से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद अयोध्या में सतर्कता बढ़ाई गई है. सीओ अयोध्या राम कृष्ण चतुर्वेदी ने बताया कि अयोध्या में पूरी तरह से शांति है. किसी भी तरह के किसी आयोजन की कोई जानकारी नहीं है. गोपनीय विभाग की नजर अयोध्या पर बनी हुई है. वर्ष 2019 के बाद से किसी भी तरह का कोई आयोजन दोनों समुदाय के लोग नहीं कर रहे हैं. सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है. इसके साथ हम इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि अयोध्या वासियों को किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो.
'मुस्लिम समुदाय अब नहीं मनाता काला दिवस'
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या पहुंचे लाखों कारसेवकों ने विवादित ढांचे के ऊपर चढ़कर उसे ध्वस्त कर दिया था. यह घटना जिस वक्त हुई, उस वक्त अयोध्या से जो सांप्रदायिक दंगे शुरू हुए, उसकी आग पूरे देश में फैल गई. इस प्रकरण को लेकर पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे हुए थे और काफी तादाद में लोगों की मौत भी हुई थी. इस घटना को हुए 29 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन उसकी यादें आज भी अयोध्या वासियों के जेहन में जिंदा है.
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सन 1992 से लेकर वर्ष 2018 तक दोनों ही समुदाय के लोग शौर्य दिवस और काला दिवस के रूप में इस दिन को मनाते रहे हैं. लेकिन 9 नवंबर 2019 को देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा विवादित स्थल को श्रीराम जन्मभूमि स्वीकार करते हुए पूरी जमीन को रामलीला को सौंपने के बाद, अब यहां सभी आयोजन बंद हो चुके हैं. हालांकि हिंदू समुदाय आज भी 6 दिसंबर को शौर्य दिवस और विजय दिवस के रूप में मनाता है.
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