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राम जन्मभूमि परिसर में 250 वर्ष से अधिक पुराने मंदिर होंगे ध्वस्त

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर परिसर में 250 वर्ष से पहले के जर्जर हुए प्राचीन मंदिरों को हटाया जाएगा. कंपनी के इंजीनियर्स ने राम मंदिर के लिए नींव की खुदाई से पहले की तैयारी पूरी कर ली है.

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Published : Aug 28, 2020, 9:18 AM IST

Updated : Aug 28, 2020, 10:03 AM IST

राम जन्मभूमि परिसर
राम जन्मभूमि परिसर

अयोध्या: राम मंदिर की नींव खुदाई से पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर परिसर में पुराने निर्माण को हटाने की तैयारी में है. राम जन्मभूमि परिसर में कई प्राचीन मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं. ऐसे मंदिरों में श्रद्धालुओं का दर्शन प्रतिबंधित है. अब ट्रस्ट ने ऐसे मंदिरों को हटाने का निर्णय लिया है. रामजन्म परिसर में हटाए जाने वाले मंदिरों में 250 साल पुराना सीता रसोई भी शामिल है.

भगवान राम के जन्म स्थान पर राम मंदिर निर्माण कार्य लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को सौंपा गया है. कंपनी के इंजीनियर्स ने मंदिर की नींव की खुदाई से पहले की तैयारी पूरी कर ली है. अयोध्या विकास प्राधिकरण से राम मंदिर निर्माण को लेकर एनओसी प्राप्त होते ही राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर की नींव की खुदाई का कार्य होना है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा है कि मंदिर निर्माण में बड़ी-बड़ी मशीनों को लगाया जाएगा. मशीनों के मूवमेंट में बाधक बनने वाले पुराने जीर्ण-क्षीर्ण मंदिरों को हटाया जाना है.

जानकारी देते चंपत राय, महासचिव, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट

इन पुराने मंदिरों को कराया जाएगा ध्वस्त
जिनको हटाया जाना है उनमें 250 साल पुराना सीता रसोई भी शामिल है. यह मंदिर पुराना होने के चलते खंडहर हो चुका है. इसके साथ कोहबर भवन, आनंद भवन और राम खजाना जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं. लिहाजा इन्हें हटाया जाएगा. इसके साथ मानस भवन का भी एक विंग निर्माण कार्य के दौरान हटाया जाएगा, यहां एक गेट बनाया जाना है. 5 एकड़ में बनने वाले राम मंदिर के विस्तार क्षेत्र में अभी तक सीता रसोई मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर और जन्म स्थान मंदिर के साथ मानस भवन का आधा हिस्सा आ रहा है, जिसे अब खाली करवाया जाएगा.
रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो सीता रसोई और जन्म स्थान मंदिर में से मूर्तियां हटा ली गई हैं. इनमें रखा सामान भी हटा लिया गया है. दरवाजे और खिड़कियां, बिजली की वायरिंग, पंखे, वॉटर पाइप लाइन आदि को हटाया जा रहा है. ट्रस्ट इन प्राचीन मंदिर से मिल रही दुर्लभ वस्तुओं को बेहद कीमती मान रहा है. जर्जर इमारतों से सारा सामान हटाने के बाद इसके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की जाएगी. पहले चरण में केवल उन्हीं मंदिरों और भवनों का ध्वस्तीकरण किया जाएगा जो राम मंदिर के विस्तार क्षेत्र में आ रहें हैं. श्री राम जन्मभूमि परिसर के अंदर निर्माण कार्य की जद में 13 मंदिर आ सकते हैं.
1992 में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद 70 एकड़ के अधिग्रहण क्षेत्र में कई मंदिर आ गए थे, जिनमें सुरक्षा के नाम पर धार्मिक कार्यक्रम बंद हो गए. करीब 28 साल के बीच इन मंदिरों की हालत बिना देख रेख के जर्जर हो चुकी है, लेकिन अभी केवल उन्ही मंदिरों को ही हटाया जा रहा है, जो मंदिर के क्षेत्र में आ रहे हैं. नाप-जोख केवल इसी के क्षेत्र की हो रही है. बाकी मंदिरों को लेकर आगे फैसला लिया जाएगा. कोहबर भवन, आनंद भवन, राम खजाना मंदिर प्राचीन मंदिर हैं. राम जन्मभूमि परिसर के अंदर स्थित सीता रसोई करीब 250 वर्ष पुरानी बताई जा रही है.

अयोध्या: राम मंदिर की नींव खुदाई से पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर परिसर में पुराने निर्माण को हटाने की तैयारी में है. राम जन्मभूमि परिसर में कई प्राचीन मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं. ऐसे मंदिरों में श्रद्धालुओं का दर्शन प्रतिबंधित है. अब ट्रस्ट ने ऐसे मंदिरों को हटाने का निर्णय लिया है. रामजन्म परिसर में हटाए जाने वाले मंदिरों में 250 साल पुराना सीता रसोई भी शामिल है.

भगवान राम के जन्म स्थान पर राम मंदिर निर्माण कार्य लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को सौंपा गया है. कंपनी के इंजीनियर्स ने मंदिर की नींव की खुदाई से पहले की तैयारी पूरी कर ली है. अयोध्या विकास प्राधिकरण से राम मंदिर निर्माण को लेकर एनओसी प्राप्त होते ही राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर की नींव की खुदाई का कार्य होना है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा है कि मंदिर निर्माण में बड़ी-बड़ी मशीनों को लगाया जाएगा. मशीनों के मूवमेंट में बाधक बनने वाले पुराने जीर्ण-क्षीर्ण मंदिरों को हटाया जाना है.

जानकारी देते चंपत राय, महासचिव, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट

इन पुराने मंदिरों को कराया जाएगा ध्वस्त
जिनको हटाया जाना है उनमें 250 साल पुराना सीता रसोई भी शामिल है. यह मंदिर पुराना होने के चलते खंडहर हो चुका है. इसके साथ कोहबर भवन, आनंद भवन और राम खजाना जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं. लिहाजा इन्हें हटाया जाएगा. इसके साथ मानस भवन का भी एक विंग निर्माण कार्य के दौरान हटाया जाएगा, यहां एक गेट बनाया जाना है. 5 एकड़ में बनने वाले राम मंदिर के विस्तार क्षेत्र में अभी तक सीता रसोई मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर और जन्म स्थान मंदिर के साथ मानस भवन का आधा हिस्सा आ रहा है, जिसे अब खाली करवाया जाएगा.
रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो सीता रसोई और जन्म स्थान मंदिर में से मूर्तियां हटा ली गई हैं. इनमें रखा सामान भी हटा लिया गया है. दरवाजे और खिड़कियां, बिजली की वायरिंग, पंखे, वॉटर पाइप लाइन आदि को हटाया जा रहा है. ट्रस्ट इन प्राचीन मंदिर से मिल रही दुर्लभ वस्तुओं को बेहद कीमती मान रहा है. जर्जर इमारतों से सारा सामान हटाने के बाद इसके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की जाएगी. पहले चरण में केवल उन्हीं मंदिरों और भवनों का ध्वस्तीकरण किया जाएगा जो राम मंदिर के विस्तार क्षेत्र में आ रहें हैं. श्री राम जन्मभूमि परिसर के अंदर निर्माण कार्य की जद में 13 मंदिर आ सकते हैं.
1992 में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद 70 एकड़ के अधिग्रहण क्षेत्र में कई मंदिर आ गए थे, जिनमें सुरक्षा के नाम पर धार्मिक कार्यक्रम बंद हो गए. करीब 28 साल के बीच इन मंदिरों की हालत बिना देख रेख के जर्जर हो चुकी है, लेकिन अभी केवल उन्ही मंदिरों को ही हटाया जा रहा है, जो मंदिर के क्षेत्र में आ रहे हैं. नाप-जोख केवल इसी के क्षेत्र की हो रही है. बाकी मंदिरों को लेकर आगे फैसला लिया जाएगा. कोहबर भवन, आनंद भवन, राम खजाना मंदिर प्राचीन मंदिर हैं. राम जन्मभूमि परिसर के अंदर स्थित सीता रसोई करीब 250 वर्ष पुरानी बताई जा रही है.
Last Updated : Aug 28, 2020, 10:03 AM IST
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