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औरैया: जर्जर हालत में 162 साल पुराना पुल, प्रशासन बेखबर

कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारत में रहकर भारत को लूटने का काम किया किन्तु इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि भारत में राज करने के दौरान अंग्रेजी हुकूमत द्वारा निर्माण कार्य बेहद टिकाऊ व मजबूत साबित हुए जोकि आज की निर्माण कार्यप्रणाली से काफी पीछे है.

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Published : Feb 10, 2019, 5:40 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:16 PM IST

पीयूष त्रिपाठी, संवाददाता

औरैया: अक्सर कहा जाता है कि अंग्रेजों ने अपने तीन सौ साल से ज्यादा के शासन के दौरान भारत को लूटने का काम किया किन्तु इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि भारत में राज करने के दौरान अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किए गए निर्माण कार्य बेहद टिकाऊ व मजबूत साबित हुए जो कि आज की निर्माण कार्यप्रणाली से काफी पीछे है. इनमें नहर के पुल, रेलवे पुल जैसे कई निर्माण कार्य गवाह बने हुए हैं मगर दुर्भाग्यवश तब के हुए निर्माण आज 150 वर्ष से भी ज्यादा समय के दौरान जर्जर हो चुके हैं और अब बचा है तो बस शासन की लापरवाही का नजारा.

जर्जर हालत में 162 साल पुराना नहर का पुल

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दिबियापुर स्थित निचली गंग नहर का पुल जिसका निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के दौरान किया गया था अब जर्जर हालातों में है लेकिन फिर भी जिला प्रशासन इस पर ध्यान देने की बजाय मूक दर्शक बना हुआ है. बता दें कि पुल से आए दिन भारी भरकम वाहन गुजरते हैं जो किसी भी वक्त बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. इस पुल पर संकेत के तौर पर भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित किया गया है लेकिन फिर भी वाहनों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है.

दरअसल, इस पुल के माध्यम से ही कन्नौज तिर्वा कानपुर जैसे सफर को तय किया जाता है. स्थानीय व्यापार संगठन व स्थानीय लोगों ने इस समस्या को लेकर कई बार जिलाधिकारी से लेकर संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर पुल के हालातों से रुबरु करवाया मगर हालात ढाक के तीन पात ही साबित हुए.

औरैया: अक्सर कहा जाता है कि अंग्रेजों ने अपने तीन सौ साल से ज्यादा के शासन के दौरान भारत को लूटने का काम किया किन्तु इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि भारत में राज करने के दौरान अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किए गए निर्माण कार्य बेहद टिकाऊ व मजबूत साबित हुए जो कि आज की निर्माण कार्यप्रणाली से काफी पीछे है. इनमें नहर के पुल, रेलवे पुल जैसे कई निर्माण कार्य गवाह बने हुए हैं मगर दुर्भाग्यवश तब के हुए निर्माण आज 150 वर्ष से भी ज्यादा समय के दौरान जर्जर हो चुके हैं और अब बचा है तो बस शासन की लापरवाही का नजारा.

जर्जर हालत में 162 साल पुराना नहर का पुल

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दिबियापुर स्थित निचली गंग नहर का पुल जिसका निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के दौरान किया गया था अब जर्जर हालातों में है लेकिन फिर भी जिला प्रशासन इस पर ध्यान देने की बजाय मूक दर्शक बना हुआ है. बता दें कि पुल से आए दिन भारी भरकम वाहन गुजरते हैं जो किसी भी वक्त बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. इस पुल पर संकेत के तौर पर भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित किया गया है लेकिन फिर भी वाहनों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है.

दरअसल, इस पुल के माध्यम से ही कन्नौज तिर्वा कानपुर जैसे सफर को तय किया जाता है. स्थानीय व्यापार संगठन व स्थानीय लोगों ने इस समस्या को लेकर कई बार जिलाधिकारी से लेकर संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर पुल के हालातों से रुबरु करवाया मगर हालात ढाक के तीन पात ही साबित हुए.
Intro:एंकर--कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारत मे रहकर भारत को लूटने का काम किया किन्तु इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि भारत में राज करने के दौरान अंग्रेजी हुकूमत द्वारा निर्माण कार्य बेहद टिकाऊ व मजबूत साबित हुए जो कि आज की निर्माण कार्यप्रणाली से काफी पीछे है।जिनमे नहर के पुल रेलवे पुल जैसे कई निर्माण कार्य गवाह बने हुए हैं।मगर दुर्भाग्य वश तब के हुए निर्माण आज 150 वर्ष से भी ज्यादा समय के दौरान ज़र्ज़र हो चुके हैं और अब बचा है तो बस शासन की लापरवाही का नाजारा।


Body:वीओ--वीओ--दिबियापुर स्थित निचली गंग नहर का पुल जो कि की अंग्रेजी हुकूमत के दौरान निर्माणित किया गया था जिसे लगभग 150 वर्ष से भी ज्यादा समय हो चुका जो कि अब ज़र्ज़र हालातों में है लेकिन फिर भी जिला प्रशासन इस पर ध्यान देने की वजाह मूक दर्शक बना हुआ है बता दें कि पुल से आय दिन भारी भरकम वाहन गुजरते हैं जो किसी भी वक़्त बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं।इस पुल पर संकेत के तौर पर भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित किया गया है लेकिन फिर भी वाहनों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है।


Conclusion:इस पुल के माध्यम से ही कन्नौज तिर्वा कानपुर जैसे सफर को तय किया जाता है।स्थानीय व्यापार संगठन व स्थानीय लोगों ने इस समस्या को लेकर कई बार जिलाधिकारी से लेकर संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंप पुल के हालातों से रुबरु करवाया मगर हालात ढाक के तीन पात ही साबित हुए।

बाइट--इदरीश वारिशी स्थानीय व्यापारी

बाइट--लल्ला शुक्ल, स्थानीय व्यापारी

पीटूसी-विशाल त्रिपाठी
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:16 PM IST
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