औरैयाः भीषण हादसे में मौत का शिकार हुए 26 लोगों को दो दिन ही बीते थे और योगी सरकार के फरमान के भी शायद उतने ही दिन बीते थे. दो दिन बीतने के बाद ही जिला प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों ने घटनाओं को ऐसे भुला दिया जैसे कि जिले में कुछ हुआ ही नहीं है. जिम्मेदारी निभाने के बजाए जिम्मेदारों ने लापरवाही का रुख फिर से अख्तियार कर लिया.
सोमवार देर रात अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया देखने को मिला, जब हरियाणा से लौटे प्रवासी मजदूरों को सुबह क्वारंटाइन किया गया और रात में राशन देकर पैदल ही घर भेज दिया. अपने परिवार के साथ पैदल जा रहे शेर सिंह ने बताया कि वह पत्नी सुमन और चार बच्चों के साथ सहायल रोड अबाबर दिबियापुर जा रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि हरियाणा से आने के बाद अनंतराम टोल प्लाजा से बस से बिधूना क्षेत्र के ग्यादीन महाविद्यालय में सुबह क्वारंटाइन सेंटर में भेजा गया था. वहां पर पूरे दिन रुकने के बाद शाम को थर्मल स्कैनिंग कराकर और राशन सामग्री देकर पैदल ही घर जाने के लिए कह दिया गया.
हालांकि जब जनपद में दो बड़ी घटनाओं के बाद भी कार्रवाई और सीख शून्य रही तो मातहत कैसे सबक लें. 26 मौतों पर कार्रवाई के नाम पर महज सिपाहियों को ही दोषी करार देकर निलंबन का कर दिया गया.