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अमरोहा: धान की कटाई शुरू, पैदावार अच्छी नहीं होने से किसान मायूस - अमरोहा में धान की फसल

यूपी के अमरोहा जिले में धान की कटाई शुरू हो गई है. किसानों को उम्मीद थी कि इस बार उनकी फसल अच्छी रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं रहा. किसानों का कहना है कि समय से बारिश न होने के चलते एक बीघे खेत में तीन क्विंटल धान की पैदावार मिल रही है.

धान की फसल की कटाई शुरू
धान की फसल की कटाई शुरू
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Published : Sep 12, 2020, 3:05 AM IST

अमरोहाः जिले में धान की फसल की कटाई शुरू हो गई है. क्षेत्र में अधिकांश किसानों ने मानसून आने के पहले ही धान की रोपाई कर दी थी. किसानों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि मानसून अच्छा रहने पर फसल की पैदावार भी अच्छी होगी, लेकिन समय से बारिश न होने पर किसानों की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई.

हसनपुर निवासी अनिस ठेकेदार का कहना है कि एक बीघा में 3 क्विंटल धान की पैदावार मिल रही है, जबकि गत वर्ष एक बीघा खेत में 4 क्विंटल धान की पैदावार हुई थी. उनका कहना है कि समय पर बारिश न होने से सिंचाई का खर्च भी बढ़ गया था. रोग व कीट का आक्रमण भी अधिक हुआ है. कई बार कीटनाशक का स्प्रे करना पड़ा है.

अनीस का कहना है कि 3 बीघा फसल पर करीब 7000 रुपये की लागत लगी थी, जबकि धान बेचने से कुल 8000 रुपये मिले हैं. यानी कि 3 बीघा पर सिर्फ 1000 रुपये की बचत हुई है. पिछले साल की आपेक्षा फसल से और भी कम उत्पाद मिलने की आशंका है. वहीं जिले के अन्य क्षेत्रों में भी धान की फसल तैयार हो चुकी है.

दो-चार दिन में फसल की कटाई शुरू हो जाएगी. मुकेश अग्रवाल के मुताबिक, मंडी में नया धान आना शुरू हो गया है. हालांकि अभी एक या दो किसान ही धान लेकर आ रहे हैं. हसनपुर में धान फसल की पुआल हरे चारे के रूप में काम आ रही है. बताया जाता है कि पुआल अभी हरी है. बहुत से लोग मजदूरी में सिर्फ हरे चारे के लिए धान फसल की कटाई कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि महंगाई की वजह से तमाम पशुपालक पुआल पशुओं को खिला रहे हैं.

अमरोहाः जिले में धान की फसल की कटाई शुरू हो गई है. क्षेत्र में अधिकांश किसानों ने मानसून आने के पहले ही धान की रोपाई कर दी थी. किसानों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि मानसून अच्छा रहने पर फसल की पैदावार भी अच्छी होगी, लेकिन समय से बारिश न होने पर किसानों की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई.

हसनपुर निवासी अनिस ठेकेदार का कहना है कि एक बीघा में 3 क्विंटल धान की पैदावार मिल रही है, जबकि गत वर्ष एक बीघा खेत में 4 क्विंटल धान की पैदावार हुई थी. उनका कहना है कि समय पर बारिश न होने से सिंचाई का खर्च भी बढ़ गया था. रोग व कीट का आक्रमण भी अधिक हुआ है. कई बार कीटनाशक का स्प्रे करना पड़ा है.

अनीस का कहना है कि 3 बीघा फसल पर करीब 7000 रुपये की लागत लगी थी, जबकि धान बेचने से कुल 8000 रुपये मिले हैं. यानी कि 3 बीघा पर सिर्फ 1000 रुपये की बचत हुई है. पिछले साल की आपेक्षा फसल से और भी कम उत्पाद मिलने की आशंका है. वहीं जिले के अन्य क्षेत्रों में भी धान की फसल तैयार हो चुकी है.

दो-चार दिन में फसल की कटाई शुरू हो जाएगी. मुकेश अग्रवाल के मुताबिक, मंडी में नया धान आना शुरू हो गया है. हालांकि अभी एक या दो किसान ही धान लेकर आ रहे हैं. हसनपुर में धान फसल की पुआल हरे चारे के रूप में काम आ रही है. बताया जाता है कि पुआल अभी हरी है. बहुत से लोग मजदूरी में सिर्फ हरे चारे के लिए धान फसल की कटाई कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि महंगाई की वजह से तमाम पशुपालक पुआल पशुओं को खिला रहे हैं.

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