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क्या अमेठी में राहुल पर भारी पड़ेंगी स्मृति...

यूपी में करीब 12 सीटें ऐसी हैं, जिसकी पहचान लोकसभा चुनाव में हॉट सीट के तौर पर हुई है. इस बार अमेठी उनमें से एक है, क्योंकि स्मृति ईरानी की इलेक्शन कैंपेन ने राहुल की खानदानी सीट को चुनौतीपूर्ण बना दिया. कांग्रेस के परंपरागत वोटर भी स्मृति के पक्ष में उतरते दिखे. इस लोकसभा क्षेत्र में 20 प्रतिशत वोटर मुसलमान हैं, जिनमें करीब एक लाख 30 हजार महिला वोटर हैं. बीजेपी के समर्थकों का दावा है कि इस बार महिलाओं ने स्मृति के पक्ष में जमकर मतदान किया है. ऐेसे में यह सवाल है कि क्या राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका की चुनावी सभा के सहारे बड़ी जीत हासिल कर पाएंगे?

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Published : May 14, 2019, 1:59 PM IST

Updated : May 14, 2019, 6:29 PM IST

अमेठी में कड़ी टक्कर

अमेठी : 6 मई को अमेठी में मतदान हो गया और यहां के 27 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. जिले में कुल 53.20 प्रतिशत वोट पड़े. पिछले तीन दशकों से अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. 15 सालों से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का कब्जा अमेठी पर है. 2014 के चुनाव में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 4,08,651 वोट मिले थे, जबकि BJP उम्मीदवार स्मृति ईरानी 3,00,748 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रही थीं. इस बार कांग्रेस के राहुल गांधी और भाजपा से स्मृति ईरानी सहित कुल 27 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं. कुल मिलाकर अमेठी लोकसभा सीट में कुल 17 लाख 41 हजार 031 मतदाता हैं. जिनमें 9 लाख 22 हजार 173 पुरूष मतदाता, 8 लाख 18 हजार 709 महिला मतदाता, 7 हजार 5 सौ 67 दिव्यांग मतदाता हैं। अमेठी में 15 हजार 3 सौ 75 नए वोटर्स हैं, जिन्होंने जमकर वोटिंग की.

जातीय आधार पर हुई वोटिंग

जातीय समीकरण की बात करें तो अमेठी लोकसभा सीट में ओबीसी 22 प्रतिशत, मुसलमान 20 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 15 प्रतिशत, ब्राह्मण 12 प्रतिशत, क्षत्रिय 11 प्रतिशत, अन्य मतदाता 20 प्रतिशत है. 23 मई को कुल 27 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा. ईटीवी भारत को मिली जानकारी के अनुसार अमेठी में इस बार भी जातीय आधार पर वोटिंग हुई. सवर्ण वोटरों का कांग्रेस और बीजेपी में बंटवारा हुआ. बुजुर्ग सवर्णों ने कांग्रेस तो युवाओं ने बीजेपी को वोट दिया. मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस को वोट किया. बीजेपी नेताओं का दावा है कि तीन तलाक के मुद्दे के कारण पार्टी को भी वोट मिले. ओबीसी वोटरों का मत गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में बताया जा रहा है.

अमेठी में चुनाव प्रचार करते राहुल गांधी.

राहुल गांधी का चैलेंज

  • नरेंद्र मोदी और मेरे बीच डिबेट हो गया तो मैं गारंटी देता हूं कि नरेंद्र मोदी अपना चेहरा हिंदुस्तान को नहीं दिखा पाएंगे.
  • नरेंद्र मोदी अनिल अंबानी, मेहुल चौकसी के लिए काम करते हैं. ये इनके एजेंट हैं.
    अमेठी में प्रचार करतीं प्रियंका गांधी.

प्रियंका गांधी का हमला

  • बीजेपी राहुल गांधी की नागरिकता पर भाजपा फिजूल की बात कर रही है. 2022 में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार मिलेगी. (गौरीगंज के कांग्रेस केंद्रीय कार्यालय पर)
  • जीएसटी की वजह से लोग बहुत दुखी हैं, इसका नतीजा चुनाव में दिखेगा. (सलोन विधानसभा क्षेत्र में)
  • पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी खड़ा किया है. किसी वजह से कोई प्रत्याशी लड़ाई में नहीं है तो वह भाजपा का ही वोट काटेगा.
    स्मृति ईरानी का अमेठी में बयान.

राहुल पर स्मृति ईरानी के बोल, जो अमेठी में खूब चले

  • अमेठी अब परिवर्तन और विकास चाहती है.
  • राहुल गांधी से जब एक गांव नहीं संभलता, तो पूरा अमेठी कैसे संभालेगा?
  • राहुल गांधी के वायनाड से पर्चा भरने के बाद अमेठी पहली पसंद नहीं.
  • मैं कांग्रेस के चेले-चपाटों से कहना चाहूंगी कि हिंदुस्तान के सामान्य परिवार की महिला में इतना दमखम है कि वो नामदारों को टक्कर भी दे और हराये भी.
  • प्रियंका गांधी तो समझदार हैं, इसलिए वह सांप से लड़ रहीं थीं. सबके साथ ही अमेठी की जनता समझ गई कि कौन डंसने वाला है.

कौन रहा अमेठी का बाजीगर

अमेठी लोकसभा सीट सन् 1967 में अस्तित्व में आई थी. उसके बाद 10 सालों तक (1967-77) कांग्रेस का कब्जा रहा. इमरजेंसी के बाद1977-80 तक यहां जनता पार्टी को विजयश्री मिली. 1980-98 के बीच इस सीट पर फिर कांग्रेस का झंडा बुलंद रहा. 1998 में BJP ने पहली बार इस सीट पर खाता खोला था, लेकिन इसके बाद 1999 के चुनाव में बीजेपी को अमेठी से हाथ धोना पड़ा. इसके बाद से लगातार यह सीट गांधी परिवार के नाम ही रही.

अमेठी के 15 चुनावों में 13 बार जीती कांग्रेस

विद्याधर वाजपेयी (कांग्रेस), रवींद्र प्रताप सिंह (जनता पार्टी), संजय गांधी (कांग्रेस), राजीव गांधी (कांग्रेस), कैप्टन सतीश शर्मा (कांग्रेस), डॉ. संजय सिंह (बीजेपी 1998), सोनिया गांधी (कांग्रेस 1999), लगातार तीन बार राहुल गांधी.

अमेठी : 6 मई को अमेठी में मतदान हो गया और यहां के 27 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. जिले में कुल 53.20 प्रतिशत वोट पड़े. पिछले तीन दशकों से अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. 15 सालों से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का कब्जा अमेठी पर है. 2014 के चुनाव में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 4,08,651 वोट मिले थे, जबकि BJP उम्मीदवार स्मृति ईरानी 3,00,748 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रही थीं. इस बार कांग्रेस के राहुल गांधी और भाजपा से स्मृति ईरानी सहित कुल 27 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं. कुल मिलाकर अमेठी लोकसभा सीट में कुल 17 लाख 41 हजार 031 मतदाता हैं. जिनमें 9 लाख 22 हजार 173 पुरूष मतदाता, 8 लाख 18 हजार 709 महिला मतदाता, 7 हजार 5 सौ 67 दिव्यांग मतदाता हैं। अमेठी में 15 हजार 3 सौ 75 नए वोटर्स हैं, जिन्होंने जमकर वोटिंग की.

जातीय आधार पर हुई वोटिंग

जातीय समीकरण की बात करें तो अमेठी लोकसभा सीट में ओबीसी 22 प्रतिशत, मुसलमान 20 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 15 प्रतिशत, ब्राह्मण 12 प्रतिशत, क्षत्रिय 11 प्रतिशत, अन्य मतदाता 20 प्रतिशत है. 23 मई को कुल 27 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा. ईटीवी भारत को मिली जानकारी के अनुसार अमेठी में इस बार भी जातीय आधार पर वोटिंग हुई. सवर्ण वोटरों का कांग्रेस और बीजेपी में बंटवारा हुआ. बुजुर्ग सवर्णों ने कांग्रेस तो युवाओं ने बीजेपी को वोट दिया. मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस को वोट किया. बीजेपी नेताओं का दावा है कि तीन तलाक के मुद्दे के कारण पार्टी को भी वोट मिले. ओबीसी वोटरों का मत गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में बताया जा रहा है.

अमेठी में चुनाव प्रचार करते राहुल गांधी.

राहुल गांधी का चैलेंज

  • नरेंद्र मोदी और मेरे बीच डिबेट हो गया तो मैं गारंटी देता हूं कि नरेंद्र मोदी अपना चेहरा हिंदुस्तान को नहीं दिखा पाएंगे.
  • नरेंद्र मोदी अनिल अंबानी, मेहुल चौकसी के लिए काम करते हैं. ये इनके एजेंट हैं.
    अमेठी में प्रचार करतीं प्रियंका गांधी.

प्रियंका गांधी का हमला

  • बीजेपी राहुल गांधी की नागरिकता पर भाजपा फिजूल की बात कर रही है. 2022 में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार मिलेगी. (गौरीगंज के कांग्रेस केंद्रीय कार्यालय पर)
  • जीएसटी की वजह से लोग बहुत दुखी हैं, इसका नतीजा चुनाव में दिखेगा. (सलोन विधानसभा क्षेत्र में)
  • पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी खड़ा किया है. किसी वजह से कोई प्रत्याशी लड़ाई में नहीं है तो वह भाजपा का ही वोट काटेगा.
    स्मृति ईरानी का अमेठी में बयान.

राहुल पर स्मृति ईरानी के बोल, जो अमेठी में खूब चले

  • अमेठी अब परिवर्तन और विकास चाहती है.
  • राहुल गांधी से जब एक गांव नहीं संभलता, तो पूरा अमेठी कैसे संभालेगा?
  • राहुल गांधी के वायनाड से पर्चा भरने के बाद अमेठी पहली पसंद नहीं.
  • मैं कांग्रेस के चेले-चपाटों से कहना चाहूंगी कि हिंदुस्तान के सामान्य परिवार की महिला में इतना दमखम है कि वो नामदारों को टक्कर भी दे और हराये भी.
  • प्रियंका गांधी तो समझदार हैं, इसलिए वह सांप से लड़ रहीं थीं. सबके साथ ही अमेठी की जनता समझ गई कि कौन डंसने वाला है.

कौन रहा अमेठी का बाजीगर

अमेठी लोकसभा सीट सन् 1967 में अस्तित्व में आई थी. उसके बाद 10 सालों तक (1967-77) कांग्रेस का कब्जा रहा. इमरजेंसी के बाद1977-80 तक यहां जनता पार्टी को विजयश्री मिली. 1980-98 के बीच इस सीट पर फिर कांग्रेस का झंडा बुलंद रहा. 1998 में BJP ने पहली बार इस सीट पर खाता खोला था, लेकिन इसके बाद 1999 के चुनाव में बीजेपी को अमेठी से हाथ धोना पड़ा. इसके बाद से लगातार यह सीट गांधी परिवार के नाम ही रही.

अमेठी के 15 चुनावों में 13 बार जीती कांग्रेस

विद्याधर वाजपेयी (कांग्रेस), रवींद्र प्रताप सिंह (जनता पार्टी), संजय गांधी (कांग्रेस), राजीव गांधी (कांग्रेस), कैप्टन सतीश शर्मा (कांग्रेस), डॉ. संजय सिंह (बीजेपी 1998), सोनिया गांधी (कांग्रेस 1999), लगातार तीन बार राहुल गांधी.

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क्या राहुल का वोट बंटा, अमेठी में स्मृति को मिले मुस्लिम वोट!

 



यूपी में करीब 12 सीटें ऐसी हैं, जिसकी पहचान लोकसभा चुनाव में हॉट सीट के तौर पर हुई है। 

इस बार अमेठी उनमें से एक है, क्योंकि स्मृति ईरानी की इलेक्शन कैंपेन ने राहुल की खानदानी सीट को चुनौतीपूर्ण बना दिया. कांग्रेस के परंपरागत वोटर भी स्मृति के पक्ष में उतरते दिखे। इस लोकसभा क्षेत्र में 20 प्रतिशत वोटर मुसलमान हैं, जिनमें करीब एक लाख 30 हजार महिला वोटर है। बीजेपी के समर्थकों का दावा है कि इस बार महिलाओं ने स्मृति के पक्ष में जमकर मतदान किया है। ऐेसे में यह सवाल है कि क्या राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका की चुनावी सभा के सहारे बड़ी जीत हासिल कर पाएंगे?  



अमेठी : 6  मई को अमेठी में मतदान हो गया और यहां के 27  उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. जिले में कुल 53.20 प्रतिशत वोट पड़े. पिछले तीन दशकों से अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. 15 सालों से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का कब्जा अमेठी पर है. 2014 के चुनाव में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 4,08,651 वोट मिले थे, जबकि BJP उम्मीदवार स्मृति ईरानी 3,00,748 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रही थीं. इस बार कांग्रेस के राहुल गांधी और भाजपा से स्मृति ईरानी सहित कुल 27 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं. कुल मिलाकर अमेठी लोकसभा सीट में कुल 17 लाख 41 हजार 031 मतदाता हैं. जिनमें 9 लाख 22 हजार 173 पुरूष मतदाता, 8 लाख 18 हजार 709 महिला मतदाता, 7 हजार 5 सौ 67 दिव्यांग मतदाता हैं। अमेठी में 15 हजार 3 सौ 75 नए वोटर्स हैं, जिन्होंने जमकर वोटिंग की।



क्या जातीय आधार पर हुई वोटिंग?

जातीय समीकरण की बात करें तो अमेठी लोकसभा सीट में ओबीसी 22 प्रतिशत, मुसलमान 20 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 15 प्रतिशत, ब्राह्मण 12 प्रतिशत, क्षत्रिय 11 प्रतिशत, अन्य मतदाता 20 प्रतिशत है. 23 मई को कुल 27 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा. ईटीवी भारत को मिली जानकारी के अनुसार अमेठी में इस बार भी जातीय आधार पर वोटिंग हुई. सवर्ण वोटरों का कांग्रेस और बीजेपी में बंटवारा हुआ. बुजुर्ग सवर्णों ने कांग्रेस तो युवाओं ने बीजेपी को वोट दिया. मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस को वोट किया. बीजेपी नेताओं का दावा है कि तीन तलाक के मुद्दे के कारण पार्टी को भी वोट मिले. ओबीसी वोटरों का मत गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में बताया जा रहा है।  



राहुल गांधी का चैलेंज

नरेंद्र मोदी और मेरे बीच डिबेट हो गया तो मैं गारंटी देता हूं कि नरेंद्र मोदी अपना चेहरा हिंदुस्तान को नहीं दिखा पाएंगे.

नरेंद्र मोदी अनिल अंबानी,मेहुल चौकसी के लिए काम करते हैं. ये इनके एजेंट हैं.



प्रियंका गांधी का हमला

- बीजेपी राहुल गांधी की नागरिकता पर भाजपा फिजूल की बात कर रही है। 2022 में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार मिलेगी। ( गौरीगंज के कांग्रेस केंद्रीय कार्यालय पर)

- जीएसटी की वजह से लोग बहुत दुखी है,इसका नतीजा चुनाव में दिखेगा. (सलोन विधानसभा क्षेत्र में)

- पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी खड़ा किया है. किसी वजह से कोई प्रत्याशी लड़ाई में नहीं है तो वह भाजपा का ही वोट काटेगा.



राहुल पर स्मृति ईरानी के बोल, जो अमेठी में खूब चले

- अमेठी अब परिवर्तन और विकास चाहती है

- राहुल गांधी से जब एक गाँव नही संभलता तो पूरा अमेठी कैसे संभालेगा? 

- राहुल गांधी के वायनाड से पर्चा भरने के बाद अमेठी पहली चॉइस नहीं.

मैं कांग्रेस के चेले-चपाटों से कहना चाहूंगी कि हिंदुस्तान के सामान्य परिवार की महिला में इतना दम खम है कि वो नामदारो को टक्कर भी दे और हराये भी (एजुकेशन डिग्री के सवाल पर)

प्रियंका गांधी तो समझदार है इसलिए वह सांप से लड़ रही थी। सबके साथ तो अमेठी की जनता समझ गए कि कौन डंसने वाला है।



कौन रहा अमेठी का बाजीगर 

अमेठी लोकसभा सीट सन् 1967 में अस्तित्व में आई थी.  उसके बाद 10 सालों तक (1967-77)  कांग्रेस का कब्जा रहा. इमरजेंसी के बाद1977-80 तक यहां जनता पार्टी को विजयश्री मिली. 1980-98 के बीच इस सीट पर फिर कांग्रेस का झंडा बुलंद रहा। 1998 में BJP ने पहली बार इस सीट पर खाता खोला था, लेकिन इसके बाद 1999 के चुनाव में बीजेपी को अमेठी से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद से लगातार यह सीट गांधी परिवार के नाम ही रही। 



अमेठी के15 चुनावों में 13 बार जीती कांग्रेस 

विद्याधर वाजपेयी (कांग्रेस), रवींद्र प्रताप सिंह (जनता पार्टी), संजय गांधी (कांग्रेस), राजीव गांधी (कांग्रेस), कैप्टन सतीश शर्मा (कांग्रेस), डॉ. संजय सिंह (बीजेपी 1998), सोनिया गांधी (कांग्रेस 1999), लगातार तीन बार राहुल गांधी। 


Conclusion:
Last Updated : May 14, 2019, 6:29 PM IST
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