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अमेठी में सरकारी आवास के बावजूद रात में नहीं रुक रहे डॉक्टर, इमरजेंसी सेवा की हालत खराब - अमेठी में स्वास्थ्य व्यवस्था

अमेठी में सरकारी आवास के बावजूद डॉक्टर रात में नहीं रुक रहे हैं. इससे इमरजेंसी सेवा की हालत खराब हो गई है.

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Published : Sep 15, 2022, 2:47 PM IST

अमेठीः जिले की स्वास्थ व्यवस्था बेपटरी हो गई है. सरकारी आवास होने के बावजूद सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर अधीक्षक रात्रि निवास नहीं कर रहे हैं. कई केंद्रों पर शाम ढलते ही ताला लटक जाता है. इमरजेंसी इलाज के नाम पर वार्ड ब्वॉय ही मौजूद दिखते हैं. जिले के 13 सामुदायिक और 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं निजी, झोला छाप कथित चिकित्सक और पड़ोसी जनपदों पर निर्भर है.

सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ मंत्री बृजेश पाठक की सख्ती का असर जिले में नहीं दिख रहा है. दिन में ओपीडी के लिए तो जिले में डॉक्टर मिल जाते है लेकिन, रात्रि में इमरजेंसी सेवा के लिए लोगों को निजी क्लीनिक या फिर पड़ोसी जनपदों का रूख करना पड़ रहा है. एक तरफ सामुदायिक स्वास्थ केंद्रों पर डॉक्टर रात्रि निवास नहीं कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर शाम ढलते ही ताले लटक जाते हैं. एएनएम केंद्रों पर नाम मात्र की एएनएम हैं.

सामुदायिक स्वास्थ केद्रों पर अधीक्षक चिकित्सकों के न रहने से लोगों को इमरजेंसी सेवा नहीं मिल पा रही है. रात्रि में अचानक किसी की तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए गए लोगों को दर-दर भटकना पकड़ता है. अगर कहीं कोई डॉक्टर मिलता भी है तो लंबा इंतजार करना पड़ता है. इस दौरान कई बार हालात मरीज के जान पर बन आती है. कभी-कभी तो लंबे इंतजार के बाद डॉक्टर मरीज देखते ही रेफर कर देते हैं.

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जगदीशपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिले का फर्स्ट रिफरल केंद्र है. जहां कई वर्षों से सरकारी आवास पर रिटायर्ड या अन्य केंद्रों पर तैनात चिकित्सकों का कब्जा था. आवास खाली होने के बावजूद यहां अधीक्षक छह किलोमीटर दूर रह कर अपनी सेवा दे रहे हैं. जगदीश पुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के अधीक्षक के जारी किए गए पत्र के अनुसार अधीक्षक के लिए आवास की अनुपलब्धता बताई गई है जबकि एक अन्य पत्र में उन्होंने कई लोगों को आवास खाली करने की नोटिस दिया है. बावजूद इसके उन्होंने अपना आवास एलाट नहीं किया.

उन्होंने खुद को रानीगंज कस्बे से रहकर सेवा देने की बात कही है जबकि रानीगंज इस सामुदायिक स्वास्थ केंद्र से आठ किलोमीटर दूर है. वहीं, बाजार शुकुल की बात की जाए तो वहां भी अधीक्षक रात्रि निवास नहीं करते है. प्राथमिक स्वास्थ केंद्र गोसाई गंज में ओपीडी के अलावा कोई भी चिकित्सक केंद्र पर नहीं मिलते हैं. कामोवेश यही हाल पूरे जिले में है.

वहीं, इस पूरे मामले में अमेठी के सीएमओ डॉ. विमलेंद्रु शेखर ने कहा कि अमेठी जिले के 13 सामुदायिक स्वास्थ केंद्रों पर अधीक्षक रात्रि निवास करते हैं. यह मुझे जानकारी नहीं है कि कोई रात्रि निवास नहीं करता है. यदि ऐसी जानकारी मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी. सभी अधीक्षक रहते हैं यदि उन्हें नहीं रहना होता है तब किसी को जिम्मेदारी देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छोड़ते है. जब उनसे पूछा गया की बाजार शुकुल और जगदीश पुर सामुदायिक केंद्र पर आवास खाली होने के बाद भी अधीक्षक नहीं रहते हैं. उन्होंने कहा की इसकी जांच कराई जाएगी. हो सकता है आवास रहने योग्य न हो. शुकुल बाजार की जानकारी मुझे है, वहां अधीक्षक ने आवास खाली नहीं किया है जब वो खाली कर देंगे तो अधीक्षक वहां निवास करेंगे.

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अमेठीः जिले की स्वास्थ व्यवस्था बेपटरी हो गई है. सरकारी आवास होने के बावजूद सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर अधीक्षक रात्रि निवास नहीं कर रहे हैं. कई केंद्रों पर शाम ढलते ही ताला लटक जाता है. इमरजेंसी इलाज के नाम पर वार्ड ब्वॉय ही मौजूद दिखते हैं. जिले के 13 सामुदायिक और 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं निजी, झोला छाप कथित चिकित्सक और पड़ोसी जनपदों पर निर्भर है.

सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ मंत्री बृजेश पाठक की सख्ती का असर जिले में नहीं दिख रहा है. दिन में ओपीडी के लिए तो जिले में डॉक्टर मिल जाते है लेकिन, रात्रि में इमरजेंसी सेवा के लिए लोगों को निजी क्लीनिक या फिर पड़ोसी जनपदों का रूख करना पड़ रहा है. एक तरफ सामुदायिक स्वास्थ केंद्रों पर डॉक्टर रात्रि निवास नहीं कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर शाम ढलते ही ताले लटक जाते हैं. एएनएम केंद्रों पर नाम मात्र की एएनएम हैं.

सामुदायिक स्वास्थ केद्रों पर अधीक्षक चिकित्सकों के न रहने से लोगों को इमरजेंसी सेवा नहीं मिल पा रही है. रात्रि में अचानक किसी की तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए गए लोगों को दर-दर भटकना पकड़ता है. अगर कहीं कोई डॉक्टर मिलता भी है तो लंबा इंतजार करना पड़ता है. इस दौरान कई बार हालात मरीज के जान पर बन आती है. कभी-कभी तो लंबे इंतजार के बाद डॉक्टर मरीज देखते ही रेफर कर देते हैं.

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जगदीशपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिले का फर्स्ट रिफरल केंद्र है. जहां कई वर्षों से सरकारी आवास पर रिटायर्ड या अन्य केंद्रों पर तैनात चिकित्सकों का कब्जा था. आवास खाली होने के बावजूद यहां अधीक्षक छह किलोमीटर दूर रह कर अपनी सेवा दे रहे हैं. जगदीश पुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के अधीक्षक के जारी किए गए पत्र के अनुसार अधीक्षक के लिए आवास की अनुपलब्धता बताई गई है जबकि एक अन्य पत्र में उन्होंने कई लोगों को आवास खाली करने की नोटिस दिया है. बावजूद इसके उन्होंने अपना आवास एलाट नहीं किया.

उन्होंने खुद को रानीगंज कस्बे से रहकर सेवा देने की बात कही है जबकि रानीगंज इस सामुदायिक स्वास्थ केंद्र से आठ किलोमीटर दूर है. वहीं, बाजार शुकुल की बात की जाए तो वहां भी अधीक्षक रात्रि निवास नहीं करते है. प्राथमिक स्वास्थ केंद्र गोसाई गंज में ओपीडी के अलावा कोई भी चिकित्सक केंद्र पर नहीं मिलते हैं. कामोवेश यही हाल पूरे जिले में है.

वहीं, इस पूरे मामले में अमेठी के सीएमओ डॉ. विमलेंद्रु शेखर ने कहा कि अमेठी जिले के 13 सामुदायिक स्वास्थ केंद्रों पर अधीक्षक रात्रि निवास करते हैं. यह मुझे जानकारी नहीं है कि कोई रात्रि निवास नहीं करता है. यदि ऐसी जानकारी मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी. सभी अधीक्षक रहते हैं यदि उन्हें नहीं रहना होता है तब किसी को जिम्मेदारी देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छोड़ते है. जब उनसे पूछा गया की बाजार शुकुल और जगदीश पुर सामुदायिक केंद्र पर आवास खाली होने के बाद भी अधीक्षक नहीं रहते हैं. उन्होंने कहा की इसकी जांच कराई जाएगी. हो सकता है आवास रहने योग्य न हो. शुकुल बाजार की जानकारी मुझे है, वहां अधीक्षक ने आवास खाली नहीं किया है जब वो खाली कर देंगे तो अधीक्षक वहां निवास करेंगे.

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