अंबेडकरनगर: कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने और बचाव के लिए देश में 3 मई तक लाॅकडाउन घोषित किया गया है. इस कारण सभी कामकाज ठप हैं और दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. ऐसे में जिले में मनरेगा के तहत बेरोजगार मजदूरों को रोजागर उपलब्ध कराया जा रहा है.
अब नहीं रोजी-रोटी का संकट: मजदूर
जिले के ब्लाॅक टांडा के रामपुर कला गांव में मनरेगा के तहत 100 से अधिक मजदूर काम कर रहे हैं. इन मजदूरों का कहना है कि लाॅकडाउन के बाद काम बंद होने की वजह से रोजी-रोटी का संकट आ गया था, जो अब काम मिलने से खत्म हो गया है. मजदूर अम्बिका रावत ने बताया कि काम मिलने से हम जैसे सैकड़ों मजदूरों के सामने रोजागार की समस्या अब नहीं रही. उन्होंने कहा कि सरकार यह काम लगातार चलाती रहे, जिससे कि लाॅकडाउन में मजदूरों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े.
वर्ष 2005 में शुरू हुई थी 'मनरेगा योजना'
वर्ष 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लागू किया था. इसके तहत मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देने की व्यवस्था की गई. मनरेगा के तहत मजदूरों को उनके ग्राम पंचायत में ही ग्राम प्रधान की ओर से रोजगार उपलब्ध कराया जाता है.