ETV Bharat / state

अम्बेडकरनगर: राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज बना क्वारंटाइन सेंटर, स्टाफ की भारी कमी

कोरोना काल मेंं स्वास्थ्य कर्मी जान हथेली पर रखकर मरीजोंं का इलाज कर रहे हैं. अम्बेडकरनगर में महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज में नर्सों की भारी कमी है. यहां 300 नर्सों की जरूरत है, लेकिन यहां केवल 64 नर्सें ही कार्य कर रही हैं.

अम्बेडकरनगर ताजा समाचार
मेडिकल कॉलेज को बनाया क्वारंटाइन सेंटर.
author img

By

Published : Apr 26, 2020, 9:40 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकरनगर: कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में स्वास्थ्यकर्मी देवदूत बनकर आए हैं. स्टाफ की कमी भी इनके हौसलों को मात नहीं दे पा रही है. साथ ही प्रशासन का कुशल नेतृत्व और स्टाफ नर्सों का हौसला इस संकट में एक नजीर बना है. वहीं सिर्फ एक तिहाही से भी कम कर्मचारी अपनी मेहनत और लगन से व्यवस्था को चाक चौबंद किए हुए हैं.

राजकीय एलोपैथिक मेडिकल को बनाया क्वारंटीन सेंटर
महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है. बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में तकरीबन तीन सौ नर्सों की जरूरत है, लेकिन यहां 64 नर्स ही कार्यरत हैं. साथ ही जिनमें से कुछ पहले से ही छुट्टी पर हैं.

ऐसे में स्टाफ नर्सों की कमी व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन में रोड़ा बना हुआ है, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कुशलता और स्टाफ नर्सों की मेहनत से कोरोना के विरुद्ध जंग जारी है. हालांकी स्टाफ नर्स कम होने की वजह से इन नर्सों को वे सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिसकी वह हकदार हैं.

एक नर्स कर रही दो नर्सोंं के बराबर काम
साथ ही संख्या की कमी को देखते हुए एक एक नर्स दो-दो की जिम्मेदारी उठा रही है. वहीं अपनी जान जोखिम में डाल ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि संख्या बल कम होने की वजह से हमें कुछ मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है, लेकिन ये संकट का दौर है. साथ ही हमारा फर्ज है कि हम मरीजों की सेवा करें.

इसे भी पढ़ें: यूपी के 57 जिलों में फैला कोरोना, 1664 संक्रमित, 25 की मौत

बताया जा रहा है कि कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके पास छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, लेकिन वो हर खतरे को ताक पर रख मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. वहीं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मुकेश राना का कहना है कि स्टाफ की समस्या है, लेकिन जो हैं उन्हीं से बेहतर व्यवस्था देने की कोशिश जारी है. साथ ही कहा कि एक कर्मचारी दो-दो के बराबर कार्य कर रहा है.

अम्बेडकरनगर: कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में स्वास्थ्यकर्मी देवदूत बनकर आए हैं. स्टाफ की कमी भी इनके हौसलों को मात नहीं दे पा रही है. साथ ही प्रशासन का कुशल नेतृत्व और स्टाफ नर्सों का हौसला इस संकट में एक नजीर बना है. वहीं सिर्फ एक तिहाही से भी कम कर्मचारी अपनी मेहनत और लगन से व्यवस्था को चाक चौबंद किए हुए हैं.

राजकीय एलोपैथिक मेडिकल को बनाया क्वारंटीन सेंटर
महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है. बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में तकरीबन तीन सौ नर्सों की जरूरत है, लेकिन यहां 64 नर्स ही कार्यरत हैं. साथ ही जिनमें से कुछ पहले से ही छुट्टी पर हैं.

ऐसे में स्टाफ नर्सों की कमी व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन में रोड़ा बना हुआ है, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कुशलता और स्टाफ नर्सों की मेहनत से कोरोना के विरुद्ध जंग जारी है. हालांकी स्टाफ नर्स कम होने की वजह से इन नर्सों को वे सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिसकी वह हकदार हैं.

एक नर्स कर रही दो नर्सोंं के बराबर काम
साथ ही संख्या की कमी को देखते हुए एक एक नर्स दो-दो की जिम्मेदारी उठा रही है. वहीं अपनी जान जोखिम में डाल ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि संख्या बल कम होने की वजह से हमें कुछ मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है, लेकिन ये संकट का दौर है. साथ ही हमारा फर्ज है कि हम मरीजों की सेवा करें.

इसे भी पढ़ें: यूपी के 57 जिलों में फैला कोरोना, 1664 संक्रमित, 25 की मौत

बताया जा रहा है कि कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके पास छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, लेकिन वो हर खतरे को ताक पर रख मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. वहीं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मुकेश राना का कहना है कि स्टाफ की समस्या है, लेकिन जो हैं उन्हीं से बेहतर व्यवस्था देने की कोशिश जारी है. साथ ही कहा कि एक कर्मचारी दो-दो के बराबर कार्य कर रहा है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.