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पानी में बह गए सरकार के सात करोड़ रुपये, सड़क पर दिखाई दे रहे गड्ढे ही गड्ढे

अंबेडकरनगर में शासन का सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का अभियान सफल नहीं हो सका. कागजों में तो सड़कों को गड्ढा मुक्त दिखा दिया गया, लेकिन जमीन हकीकत कुछ ओर ही बयां करती है.

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गड्ढा मुक्त सड़क
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Published : Dec 19, 2022, 9:49 AM IST

अंबेडकरनगरः सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का शासन का निर्देश जिले में सफल नहीं हो सका है. कागजों में तो सड़कों को गड्ढा मुक्त दिखा दिया गया, लेकिन सड़कों की हालत बदत्तर है. जिले की जो मुख्य सड़कें हैं उन पर इतने गड्ढे हैं कि लोगों का चलना मुश्किल है. गड्ढा मुक्त के नाम पर तकरीबन सात करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन सड़कों की सूरत नहीं बदली है. पीडब्ल्यूडी विभाग ने सात करोड़ रुपये गड्ढे में पाट दिये, लेकिन गड्डों को भर नहीं सका. जिले में जो सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी थी उनकी भी दशा खराब है.

सड़कों की सूरत बदलने के लिए सरकार ने पीडब्ल्यूडी विभाग को सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का निर्देश दिया था, लेकिन शासन का यह निर्देश सड़कों की सूरत नहीं बदल पाया. विभाग ने अभियान चलाकर सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा तो किया, लेकिन ये दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए. गड्ढा मुक्ति के नाम पर विभाग ने तकरीबन सात करोड़ रुपये खर्च कर दिये, लेकिन गड्ढा नहीं भर पाया. जिला मुख्यालय की मुख्य सड़कों के ही गड्ढे नही भरे गए. विभाग ने बजट खारिज करने और शासन को दिखाने के लिए जिन सड़कों के गड्ढे भरे थे उनकी गुणवत्ता काफी खराब थी. सड़क के गड्ढे कब भरे गए और कब उखड़ गए किसी को पता ही नहीं चला. विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से पैसे का बंदरबाट हो गया और गड्ढे सड़क में ही रह गए.

पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशाषी अभियंता सौरभ सिंह का कहना है कि गड्ढा मुक्ति के लिए जो हमारा लक्ष्य था उसे पूरा कर लिया गया है. लगभग सात करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिन सड़कों की दशा ज्यादा खराब उनके लिए विशेष मरम्मत, नया निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया है और उसमें से कुछ स्वीकृत भी मिल गयी है.

पढ़ेंः खोखला साबित हुआ सरकार का गड्ढा मुक्त सड़क अभियान, देखें जमीनी हकीकत

अंबेडकरनगरः सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का शासन का निर्देश जिले में सफल नहीं हो सका है. कागजों में तो सड़कों को गड्ढा मुक्त दिखा दिया गया, लेकिन सड़कों की हालत बदत्तर है. जिले की जो मुख्य सड़कें हैं उन पर इतने गड्ढे हैं कि लोगों का चलना मुश्किल है. गड्ढा मुक्त के नाम पर तकरीबन सात करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन सड़कों की सूरत नहीं बदली है. पीडब्ल्यूडी विभाग ने सात करोड़ रुपये गड्ढे में पाट दिये, लेकिन गड्डों को भर नहीं सका. जिले में जो सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी थी उनकी भी दशा खराब है.

सड़कों की सूरत बदलने के लिए सरकार ने पीडब्ल्यूडी विभाग को सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का निर्देश दिया था, लेकिन शासन का यह निर्देश सड़कों की सूरत नहीं बदल पाया. विभाग ने अभियान चलाकर सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा तो किया, लेकिन ये दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए. गड्ढा मुक्ति के नाम पर विभाग ने तकरीबन सात करोड़ रुपये खर्च कर दिये, लेकिन गड्ढा नहीं भर पाया. जिला मुख्यालय की मुख्य सड़कों के ही गड्ढे नही भरे गए. विभाग ने बजट खारिज करने और शासन को दिखाने के लिए जिन सड़कों के गड्ढे भरे थे उनकी गुणवत्ता काफी खराब थी. सड़क के गड्ढे कब भरे गए और कब उखड़ गए किसी को पता ही नहीं चला. विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से पैसे का बंदरबाट हो गया और गड्ढे सड़क में ही रह गए.

पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशाषी अभियंता सौरभ सिंह का कहना है कि गड्ढा मुक्ति के लिए जो हमारा लक्ष्य था उसे पूरा कर लिया गया है. लगभग सात करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिन सड़कों की दशा ज्यादा खराब उनके लिए विशेष मरम्मत, नया निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया है और उसमें से कुछ स्वीकृत भी मिल गयी है.

पढ़ेंः खोखला साबित हुआ सरकार का गड्ढा मुक्त सड़क अभियान, देखें जमीनी हकीकत

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