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यहां घरों के दरवाजे नहीं होते बंद, शिव बाबा से जुड़ी है मान्यता

आए दिन लूट और अपराध की खबरें सामने आती रहती हैं. लेकिन क्या आपने किसी ऐसे गांव के बार में सुना है, जहां चोरों और चोरी से बेखौफ लोग अपने घर में दरवाजे तक नहीं बंद करते. जी हां! अम्बेडकरनगर जिले में एक ऐसा गांव है, जहां आज भी लोगों के घरों के दरवाजे बंद नहीं होते. इसकी मान्यता जुड़ी है देवों के देव महादेव से. देखें स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Nov 11, 2020, 7:13 PM IST

स्पेशल रिपोर्ट.
स्पेशल रिपोर्ट.

अम्बेडकरनगर: जिले में एक गांव ऐसा है, जहां आज भी लोगों के घरों में दरवाजे बंद नहीं किए जाते. लोग घर के दरवाजे पर या तो पर्दा लगाते हैं या फिर बांस के फट्ठे से बना हुआ टटरा लगाकर घर की सुरक्षा करते हैं. खास बात यह है कि इस गांव के घरों में दरवाजा न होने के बावजूद कभी यहां के घरों में चोरी नहीं होती. कई पुश्तों से लोग बगैर दरवाजे के ही रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि शिव बाबा की नाराजगी से बचने के लिए लोग दरवाजा नहीं लगाते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.
हम बात कर रहे हैं कि अम्बेडकरनगर जिला मुख्यालय से सटे गांव सीमई की. यह गांव जिला मुख्यालय के पश्चिम ऐतिहासिक धर्मस्थली शिव बाबा के पास है. नगर पालिका क्षेत्र में आने के कारण इस गांव की गलियां शहरों की गलियों से कम नहीं है. गांव में पढ़े-लिखे और धनाड्य लोगों की भरमार है. इस गांव की खास बात यह है कि यहां के घरों के दरवाजे बंद नहीं किए जाते. इसलिए बंद नहीं होते दरवाजे

सैकड़ों वर्षों से इस गांव के लोग अपने घरों में सिर्फ कपड़े का पर्दा या फिर टटरा लगाते आ रहे हैं. गांववालों की मान्यता है कि गांव में यदि कोई दरवाजा लगाता है, तो उसके घर और परिवार का अनिष्ट हो जाता है.

ऐसी है मान्यता
इस गांव के घरों में दरवाजे न लगाने की मान्यता भगवान शिव से जुड़ी है. गांव के बगल में ही ऐतिहासिक शिव बाबा का धाम है. यहां हर शुक्रवार और सोमवार को हजारों की संख्या में भक्त शिव बाबा के दर्शन करने और पूजा अर्चना करने आते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि उनके पूर्वजों का मानना था कि जब तक शिव बाबा मंदिर में दरवाजा नहीं लगता, तब तक किसी घर के चौखट में दरवाजा नहीं लग सकता. ग्रामीणों की मान्यता है कि यदि कोई सपने में भी अपने घर का दरवाजा बंद करता है, तो उसके घर और परिवार से साथ अनिष्ट हो जाता है.

अम्बेडकरनगर: जिले में एक गांव ऐसा है, जहां आज भी लोगों के घरों में दरवाजे बंद नहीं किए जाते. लोग घर के दरवाजे पर या तो पर्दा लगाते हैं या फिर बांस के फट्ठे से बना हुआ टटरा लगाकर घर की सुरक्षा करते हैं. खास बात यह है कि इस गांव के घरों में दरवाजा न होने के बावजूद कभी यहां के घरों में चोरी नहीं होती. कई पुश्तों से लोग बगैर दरवाजे के ही रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि शिव बाबा की नाराजगी से बचने के लिए लोग दरवाजा नहीं लगाते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.
हम बात कर रहे हैं कि अम्बेडकरनगर जिला मुख्यालय से सटे गांव सीमई की. यह गांव जिला मुख्यालय के पश्चिम ऐतिहासिक धर्मस्थली शिव बाबा के पास है. नगर पालिका क्षेत्र में आने के कारण इस गांव की गलियां शहरों की गलियों से कम नहीं है. गांव में पढ़े-लिखे और धनाड्य लोगों की भरमार है. इस गांव की खास बात यह है कि यहां के घरों के दरवाजे बंद नहीं किए जाते. इसलिए बंद नहीं होते दरवाजे

सैकड़ों वर्षों से इस गांव के लोग अपने घरों में सिर्फ कपड़े का पर्दा या फिर टटरा लगाते आ रहे हैं. गांववालों की मान्यता है कि गांव में यदि कोई दरवाजा लगाता है, तो उसके घर और परिवार का अनिष्ट हो जाता है.

ऐसी है मान्यता
इस गांव के घरों में दरवाजे न लगाने की मान्यता भगवान शिव से जुड़ी है. गांव के बगल में ही ऐतिहासिक शिव बाबा का धाम है. यहां हर शुक्रवार और सोमवार को हजारों की संख्या में भक्त शिव बाबा के दर्शन करने और पूजा अर्चना करने आते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि उनके पूर्वजों का मानना था कि जब तक शिव बाबा मंदिर में दरवाजा नहीं लगता, तब तक किसी घर के चौखट में दरवाजा नहीं लग सकता. ग्रामीणों की मान्यता है कि यदि कोई सपने में भी अपने घर का दरवाजा बंद करता है, तो उसके घर और परिवार से साथ अनिष्ट हो जाता है.

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