अंबेडकरनगर: लॉकडाउन की मार किसानों पर पड़ रही है. हर किसान की अपनी-अपनी समस्या है. मेंथा किसानों का कहना है कि तमाम किसान अपनी फसलों की सिंचाई समय पर नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे समय मे किसान कर भी क्या सकते हैं, क्योंकि उनके पास डीजल खरीदने के लिए रुपए ही नहीं है.
मेंथा की खेती को नकद फसल के तौर पर लिया जाता है. जिले में मेंथा की खेती बड़े पैमाने पर होती है. अमूमन तीन माह में मेंथा तैयार हो जाती है और यदि बाजार का भाव ठीक रहा तो किसानों को अच्छा मुनाफा हो जाता है. मसूर, सरसों और गेंहू की फसल काटने के बाद अक्सर किसानों की जमीन जुलाई माह तक खाली ही रहती है. ऐसे में छोटे-बड़े सभी किसान मेंथा की खेती करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने किसानों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. अकसर किसान सरसों, गेंहू आदि बेच कर मेंथा की खेती करते हैं, लेकिन इस बार उनकी फसल की सही कीमत ही नहीं मिल रही है. बिक्री के बाद व्यापारी समय से भुगतान भी नहीं कर रहे हैं. ऐसे में इन किसानों के सामने फसलों की सिंचाई और उसमें खाद की समस्या खड़ी हो गई है.
किसानों का कहना है कि मेंथा की खेती तो शुरू हो गई है. रोपाई भी कर दी गई है, लेकिन अब पैसों के अभाव में सिंचाई समय पर नहीं हो पा रही है, जिससे खेतों में दरारें पड़ गईं हैं. फसल बर्बाद हो रही है.