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भुगतान में देरी पर प्रशासन का चला चाबुक, समितियों की खरीद हुई शून्य

किसानों से धान खरीद और उसके भुगतान में की जा रहे मनमानी को लेकर पंजीकृत समितियों को जिला प्रशासन ने सख्त निर्देश दिए हैं. प्रशासन ने भुगतान में देरी करने वाली समितियों की खरीद को शून्य कर दिया.

13 समितियों की खरीद हुई शून्य.
13 समितियों की खरीद हुई शून्य.
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Published : Nov 30, 2020, 6:59 PM IST

अंबेडकर नगर: किसानों से धान खरीद और उसके भुगतान में की जा रही मनमानी को लेकर पंजीकृत समितियों पर जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है. भुगतान में देरी करने वाली समितियों की खरीद को शून्य कर दिया गया है. साथ ही किसानों को भुगतान करने का स्टेटमेंट प्रशासन को सौंपने के बाद ही उन्हें खरीद की अनुमति मिलेगी.

किसानों से धान खरीद करने के लिए 19 पंजीकृत समितियों के क्रय केंद्र बनाए गए हैं. यहां पर धान की खरीद हो रही है. पंजीकृत समितियों पर धान बेचने वाले किसानों की यह शिकायत रहती थी कि धान की बिक्री करने के कई दिन बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है.

समितियों पर प्रशासन कस रहा नकेल
विभाग के जानकार बताते हैं कि पंजीकृत समितियों को धान का भुगतान तत्काल करना होता है, लेकिन उन्हें चावल उतार के बाद ही सरकार से भुगतान मिलता है. समितियां अपना पैसा खरीद में लगाना नहीं चाहती. इसलिए किसानों से खरीदे गए धान को ऑनलाइन दर्ज नहीं करते. क्योंकि ऑनलाइन खरीद दिखाने पर भुगतान अनिवार्य हो जाएगा. समितियां भुगतान से बचने के लिए कभी नेटवर्क की खराबी तो कभी सर्वर की समस्या का हवाला देकर बचती रहती हैं. समितियों के इस खेल का शिकार किसानों को होना पड़ता है और धान बेचने के बाद भी पखवाड़े भर भटकना पड़ता है. किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन ने अब ऐसी समितियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है.

जिले में कुल 19 समितियां
प्रभारी डिप्टी आरएमओ अवधेश वर्मा का कहना है कि जिले में कुल 19 समितियां हैं. इनमें से सिर्फ 5-6 समितियां बराबर भुगतान कर रही हैं. भुगतान में देरी करने वाली समितियों की खरीद शून्य कर दी गई है. ये समितियां पहले या तो किसानों को भुगतान करें या फिर जितना धान खरीदा है. उसकी कीमत की धनराशि अपने बैंक खाते में रखें और उसका स्टेटमेंट प्रशासन को दें.

इसे भी पढे़ं- धान की खरीद न होने से नाराज किसानों ने किया प्रदर्शन

अंबेडकर नगर: किसानों से धान खरीद और उसके भुगतान में की जा रही मनमानी को लेकर पंजीकृत समितियों पर जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है. भुगतान में देरी करने वाली समितियों की खरीद को शून्य कर दिया गया है. साथ ही किसानों को भुगतान करने का स्टेटमेंट प्रशासन को सौंपने के बाद ही उन्हें खरीद की अनुमति मिलेगी.

किसानों से धान खरीद करने के लिए 19 पंजीकृत समितियों के क्रय केंद्र बनाए गए हैं. यहां पर धान की खरीद हो रही है. पंजीकृत समितियों पर धान बेचने वाले किसानों की यह शिकायत रहती थी कि धान की बिक्री करने के कई दिन बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है.

समितियों पर प्रशासन कस रहा नकेल
विभाग के जानकार बताते हैं कि पंजीकृत समितियों को धान का भुगतान तत्काल करना होता है, लेकिन उन्हें चावल उतार के बाद ही सरकार से भुगतान मिलता है. समितियां अपना पैसा खरीद में लगाना नहीं चाहती. इसलिए किसानों से खरीदे गए धान को ऑनलाइन दर्ज नहीं करते. क्योंकि ऑनलाइन खरीद दिखाने पर भुगतान अनिवार्य हो जाएगा. समितियां भुगतान से बचने के लिए कभी नेटवर्क की खराबी तो कभी सर्वर की समस्या का हवाला देकर बचती रहती हैं. समितियों के इस खेल का शिकार किसानों को होना पड़ता है और धान बेचने के बाद भी पखवाड़े भर भटकना पड़ता है. किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन ने अब ऐसी समितियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है.

जिले में कुल 19 समितियां
प्रभारी डिप्टी आरएमओ अवधेश वर्मा का कहना है कि जिले में कुल 19 समितियां हैं. इनमें से सिर्फ 5-6 समितियां बराबर भुगतान कर रही हैं. भुगतान में देरी करने वाली समितियों की खरीद शून्य कर दी गई है. ये समितियां पहले या तो किसानों को भुगतान करें या फिर जितना धान खरीदा है. उसकी कीमत की धनराशि अपने बैंक खाते में रखें और उसका स्टेटमेंट प्रशासन को दें.

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