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अलीगढ़ में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन - आहुति संस्था

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में प्रदूषण से निपटने के लिये एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन आहुति संस्था की तरफ से किया गया था. इसमें अलीगढ़ मंडल के कमिश्नर और कई पर्यावरणविद मौजूद रहे.

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अलीगढ़ में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन.
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Published : Dec 4, 2019, 7:42 AM IST

अलीगढ़: जनपद में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर कमिश्नरी सभागार में प्रदूषण एवं स्वास्थ्य विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में भोपाल गैस दुर्घटना में मारे गए लोगों को एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन.

प्रदूषण एवं स्वास्थ्य विषय पर कार्यशाला

इस कार्यशाला का मकसद लोगों को प्रदूषण नियंत्रण एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक करना था. प्रदूषण नियंत्रण के लिए हाईकोर्ट, केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा कड़े निर्देश जारी कर प्रदूषण पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन फिर भी वायु, जल, ध्वनि, भूमि प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है.

इस मौके पर कमिश्नर अजयदीप सिंह ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण केवल प्रशासनिक स्तर पर निस्तारित नहीं किया जा सकता. इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सहभागिता प्रदान करनी होगी, उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण का दायित्व समाज के प्रत्येक व्यक्ति को निभाना चाहिए.

ये भी पढ़ें:-मासूम भाई का रखना पड़ता था ध्यान, इसलिए बहनों ने कर दी हत्या

प्रदूषण के चलते भोपाल गैस जैसी दुर्घटना हुई. उसकी परिपाटी आज भी चली आ रही है. हम अपने बारे में सिर्फ सोच रहे हैं और भोगवाद की संस्कृति बढ़ रही हैं. जब तक यह संस्कृति रहेगी. भोपाल त्रासदी जैसी घटना होती रहेगी.
-सुबोध नंदन, पर्यावरणविद

अलीगढ़: जनपद में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर कमिश्नरी सभागार में प्रदूषण एवं स्वास्थ्य विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में भोपाल गैस दुर्घटना में मारे गए लोगों को एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन.

प्रदूषण एवं स्वास्थ्य विषय पर कार्यशाला

इस कार्यशाला का मकसद लोगों को प्रदूषण नियंत्रण एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक करना था. प्रदूषण नियंत्रण के लिए हाईकोर्ट, केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा कड़े निर्देश जारी कर प्रदूषण पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन फिर भी वायु, जल, ध्वनि, भूमि प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है.

इस मौके पर कमिश्नर अजयदीप सिंह ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण केवल प्रशासनिक स्तर पर निस्तारित नहीं किया जा सकता. इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सहभागिता प्रदान करनी होगी, उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण का दायित्व समाज के प्रत्येक व्यक्ति को निभाना चाहिए.

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प्रदूषण के चलते भोपाल गैस जैसी दुर्घटना हुई. उसकी परिपाटी आज भी चली आ रही है. हम अपने बारे में सिर्फ सोच रहे हैं और भोगवाद की संस्कृति बढ़ रही हैं. जब तक यह संस्कृति रहेगी. भोपाल त्रासदी जैसी घटना होती रहेगी.
-सुबोध नंदन, पर्यावरणविद

Intro:अलीगढ़ : अलीगढ़ में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर कमिश्नरी सभागार में प्रदूषण एवं स्वास्थ्य विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में भोपाल गैस दुर्घटना में मारे गए लोगों को एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस कार्यशाला का मकसद लोगों को प्रदूषण नियंत्रण एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक करना था. हालांकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए हाईकोर्ट, केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा कड़े निर्देश जारी कर प्रदूषण पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन फिर भी वायु, जल, ध्वनि, भूमि प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. इस मौके पर कमिश्नर अजयदीप सिंह ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण केवल प्रशासनिक स्तर पर निस्तारित नहीं किया जा सकता. इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सहभागिता प्रदान करनी होगी. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण का दायित्व समाज के प्रत्येक व्यक्ति को निभाना चाहिए.






Body:वही इस कार्यशाला में यज्ञ द्वारा प्रदूषण नियंत्रण की बात कही गई. कमिश्नर अजयदीप सिंह ने बताया कि यज्ञ के माध्यम से भी पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं. आहुति संस्था के अशोक चौधरी ने बताया कि हमारे शास्त्रों में यज्ञ की महिमा बताई गई है. मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी कर्म यज्ञ से बंधे हुए हैं. उन्होंने बताया कि यज्ञ में जो आहुति चढ़ाते हैं उससे जो धुंआ निकलता है. वह सूर्य की किरणों से विकरण कर बादलों की उत्पत्ति करता है और बादलों से वर्षा होती है.  वर्षा से धन धान्य पैदा होता है. उन्होंने कहा कि यज्ञ की प्रवृत्ति समाज में कम हुई है. यज्ञ की प्रवृत्ति के साथ प्रदूषण नियंत्रण के उपाय हैं. उसके प्रति लोगों में जनचेतना जागृत करना हैं. 


Conclusion: पर्यावरणविद सुबोध नंदन ने कहा कि प्रदूषण के चलते भोपाल गैस जैसी दुर्घटना हुई. उसकी परिपाटी आज भी चली आ रही है. उन्होंने कहा कि हम अपने बारे में सिर्फ सोच रहे है और भोगवाद की संस्कृति बढ़ रही हैं. जब तक यह संस्कृति रहेगी. भोपाल त्रासदी जैसी घटना होती रहेगी. 

बाइट - अजयदीप सिंह, कमिश्नर, अलीगढ़ मंडल
बाइट - अशोक चौधरी , अध्यक्ष, आहुति संस्था
बाइट - सुबोध नंदन, पर्यावरविद्

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535 


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