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143 साल पहले दफन किए गए टाइम कैप्सूल को निकालेगा एएमयू - अलीगढ़ टाइम कैप्सूल

अलीगढ़ में 143 साल पहले दफन किए गए टाइम कैप्सूल को बाहर निकाला जाएगा. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति ने यह निर्णय लिया है. एएमयू ने उस टाइम कैप्सूल को बाहर निकालने के लिए कमेटी का गठन किया है.

टाइम कैप्सूल को निकालने की तैयारी
टाइम कैप्सूल को निकालने की तैयारी
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Published : Jan 28, 2021, 5:05 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 6:39 PM IST

अलीगढ़ : जिले में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति ने निर्णय लिया है कि 143 साल पहले दफन किए गए टाइम कैप्सूल को बाहर निकाला जाएगा. इसके लिए एक्सपर्ट लोगों की कमेटी का गठन किया गया है. मोहम्मडन एग्लों ओरियंटल कॉलेज की आधारशिला रखते समय 8 जनवरी साल 1877 को सर सय्यद अहमद खान ने टाइम कैप्सूल को स्ट्रैची हाल के करीब दफन किया था. कैप्सूल दफन करते समय तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिटन भी मौजूद थे. अब एएमयू ने उस टाइम के कैप्सूल को बाहर निकालने के लिए कमेटी का गठन किया है. कमेटी कैप्सूल को बाहर निकालने के तौर तरीकों पर विचार कर रही है.

एएमयू में निकाला जाएगा टाइम कैप्सूल.
कमेटी में कई विभागों के सदस्य

एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि कैप्सूल निकालते समय किसी भवन को नुकसान नहीं पहुंचने और कैप्सूल को आसानी से निकालने पर विचार किया जा रहा है.इस कमेटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, इतिहास विभाग, सर सैय्यद अकेडमी, कंप्यूटर विज्ञान विभाग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस विभाग के लोग शामिल हैं. जरूरत पड़ने पर आर्कियोलाजिक सर्वे आफ इंडिया को भी शामिल करने का प्रयास किया जाएगा.


स्ट्रेची हॉल के पास दफन किया गया था कैप्सूल

एमएओ कॉलेज की आधारशिला स्ट्रेची हॉल के समीप रखी गई थी. इस कैप्सूल को निकालने में कितना खर्च होगा, यह अभी तय नहीं है. 143 साल पहले जमीन के अंदर डाली गई चीज को ढूंढना आसान नहीं है. लेकिन, इलेक्ट्रो मग्नेटोमीटर राडर से यह संभव हो सकता है. सर सय्यद अहमद खान द्वारा डाले गये कैप्सूल को ढूढ़ने में कितने दिन लग जाएंगे, इस बारे में निश्चित नहीं बताया गया है. कैप्सूल कितना नीचे होगा, इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है. हालांकि, पीआरओ कहते हैं कि सर सय्यद द्वारा दफन किए गए कैप्सूल के स्थान का पता कर लिया गया है. लेकिन 143 साल पहले दफन कैप्सूल को खोजना उतना ही मुश्किल है जितना समुद्र में मोती खोजना.

अलीगढ़ : जिले में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति ने निर्णय लिया है कि 143 साल पहले दफन किए गए टाइम कैप्सूल को बाहर निकाला जाएगा. इसके लिए एक्सपर्ट लोगों की कमेटी का गठन किया गया है. मोहम्मडन एग्लों ओरियंटल कॉलेज की आधारशिला रखते समय 8 जनवरी साल 1877 को सर सय्यद अहमद खान ने टाइम कैप्सूल को स्ट्रैची हाल के करीब दफन किया था. कैप्सूल दफन करते समय तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिटन भी मौजूद थे. अब एएमयू ने उस टाइम के कैप्सूल को बाहर निकालने के लिए कमेटी का गठन किया है. कमेटी कैप्सूल को बाहर निकालने के तौर तरीकों पर विचार कर रही है.

एएमयू में निकाला जाएगा टाइम कैप्सूल.
कमेटी में कई विभागों के सदस्य

एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि कैप्सूल निकालते समय किसी भवन को नुकसान नहीं पहुंचने और कैप्सूल को आसानी से निकालने पर विचार किया जा रहा है.इस कमेटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, इतिहास विभाग, सर सैय्यद अकेडमी, कंप्यूटर विज्ञान विभाग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस विभाग के लोग शामिल हैं. जरूरत पड़ने पर आर्कियोलाजिक सर्वे आफ इंडिया को भी शामिल करने का प्रयास किया जाएगा.


स्ट्रेची हॉल के पास दफन किया गया था कैप्सूल

एमएओ कॉलेज की आधारशिला स्ट्रेची हॉल के समीप रखी गई थी. इस कैप्सूल को निकालने में कितना खर्च होगा, यह अभी तय नहीं है. 143 साल पहले जमीन के अंदर डाली गई चीज को ढूंढना आसान नहीं है. लेकिन, इलेक्ट्रो मग्नेटोमीटर राडर से यह संभव हो सकता है. सर सय्यद अहमद खान द्वारा डाले गये कैप्सूल को ढूढ़ने में कितने दिन लग जाएंगे, इस बारे में निश्चित नहीं बताया गया है. कैप्सूल कितना नीचे होगा, इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है. हालांकि, पीआरओ कहते हैं कि सर सय्यद द्वारा दफन किए गए कैप्सूल के स्थान का पता कर लिया गया है. लेकिन 143 साल पहले दफन कैप्सूल को खोजना उतना ही मुश्किल है जितना समुद्र में मोती खोजना.

Last Updated : Jan 28, 2021, 6:39 PM IST
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