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AMU के छात्र रहे इस स्वतंत्रता सेनानी ने दिया था बाल गंगाधर की अर्थी को कंधा

मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक मौलाना शौकत अली का जन्म आज के ही दिन 10 मार्च 1873 को उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुआ था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले मौलाना शौकत अली के जयंती पर उनके के बारे में जानें...

मौलाना शौकत अली.
मौलाना शौकत अली.
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Published : Mar 10, 2021, 4:55 PM IST

अलीगढ़: भारत के मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक मौलाना शौकत अली का जन्म आज के ही दिन 10 मार्च 1873 को उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुआ था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले मौलाना शौकत अली वह राष्ट्रवादी मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने खिलाफत आंदोलन का भारत में नेतृत्व किया था. महात्मा गांधी उन्हें राजनीति में लेकर आए थे. मौलाना शौकत अली हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे. 1 अगस्त 1920 को बाल गंगाधर तिलक की अर्थी को कंधा भी दिया था. वे नहीं चाहते थे कि भारत का बंटवारा हो. लेकिन अफसोस मौलाना शौकत अली स्वतंत्र भारत नहीं देख सके. 18 नवंबर 1938 को उनका निधन हो गया. मोहम्मद अली और शौकत अली भारतीय राजनीति में 'अली बंधुओं' के नाम से मशहूर है.

मौलाना शौकत अली.

देश की आजादी के प्रबल समर्थक
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (पूर्व में एमएओ कॉलेज) में बड़ी तादाद में ऐसे छात्र थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था और गांधीजी के साथ बाल गंगाधर तिलक को भी अपना आदर्श माना था. गांधीजी और बाल गंगाधर तिलक अलीगढ़ लाने वाले मौलाना शौकत अली ही थे. मौलाना शौकत अली देश की स्वतंत्रता के लिए विदेश में भी रहे. उन्होंने गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया. उन्होंने कहा था कि मैं आजाद हिंदुस्तान में वापस लौटूंगा. अगर नहीं लौटा तो मेरी लाश जाएगी. गोलमेज कांफ्रेंस के बाद ही उनकी मौत हो गई थी.

तिलक को बुलाया था अलीगढ़
एएमयू के जनसंपर्क विभाग के राहत अबरार बताते हैं कि 1907 में बाल गंगाधर तिलक अलीगढ़ आए थे. उस समय कार या गाड़ियां नहीं थी. बाल गंगाधर तिलक को बघ्घी पर बैठा कर लाया गया था. उस दौरान अलीगढ़ के लोगों ने बघ्घी के घोड़े खोल दिये और खुद खींच कर स्टेशन से लाये थे. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ में भी उनको सम्मानित किया गया था. मौलाना शौकत अली तिलक से प्रभावित थे.

बाल गंगाधर तिलक को मानते थे आदर्श
हसरत मोहानी, मौलाना मोहम्मद अली के साथ ही शौकत अली भी देश के विभाजन के पक्षधर नहीं थे. राहत अबरार बताते हैं कि 1920 में जब बाल गंगाधर तिलक की मौत हुई तो मौलाना शौकत अली ने उनकी अर्थी को कंधा देकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल दी थी. मौलाना शौकत अली गांधीजी के साथ बाल गंगाधर तिलक को भी अपना आदर्श मानते थे. खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता मौलाना शौकत अली ने बाल गंगाधर तिलक के होम रूल लीग का समर्थन किया था.

भाई के साथ मिलकर चलाया था आंदोलन
दिल्ली के जामा मस्जिद के पास ही शौकत अली मस्जिद है. यहीं पर शौकत अली का मकबरा भी मौजूद है. मौलाना शौकत अली ने अपने बड़े भाई मौलाना मोहम्मद अली जौहर के साथ मिलकर देश में खिलाफत आंदोलन चलाया था, जो 1911 से लेकर 1923 तक चला. शौकत अली अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ क्रिकेट में दिलचस्पी रखते थे. गांधीजी के साथ मौलाना शौकत अली ने देश के कई इलाकों में भ्रमण किया था. इन्हें 'लीडर ऑफ़ मिलियंस मुस्लिम' का खिताब दिया गया था. हिंदू मुस्लिम एकता पर भी इन्होंने जोर दिया और देश की आजादी के लिए कई बार जेल भी गये.

अलीगढ़: भारत के मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक मौलाना शौकत अली का जन्म आज के ही दिन 10 मार्च 1873 को उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुआ था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले मौलाना शौकत अली वह राष्ट्रवादी मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने खिलाफत आंदोलन का भारत में नेतृत्व किया था. महात्मा गांधी उन्हें राजनीति में लेकर आए थे. मौलाना शौकत अली हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे. 1 अगस्त 1920 को बाल गंगाधर तिलक की अर्थी को कंधा भी दिया था. वे नहीं चाहते थे कि भारत का बंटवारा हो. लेकिन अफसोस मौलाना शौकत अली स्वतंत्र भारत नहीं देख सके. 18 नवंबर 1938 को उनका निधन हो गया. मोहम्मद अली और शौकत अली भारतीय राजनीति में 'अली बंधुओं' के नाम से मशहूर है.

मौलाना शौकत अली.

देश की आजादी के प्रबल समर्थक
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (पूर्व में एमएओ कॉलेज) में बड़ी तादाद में ऐसे छात्र थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था और गांधीजी के साथ बाल गंगाधर तिलक को भी अपना आदर्श माना था. गांधीजी और बाल गंगाधर तिलक अलीगढ़ लाने वाले मौलाना शौकत अली ही थे. मौलाना शौकत अली देश की स्वतंत्रता के लिए विदेश में भी रहे. उन्होंने गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया. उन्होंने कहा था कि मैं आजाद हिंदुस्तान में वापस लौटूंगा. अगर नहीं लौटा तो मेरी लाश जाएगी. गोलमेज कांफ्रेंस के बाद ही उनकी मौत हो गई थी.

तिलक को बुलाया था अलीगढ़
एएमयू के जनसंपर्क विभाग के राहत अबरार बताते हैं कि 1907 में बाल गंगाधर तिलक अलीगढ़ आए थे. उस समय कार या गाड़ियां नहीं थी. बाल गंगाधर तिलक को बघ्घी पर बैठा कर लाया गया था. उस दौरान अलीगढ़ के लोगों ने बघ्घी के घोड़े खोल दिये और खुद खींच कर स्टेशन से लाये थे. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ में भी उनको सम्मानित किया गया था. मौलाना शौकत अली तिलक से प्रभावित थे.

बाल गंगाधर तिलक को मानते थे आदर्श
हसरत मोहानी, मौलाना मोहम्मद अली के साथ ही शौकत अली भी देश के विभाजन के पक्षधर नहीं थे. राहत अबरार बताते हैं कि 1920 में जब बाल गंगाधर तिलक की मौत हुई तो मौलाना शौकत अली ने उनकी अर्थी को कंधा देकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल दी थी. मौलाना शौकत अली गांधीजी के साथ बाल गंगाधर तिलक को भी अपना आदर्श मानते थे. खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता मौलाना शौकत अली ने बाल गंगाधर तिलक के होम रूल लीग का समर्थन किया था.

भाई के साथ मिलकर चलाया था आंदोलन
दिल्ली के जामा मस्जिद के पास ही शौकत अली मस्जिद है. यहीं पर शौकत अली का मकबरा भी मौजूद है. मौलाना शौकत अली ने अपने बड़े भाई मौलाना मोहम्मद अली जौहर के साथ मिलकर देश में खिलाफत आंदोलन चलाया था, जो 1911 से लेकर 1923 तक चला. शौकत अली अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ क्रिकेट में दिलचस्पी रखते थे. गांधीजी के साथ मौलाना शौकत अली ने देश के कई इलाकों में भ्रमण किया था. इन्हें 'लीडर ऑफ़ मिलियंस मुस्लिम' का खिताब दिया गया था. हिंदू मुस्लिम एकता पर भी इन्होंने जोर दिया और देश की आजादी के लिए कई बार जेल भी गये.

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