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अलीगढ़ में जननी सुरक्षा योजना पर उठे सवाल, प्रसूताओं को नहीं मिली प्रोत्साहन राशि - decrease in infant mortality due to janni suraksha yojna

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां जननी सुरक्षा योजना के तहत दी जानी वाली प्रोत्साहन राशि प्रसूताओं तक नहीं पहुंच रही है.

संयुक्त चिकित्सालय अलीगढ़.
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Published : Nov 20, 2019, 7:15 PM IST

अलीगढ़: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन प्रसूताओं को आर्थिक मदद देने में स्वास्थ्य विभाग पिछड़ता दिख रहा है. जिले में 2018-19 में 28 हजार से ज्यादा संस्थागत प्रसव किए गए. जिसमें 8 हजार से अधिक प्रसूताओं को अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. वहीं प्रोत्साहन राशि पाने के लिए भटक रहीं महिलाएं सरकारी सिस्टम से हार मान चुकी हैं.

जानकारी देते नोडल अधिकारी डॉ. पीके शर्मा.

जननी सुरक्षा योजना पर उठे सवाल

  • जननी सुरक्षा योजना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2005 में शुरू की गई थी.
  • योजना के तहत शहर में 1000 रुपये और गांव में 1400 रुपए संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
  • इस योजना का उद्देश्य असुरक्षित प्रसव को रोकना है.
  • गर्भवती स्त्रियों को सरकारी अस्पताल पहुंचाने वाली आशाकर्मियों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
  • चेक से भुगतान में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सरकार ने ई-पेमेंट की व्यवस्था शुरू की है.
  • इस व्यवस्था में लाभार्थी का बैंक या डाकघर में खाता और चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पर जच्चा-बच्चा का ब्यौरा दर्ज होना चाहिए.
  • जननी सुरक्षा योजना से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है.
  • इस योजना के तहत दी जाने वाली भुगतान की राशि प्रसूताओं तक नहीं पहुंच रही है.

    इसे भी पढ़ें- यह अस्पताल है, यहां नशेड़ियों का है कब्जा और गंदगी का बोलबाला....

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत भुगतान की स्थिति सबसे खराब है, जबकि संस्थागत प्रसव में यह जिले में दूसरे स्थान पर है. वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अतरौली, इगलास, टप्पल, लोधा ब्लॉक में भी भुगतान की स्थिति ठीक नहीं है. जिला महिला अस्पताल में कुल 5802 प्रसव हुए, जिसमें 906 प्रसूताओं को भुगतान नहीं हो सका है.
- डॉ. पीके शर्मा, नोडल अधिकारी

अलीगढ़: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन प्रसूताओं को आर्थिक मदद देने में स्वास्थ्य विभाग पिछड़ता दिख रहा है. जिले में 2018-19 में 28 हजार से ज्यादा संस्थागत प्रसव किए गए. जिसमें 8 हजार से अधिक प्रसूताओं को अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. वहीं प्रोत्साहन राशि पाने के लिए भटक रहीं महिलाएं सरकारी सिस्टम से हार मान चुकी हैं.

जानकारी देते नोडल अधिकारी डॉ. पीके शर्मा.

जननी सुरक्षा योजना पर उठे सवाल

  • जननी सुरक्षा योजना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2005 में शुरू की गई थी.
  • योजना के तहत शहर में 1000 रुपये और गांव में 1400 रुपए संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
  • इस योजना का उद्देश्य असुरक्षित प्रसव को रोकना है.
  • गर्भवती स्त्रियों को सरकारी अस्पताल पहुंचाने वाली आशाकर्मियों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
  • चेक से भुगतान में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सरकार ने ई-पेमेंट की व्यवस्था शुरू की है.
  • इस व्यवस्था में लाभार्थी का बैंक या डाकघर में खाता और चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पर जच्चा-बच्चा का ब्यौरा दर्ज होना चाहिए.
  • जननी सुरक्षा योजना से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है.
  • इस योजना के तहत दी जाने वाली भुगतान की राशि प्रसूताओं तक नहीं पहुंच रही है.

    इसे भी पढ़ें- यह अस्पताल है, यहां नशेड़ियों का है कब्जा और गंदगी का बोलबाला....

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत भुगतान की स्थिति सबसे खराब है, जबकि संस्थागत प्रसव में यह जिले में दूसरे स्थान पर है. वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अतरौली, इगलास, टप्पल, लोधा ब्लॉक में भी भुगतान की स्थिति ठीक नहीं है. जिला महिला अस्पताल में कुल 5802 प्रसव हुए, जिसमें 906 प्रसूताओं को भुगतान नहीं हो सका है.
- डॉ. पीके शर्मा, नोडल अधिकारी

Intro:अलीगढ़  :  मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है लेकिन प्रसूताओं को आर्थिक मदद देने में स्वास्थ्य विभाग पिछड़ गया है. जननी सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं का भुगतान संतोषजनक नहीं है. 2018-19 में 28 हजार से ज्यादा संस्थागत प्रसव किये गये. लेकिन आठ हजार से अधिक प्रसूताओं को अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. ऐसी महिलाएं भटक रही है. उन्हें मदद के बजाय टरकाया जा रहा है. वहीं सरकारी सिस्टम से हार कर हजारों प्रसूताएं घर बैठ गई है. और इनकी चिंता करने वाला कोई नहीं होता.






Body:जननी सुरक्षा योजना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2005 में शुरू की गई थी. इसके तहत शहर में संस्थागत प्रसव के लिए एक हजार रुपये और ग्रामीण प्रसूता को चौदह सौ रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इनका मकसद असुरक्षित प्रसव को रोकना है. गर्भवती स्त्रियों को सरकारी अस्पताल पहुंचाने वाली आशा कर्मियों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है. हालांकि इस योजना से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है. लेकिन जननी सुरक्षा योजना के तहत दिये जाने वाली भुगतान की राशि प्रसूताओं तक नहीं पहुंच रहा है. 




Conclusion:हालांकि पहले चेक से भुगतान में घालमेल की शिकायतों पर सरकार ने ई- पेमेंट की  व्यवस्था शुरू की. इसमें लाभार्थी का बैंक या डाकघर में खाता और चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पर जच्चा बच्चा का ब्यौरा दर्ज होना चाहिए. जननी सुरक्षा योजना के नोडल अधिकारी डॉ पीके शर्मा कहते हैं कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत भुगतान की स्थिति सबसे खराब है. जबकि संस्थागत प्रसव में यह जिले में दूसरे स्थान पर है. वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अतरौली, इगलास, टप्पल, लोधा ब्लॉक में भी भुगतान की स्थिति ठीक नहीं है. जिला महिला अस्पताल में कुल 5802 प्रसव हुए, जिसमें 906 प्रसूताओं को भुगतान नहीं हो सका. वही जेएन मेडिकल कॉलेज में 3967 प्रसव हुये. जिनमें से 2812 भुगतान लंबित पड़े हैं. वहीं योजना के नोडल अधिकारी डॉ पीके शर्मा ने बताया कि भुगतान कराया जा रहा है. स्थिति सुधर रही है. उन्होंने बताया कि प्रसूताओं से एकाउंट नंबर लेकर भुगतान कराया जा रहा है.

बाइट - डा . पी के शर्मा , एसीएमओ व नोडल अधिकारी (जननी सुरक्षा योजना)

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535


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