अलीगढ़: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन प्रसूताओं को आर्थिक मदद देने में स्वास्थ्य विभाग पिछड़ता दिख रहा है. जिले में 2018-19 में 28 हजार से ज्यादा संस्थागत प्रसव किए गए. जिसमें 8 हजार से अधिक प्रसूताओं को अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. वहीं प्रोत्साहन राशि पाने के लिए भटक रहीं महिलाएं सरकारी सिस्टम से हार मान चुकी हैं.
जननी सुरक्षा योजना पर उठे सवाल
- जननी सुरक्षा योजना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2005 में शुरू की गई थी.
- योजना के तहत शहर में 1000 रुपये और गांव में 1400 रुपए संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
- इस योजना का उद्देश्य असुरक्षित प्रसव को रोकना है.
- गर्भवती स्त्रियों को सरकारी अस्पताल पहुंचाने वाली आशाकर्मियों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
- चेक से भुगतान में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सरकार ने ई-पेमेंट की व्यवस्था शुरू की है.
- इस व्यवस्था में लाभार्थी का बैंक या डाकघर में खाता और चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पर जच्चा-बच्चा का ब्यौरा दर्ज होना चाहिए.
- जननी सुरक्षा योजना से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है.
- इस योजना के तहत दी जाने वाली भुगतान की राशि प्रसूताओं तक नहीं पहुंच रही है.
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जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत भुगतान की स्थिति सबसे खराब है, जबकि संस्थागत प्रसव में यह जिले में दूसरे स्थान पर है. वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अतरौली, इगलास, टप्पल, लोधा ब्लॉक में भी भुगतान की स्थिति ठीक नहीं है. जिला महिला अस्पताल में कुल 5802 प्रसव हुए, जिसमें 906 प्रसूताओं को भुगतान नहीं हो सका है.
- डॉ. पीके शर्मा, नोडल अधिकारी