अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस्लामिक स्टडीज विभाग (department of islamic studies amu) में सनातन धर्म की पढ़ाई को लेकर छात्रों ने एतराज जताया है. छात्रों का कहना है कि जिस डिमार्टमेंट में पहले से सनातन धर्म की पढ़ाई (Sanatan Dharma study in AMU) हो रही है, उसी डिपार्टमेंट में पढ़ाया जाना चाहिए. इंतजामियां ने जो प्रस्ताव को पास किया है, ये मुनासिब नहीं है.
इस मसले को लेकर बुधवार को इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन (Islamic Studies Department Chairman) प्रोफेसर मोहम्मद इस्माइल ने वाइस चांसलर को पत्र भी लिखा था. पत्र में लिखा गया कि इस्लामिक स्टडी विभाग में एक नया कोर्स अगले सत्र से शुरू किया जाएगा. इसका नाम कंपैरेटिव रिलिजन (comparative religion course amu) है. इसमें यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं को सनातन धर्म भी पढ़ाया जाएगा.
मालूम हो कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में तीन दिन पहले ही इस्लामिक स्टडीज विभाग से यूनिवर्सिटी ने मौलाना मोदुदी की किताबों को कोर्स से हटा दिया गया था, और अब सनातन धर्म की पढ़ाई को यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट के छात्रों के कोर्स में शामिल किया गया है. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत की.
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इस संबंध में एएमयू पूर्व छात्र आरिफ त्यागी का कहना है कि विश्वविद्यालय में पहले से ही एक डिपार्टमेंट है, जिसमें सनातम धर्म की पढ़ाई सालों से पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में इस्लामिक स्टडीज विभाग में इस शामिल करना, कहीं ना कहीं इसमें साजिश की बू है. इस तरीके से तरह-तरह के स्टेटमेंट और बातचीत चलती रही, तो बहुत जल्द ही यह अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए सियासी मुद्दा भी हो सकता है.
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