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अलीगढ़: कमिश्नर के हस्तक्षेप से 7 महीने बाद जारी हुआ प्रमाण पत्र

यूपी के अलीगढ़ में लेखपाल द्वारा भ्रष्टाचार का एक मामला सामने आया है. यहां एक आवेदन कर्ता द्वारा हैसियत प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया था, जिसे लेखपाल द्वारा निरस्त कर दिया गया था. इस मामले में कमिश्नर जीएस प्रियदर्शी से भी आवेदनकर्ता ने शिकायत की, जिसके बाद कमिश्नर के हस्तक्षेप पर उसका हैसियत प्रमाण पत्र बन सका.

सात महीने बाद जारी हुआ हैसियत प्रमाण-पत्र
सात महीने बाद जारी हुआ हैसियत प्रमाण-पत्र.
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Published : Aug 23, 2020, 10:56 PM IST

अलीगढ़: जनपद में लेखपाल द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. दरअसल, एटा स्थित जलेसर महावीर गंज निवासी मुकुल कुशवाहा ने हैसियत प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार की विषबेल ने उनके प्रमाण पत्र को आगे ही नहीं बढ़ने दिया. इससे तंग आकर मुकुल कुशवाहा ने आईजीआरएस पोर्टल पर 12 फरवरी 2020 को शिकायत कर कहा कि क्षेत्रीय लेखपाल यदुवीर सिंह द्वारा उनके आवेदन पत्र पर आपत्ति लगाई गई है. बताया गया कि प्राप्त प्रपत्रों में संस्था का नाम गलत दर्शाया गया है, जिस पर उनके द्वारा आपत्ति लगाकर निरस्त करने के संस्तुति कर दी गई.

पीड़ित मुकुल कुशवाहा ने मार्च माह में एक बार फिर हैसियत प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया. ऑनलाइन चेक करने पर ज्ञात हुआ कि लगभग साढ़े तीन माह बीतने के बाद भी आवेदन पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इसके बाद मुकुल कुशवाहा ने जिलाधिकारी एटा सुखलाल भारती को 29 जून को शिकायती पत्र लिखा कि लेखपाल यदुवीर सिंह द्वारा सम्पत्ति का भौतिक सत्यापन करने के लगभग तीन माह व्यतीत हो चुके हैं, लेकिन अभी तक हैसियत प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया. इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने उक्त पत्र की प्रतिलिपि कमिश्नर जीएस प्रियदर्शी को भी भेजी है.

कमिश्नर जीएस प्रियदर्शी ने मुकुल कुशवाहा की शिकायत का संज्ञान लेते हुए डीएम एटा से इस पर जवाब मांगा. जिस पर डीएम ने अपने पत्र में बताया कि मुकुल कुशवाहा निवासी महावीर गंज जलेसर को 18 अगस्त को हैसियत प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया है. इस प्रकरण को लेकर अलीगढ़ कमिश्वर ने सभी डीएम, एसडीएम को निर्देशित किया है कि अधिनस्थों पर अंकुश लगाते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएं और इस तकनीकी युग में कार्यों को लम्बित न रखते हुए त्वरित गति से कार्य कराया जाएं. जिससे शासकीय योजनाओं का लाभ समय से जनता को प्राप्त हो सकें.

अलीगढ़: जनपद में लेखपाल द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. दरअसल, एटा स्थित जलेसर महावीर गंज निवासी मुकुल कुशवाहा ने हैसियत प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार की विषबेल ने उनके प्रमाण पत्र को आगे ही नहीं बढ़ने दिया. इससे तंग आकर मुकुल कुशवाहा ने आईजीआरएस पोर्टल पर 12 फरवरी 2020 को शिकायत कर कहा कि क्षेत्रीय लेखपाल यदुवीर सिंह द्वारा उनके आवेदन पत्र पर आपत्ति लगाई गई है. बताया गया कि प्राप्त प्रपत्रों में संस्था का नाम गलत दर्शाया गया है, जिस पर उनके द्वारा आपत्ति लगाकर निरस्त करने के संस्तुति कर दी गई.

पीड़ित मुकुल कुशवाहा ने मार्च माह में एक बार फिर हैसियत प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया. ऑनलाइन चेक करने पर ज्ञात हुआ कि लगभग साढ़े तीन माह बीतने के बाद भी आवेदन पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इसके बाद मुकुल कुशवाहा ने जिलाधिकारी एटा सुखलाल भारती को 29 जून को शिकायती पत्र लिखा कि लेखपाल यदुवीर सिंह द्वारा सम्पत्ति का भौतिक सत्यापन करने के लगभग तीन माह व्यतीत हो चुके हैं, लेकिन अभी तक हैसियत प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया. इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने उक्त पत्र की प्रतिलिपि कमिश्नर जीएस प्रियदर्शी को भी भेजी है.

कमिश्नर जीएस प्रियदर्शी ने मुकुल कुशवाहा की शिकायत का संज्ञान लेते हुए डीएम एटा से इस पर जवाब मांगा. जिस पर डीएम ने अपने पत्र में बताया कि मुकुल कुशवाहा निवासी महावीर गंज जलेसर को 18 अगस्त को हैसियत प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया है. इस प्रकरण को लेकर अलीगढ़ कमिश्वर ने सभी डीएम, एसडीएम को निर्देशित किया है कि अधिनस्थों पर अंकुश लगाते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएं और इस तकनीकी युग में कार्यों को लम्बित न रखते हुए त्वरित गति से कार्य कराया जाएं. जिससे शासकीय योजनाओं का लाभ समय से जनता को प्राप्त हो सकें.

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