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मुलायम की सरकार में "रामभक्ति" थी अपराध, कारसेवा में जेल गए लोगों ने सुनाई 1990 की दास्तां - Mulayam Singh Yadav

1990 Ram Mandir Story: राम मंदिर आंदोलन की 1990 में जब शुरुआत हुई तब यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. उस समय राम भक्ति को क्यों और कैसे अपराध की श्रेणी में रखा गया था, कार सेवकों को किस तरह की प्रताड़ना सपा सरकार की पुलिस ने दी थी, आईए जानते हैं कार सेवकों की ही जुबानी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 12:43 PM IST

Updated : Jan 7, 2024, 6:18 AM IST

1990 की कारसेवा में शामिल हुए अलीगढ़ के लोगों से संवाददाता ललित राजन की खास बातचीत.

अलीगढ़: मुलायम सिंह यादव 1990 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी सरकार में राम भक्ति एक अपराध थी. ये हम नहीं कह रहे बल्कि जेल से दिए गए सर्टिफिकेट इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. उस दौर में अयोध्या में कार सेवा करने जा रहे कारसेवकों को पुलिस ने बंदी बनाया और जेल में ठूंस दिया था. बाहर निकलने पर जेल की तरफ से उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया था, जिसमें अपराध का कारण लिखा था "राम भक्ति" चालान.

ऐसा ही प्रमाण पत्र अलीगढ़ के मनोज अग्रवाल, अनुराग वार्ष्णेय और अर्जुन देव वार्ष्णेय को भी मिला था. कार सेवा में जेल गए अलीगढ़ के मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि 1990 में राम जन्म भूमि के लिए पूरे देश में करोड़ों रामभक्त जुनून में थे. विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कार सेवा का आह्वान किया तो हर जिले से लाखों लोग कार सेवा के लिए प्रस्थान कर रहे थे. हमारा भी डेढ़ सौ लोगों का जत्था केशव नगर का रेलवे स्टेशन के लिए निकला, जिसको हमें रास्ते में रोककर गिरफ्तार कर लिया गया और कारागार में भेज दिया गया.

Ram Mandir
मनोज कुमार को मिला राम भक्ति का प्रमाण पत्र.

मुलायम सिंह की सरकार उस समय राम भक्तों पर विशेष जुल्म ढा रही थी. यदि कोई भगवा पटका पहनकर निकल जाता था तो उसकी शक की निगाहों से देखा जाता था. उससे पूछताछ होती थी, जो संदिग्ध लगता था तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था. तिलक लगाने से भी भय लगता था. मुगलकाल की यादें ताजा हो गई थीं. मुगल आक्रांता जिस तरह से हिंदू संस्कृति को मिटाने के लिए कार्य किया. उसी तरह समाजवादी पार्टी सरकार राम भक्तों को तोड़ने के लिए अपने जुल्मो सितम में कोई कमी नहीं छोड़ रही थी.

हम लोगों का कोई अपराध नहीं था. हम लोग बस अयोध्या जा रहे थे. अयोध्या जाने पर हमें कार सेवा के लिए रोका गया था. 107/16 के तहत हमारा जो अपराध था वह राम भक्ति था. उस समय के जो जेलर थे उन्होंने हमें प्रमाण पत्र जारी किया और उस अपराध को जो समाजवादी पार्टी की सरकार में अपराध था राम भक्ति, उसको उसमें लिखा गया.

आज उस समय राम भक्ति को अपराध बताने वाले अपने आप को राम भक्त बताते हैं, यह समय का परिवर्तन है. पहले जो लोग राम के अस्तित्व को नकारते थे न्यायालय में हलफनामाआ देते थे. रामसेतु के अस्तित्व को नकारते थे. राम मंदिर की जगह चिकित्सालय और शौचालय बनाने की बात करते थे. आज अपने आप को रामभक्त कहलाने की होड़ मची है कि अपने आप को किस प्रकार राम भक्त कहलाएं.

Ram Mandir
अनुराग वार्ष्णेय को मिला राम भक्ति का प्रमाण पत्र.

कार सेवा में जेल गए अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि हम लोग राम मंदिर के लिए अयोध्या गए थे. मैं विश्व हिंदू परिषद के ग्रुप में गया था और वहां पर पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की तो उनसे नजर बचाकर मैं स्टेशन की तरफ चला गया. बाकी लोगों को उन्होंने गिरफ्तार कर लिया लेकिन मैं निकल कर भाग गया था. उन्होंने मुझे ट्रेन में पकड़ लिया और डंडा मारकर मेरा पैर तोड़ दिया.

उस समय मुलायम सिंह की पुलिस ने बुरी तरीके से मुझे पीटा और पीटने के बाद बन्ना देवी थाने ले गए. वहां ले जाकर मुझे एक दिन रखा और जो प्रताड़ना दे सकते थे उन्होंने दी. उसके बाद शहर के लोगों ने कोशिश करके मेरा चालान करवाकर मुझे जेल भिजवाया. जेल में टूटे हुए पैर से मैंने समय काटा. जब मैं जेल में था तो मेरे घर वाले बहुत परेशान थे. उस समय यह माहौल हो रहा था कि अगर कोई आदमी मंदिर भी जाता तो पाप कर रहा है.

मंदिर जाने की भी हिम्मत नहीं होती थी. जैसे हम हिंदुस्तान में नहीं रह रहे किसी मुस्लिम देश में रह रहे हों. वहां जो सलूक हिंदुओं के साथ होता है वही हमारे लिए हो रहा था यूपी में. जब जेल से हम निकले तो हमें निकलते समय यह सर्टिफिकेट दिया गया था कि राम मंदिर के लिए हम लोग गए थे. हम 11-12 दिन जेल में रहे थे.

Ram Mandir
अर्जुन देव वार्ष्णेय को मिला राम भक्ति का प्रमाण पत्र.

उस समय जेल गए एक और अन्य व्यक्ति अर्जुन देव वार्ष्णेय ने बताया कि यह वाक्या 28-10-1990 के आसपास का, उस समय हम लोगों का एक जत्था अयोध्या जा रहा था. हमको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. हमारे साथ करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ता थे जिनको लेकर हम जेल गए, उन्होंने हमें जेल में बंद करके रखा. अलीगढ़ जिला प्रशासन की तरफ से बाद में हमें सर्टिफिकेट दिया गया उसमें लिखा था राम भक्ति, यानी उस धारा में उन्होंने हमें बंद किया था. 13 दिन हम जेल में रहे थे और तेरहवें दिन हमको जेल से छोड़ दिया था.

उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव थे. उन्होंने कहा था कि अयोध्या में कोई भी परिंदा पर नहीं मार सकता. लेकिन हम लोग जाने को तैयार थे. हम लोग वहां पर जाकर कुछ भी कर देते. जेल में उन्होंने हमें 13 दिन बंद रखा और उसके बाद छोड़ दिया. सर्टिफिकेट केवल हमें इसलिए दिया था कि हम जेल में बंद रहे थे और उसमें धारा थी राम भक्ति. जैसे आज के समय में अन्य धारा होती हैं उस समय मुलायम सिंह की सरकार थी तो राम भक्ति की धारा का हमें सर्टिफिकेट मिला था.

ये भी पढ़ेंः 700 किमी पैदल चलकर रामलला के दर्शन करेंगी शबनम खान, बोलीं- मोदी में दिखते राम, मुस्लिम भी जलाएं दीप

1990 की कारसेवा में शामिल हुए अलीगढ़ के लोगों से संवाददाता ललित राजन की खास बातचीत.

अलीगढ़: मुलायम सिंह यादव 1990 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी सरकार में राम भक्ति एक अपराध थी. ये हम नहीं कह रहे बल्कि जेल से दिए गए सर्टिफिकेट इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. उस दौर में अयोध्या में कार सेवा करने जा रहे कारसेवकों को पुलिस ने बंदी बनाया और जेल में ठूंस दिया था. बाहर निकलने पर जेल की तरफ से उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया था, जिसमें अपराध का कारण लिखा था "राम भक्ति" चालान.

ऐसा ही प्रमाण पत्र अलीगढ़ के मनोज अग्रवाल, अनुराग वार्ष्णेय और अर्जुन देव वार्ष्णेय को भी मिला था. कार सेवा में जेल गए अलीगढ़ के मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि 1990 में राम जन्म भूमि के लिए पूरे देश में करोड़ों रामभक्त जुनून में थे. विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कार सेवा का आह्वान किया तो हर जिले से लाखों लोग कार सेवा के लिए प्रस्थान कर रहे थे. हमारा भी डेढ़ सौ लोगों का जत्था केशव नगर का रेलवे स्टेशन के लिए निकला, जिसको हमें रास्ते में रोककर गिरफ्तार कर लिया गया और कारागार में भेज दिया गया.

Ram Mandir
मनोज कुमार को मिला राम भक्ति का प्रमाण पत्र.

मुलायम सिंह की सरकार उस समय राम भक्तों पर विशेष जुल्म ढा रही थी. यदि कोई भगवा पटका पहनकर निकल जाता था तो उसकी शक की निगाहों से देखा जाता था. उससे पूछताछ होती थी, जो संदिग्ध लगता था तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था. तिलक लगाने से भी भय लगता था. मुगलकाल की यादें ताजा हो गई थीं. मुगल आक्रांता जिस तरह से हिंदू संस्कृति को मिटाने के लिए कार्य किया. उसी तरह समाजवादी पार्टी सरकार राम भक्तों को तोड़ने के लिए अपने जुल्मो सितम में कोई कमी नहीं छोड़ रही थी.

हम लोगों का कोई अपराध नहीं था. हम लोग बस अयोध्या जा रहे थे. अयोध्या जाने पर हमें कार सेवा के लिए रोका गया था. 107/16 के तहत हमारा जो अपराध था वह राम भक्ति था. उस समय के जो जेलर थे उन्होंने हमें प्रमाण पत्र जारी किया और उस अपराध को जो समाजवादी पार्टी की सरकार में अपराध था राम भक्ति, उसको उसमें लिखा गया.

आज उस समय राम भक्ति को अपराध बताने वाले अपने आप को राम भक्त बताते हैं, यह समय का परिवर्तन है. पहले जो लोग राम के अस्तित्व को नकारते थे न्यायालय में हलफनामाआ देते थे. रामसेतु के अस्तित्व को नकारते थे. राम मंदिर की जगह चिकित्सालय और शौचालय बनाने की बात करते थे. आज अपने आप को रामभक्त कहलाने की होड़ मची है कि अपने आप को किस प्रकार राम भक्त कहलाएं.

Ram Mandir
अनुराग वार्ष्णेय को मिला राम भक्ति का प्रमाण पत्र.

कार सेवा में जेल गए अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि हम लोग राम मंदिर के लिए अयोध्या गए थे. मैं विश्व हिंदू परिषद के ग्रुप में गया था और वहां पर पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की तो उनसे नजर बचाकर मैं स्टेशन की तरफ चला गया. बाकी लोगों को उन्होंने गिरफ्तार कर लिया लेकिन मैं निकल कर भाग गया था. उन्होंने मुझे ट्रेन में पकड़ लिया और डंडा मारकर मेरा पैर तोड़ दिया.

उस समय मुलायम सिंह की पुलिस ने बुरी तरीके से मुझे पीटा और पीटने के बाद बन्ना देवी थाने ले गए. वहां ले जाकर मुझे एक दिन रखा और जो प्रताड़ना दे सकते थे उन्होंने दी. उसके बाद शहर के लोगों ने कोशिश करके मेरा चालान करवाकर मुझे जेल भिजवाया. जेल में टूटे हुए पैर से मैंने समय काटा. जब मैं जेल में था तो मेरे घर वाले बहुत परेशान थे. उस समय यह माहौल हो रहा था कि अगर कोई आदमी मंदिर भी जाता तो पाप कर रहा है.

मंदिर जाने की भी हिम्मत नहीं होती थी. जैसे हम हिंदुस्तान में नहीं रह रहे किसी मुस्लिम देश में रह रहे हों. वहां जो सलूक हिंदुओं के साथ होता है वही हमारे लिए हो रहा था यूपी में. जब जेल से हम निकले तो हमें निकलते समय यह सर्टिफिकेट दिया गया था कि राम मंदिर के लिए हम लोग गए थे. हम 11-12 दिन जेल में रहे थे.

Ram Mandir
अर्जुन देव वार्ष्णेय को मिला राम भक्ति का प्रमाण पत्र.

उस समय जेल गए एक और अन्य व्यक्ति अर्जुन देव वार्ष्णेय ने बताया कि यह वाक्या 28-10-1990 के आसपास का, उस समय हम लोगों का एक जत्था अयोध्या जा रहा था. हमको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. हमारे साथ करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ता थे जिनको लेकर हम जेल गए, उन्होंने हमें जेल में बंद करके रखा. अलीगढ़ जिला प्रशासन की तरफ से बाद में हमें सर्टिफिकेट दिया गया उसमें लिखा था राम भक्ति, यानी उस धारा में उन्होंने हमें बंद किया था. 13 दिन हम जेल में रहे थे और तेरहवें दिन हमको जेल से छोड़ दिया था.

उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव थे. उन्होंने कहा था कि अयोध्या में कोई भी परिंदा पर नहीं मार सकता. लेकिन हम लोग जाने को तैयार थे. हम लोग वहां पर जाकर कुछ भी कर देते. जेल में उन्होंने हमें 13 दिन बंद रखा और उसके बाद छोड़ दिया. सर्टिफिकेट केवल हमें इसलिए दिया था कि हम जेल में बंद रहे थे और उसमें धारा थी राम भक्ति. जैसे आज के समय में अन्य धारा होती हैं उस समय मुलायम सिंह की सरकार थी तो राम भक्ति की धारा का हमें सर्टिफिकेट मिला था.

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Last Updated : Jan 7, 2024, 6:18 AM IST
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