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डीयू के प्रोफेसर ने कहा, विश्वविद्यालय का पहला फर्ज है एक नए किस्म का समाज बनाना - डीयू के प्रोफेसर

टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि पिछले पांच-छह सालों में लग रहा है कि देश नफरत में डूब गया है और लोगों ने सोचना बंद कर दिया है, लेकिन विश्वविद्यालय के छात्रों ने हिंदुस्तान को जगा दिया है.

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कार्यक्रम का आयोजन.
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Published : Jan 17, 2020, 11:25 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आर्ट फैकल्टी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा ने लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का फर्ज है कि एक नए तरीके का समाज बनाना और यह नई चीज लोगों में बराबरी, इंसाफ, समानता और आजादी का ख्याल बनाना है.

डीयू के प्रोफेसर ने सीएए का किया विरोध.

लोगों के कानों में खटकता है 'आजादी' शब्द
प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि इस समय लोगों के कान में आजादी शब्द खटकता है. ऐसे कानों को इलाज कराने की जरूरत है. कभी आजादी का नारा दिलों को खिलाने वाला लगता था. उन्होंने कहा कि हम नारे लगाएंगे, लेकिन नारे लगाने से ज्यादा एक समझ पैदा करना जरूरी है.

देश में नफरत का माहौल
प्रो.अपूर्वानंद ने कहा कि पिछले पांच-छह सालों में लग रहा है कि देश नफरत में डूब गया है और लोगों ने सोचना बंद कर दिया, लेकिन विश्वविद्यालय के छात्रों ने हिंदुस्तान को जगा दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा सीएए और एनआरसी के जरिए पूरे मुल्क में नफरत की सियासत करना चाहती है.

ये भी पढ़ें: अलीगढ़: एएमयू में सुरक्षाकर्मियों के साथ शराब पार्टी कर रहे थे यूपी पुलिस दो सिपाही

नफरत की बुनियाद पर टिकी है बीजेपी की सियासत
उन्होंने कहा कि भाजपा की सियासत की बुनियाद नफरत है. वह एंटी माइनॉरिटी और नफरत फैला रहे हैं. अगर वे इसे छोड़ देंगे तो उनकी सियासत खत्म हो जाएगी.

वहीं कुछ टीचरों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने पर उन्होंने कहा कि हर जमाने में दरबार में गीत गाने वाले कवि रहे हैं, लेकिन उनकी बात को कोई याद नहीं करता. लोगों को मालूम है कि ऐसे खत क्यों लिखे जाते हैं और उनके बारे में फिजूल चर्चा नहीं की जा सकती. यह उनकी मजबूरी है.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आर्ट फैकल्टी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा ने लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का फर्ज है कि एक नए तरीके का समाज बनाना और यह नई चीज लोगों में बराबरी, इंसाफ, समानता और आजादी का ख्याल बनाना है.

डीयू के प्रोफेसर ने सीएए का किया विरोध.

लोगों के कानों में खटकता है 'आजादी' शब्द
प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि इस समय लोगों के कान में आजादी शब्द खटकता है. ऐसे कानों को इलाज कराने की जरूरत है. कभी आजादी का नारा दिलों को खिलाने वाला लगता था. उन्होंने कहा कि हम नारे लगाएंगे, लेकिन नारे लगाने से ज्यादा एक समझ पैदा करना जरूरी है.

देश में नफरत का माहौल
प्रो.अपूर्वानंद ने कहा कि पिछले पांच-छह सालों में लग रहा है कि देश नफरत में डूब गया है और लोगों ने सोचना बंद कर दिया, लेकिन विश्वविद्यालय के छात्रों ने हिंदुस्तान को जगा दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा सीएए और एनआरसी के जरिए पूरे मुल्क में नफरत की सियासत करना चाहती है.

ये भी पढ़ें: अलीगढ़: एएमयू में सुरक्षाकर्मियों के साथ शराब पार्टी कर रहे थे यूपी पुलिस दो सिपाही

नफरत की बुनियाद पर टिकी है बीजेपी की सियासत
उन्होंने कहा कि भाजपा की सियासत की बुनियाद नफरत है. वह एंटी माइनॉरिटी और नफरत फैला रहे हैं. अगर वे इसे छोड़ देंगे तो उनकी सियासत खत्म हो जाएगी.

वहीं कुछ टीचरों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने पर उन्होंने कहा कि हर जमाने में दरबार में गीत गाने वाले कवि रहे हैं, लेकिन उनकी बात को कोई याद नहीं करता. लोगों को मालूम है कि ऐसे खत क्यों लिखे जाते हैं और उनके बारे में फिजूल चर्चा नहीं की जा सकती. यह उनकी मजबूरी है.

Intro:अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से नागरिकता कानून के खिलाफ आर्ट फैकल्टी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा ने लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का फर्ज है कि एक नए तरीके का समाज बनाना और यह नई चीज लोगों में बराबरी, इंसाफ, समानता और आजादी का ख्याल बनाना है. उन्होंने कहा कि इस समय लोगों के कान में आजादी शब्द खटकता है. ऐसे कानों को इलाज कराने की जरूरत है. जिनको कान में आजादी, तेजाब की तरह मालूम पड़ती है. उन्होंने कहा कि कभी था कि आजादी का नारा दिलों को खिलाने वाला लगता था. उन्होंने कहा कि हम नारे लगाएंगे .लेकिन नारे लगाने से ज्यादा एक समझ पैदा करना जरूरी है.





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प्रो अपूर्वानंद ने कहा कि पिछले पांच-छह सालों में लग रहा है कि देश नफरत में डूब गया है और लोगों ने सोचना बंद कर दिया. लेकिन विश्वविद्यालय के छात्रों ने हिंदुस्तान को जगा दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा सीएए व एनआरसी के जरिए पूरे मुल्क में नफरत की सियासत करना चाहते हैं.


Conclusion: उन्होंने कहा कि भाजपा की सियासत की बुनियाद नफरत है. वह एंटी माइनॉरिटी और नफरत फैला रहे हैं. अगर वे इसे छोड़ देंगे तो उनकी सियासत खत्म हो जाएगी. वहीं कुछ टीचरों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने पर उन्होंने कहा कि हर जमाने में दरबार में गीत गाने वाले कवि रहे हैं. लेकिन उनकी बात को कोई याद नहीं करता. लोगों को मालूम है कि ऐसे खत क्यों लिखे जाते हैं और उनके बारे में फिजूल चर्चा नहीं की जा सकती. यह उनकी मजबूरी है . 

बाइट -  प्रो अपूर्वानंद , शिक्षक, दिल्ली विश्वविद्यालय 

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535


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