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अलीगढ़: जेएन मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी शुरु - प्लाज्मा थेरेपी

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हो गई है. कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने आशा व्यक्त की है कि प्लाज्मा थेरेपी से रोगियों के शीघ्र स्वस्थ्य होने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा.

plasma machine in jnu medical college aligarh
एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत.
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Published : Aug 1, 2020, 9:44 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त रोगियों के लिए प्लाज्मा थेरेपी शुरू की गई है. एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने जानकारी देते हुए बताया कि कोविड-19 संक्रमित रोगियों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहायक सिद्ध हुई है. मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग के ब्लड बैंक में प्लाज्मा बैंक स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. इससे प्लाज्मा थेरेपी के लिए कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए रोगियों से प्लाज्मा को हासिल कर उसे संग्रह कर सुरक्षित रखना संभव हो सकेगा.

जानकारी देते एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी.

कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने आशा व्यक्त की है कि प्लाज्मा थेरेपी से रोगियों के शीघ्र स्वस्थ होने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा. उन्होंने कहा कि एएमयू का जेएन मेडिकल कॉलेज कोविड-19 महामारी की रोकथाम के उपचार में सक्रिय योगदान दे रहा है. वहीं जेएन मेडिकल कॉलेज के सीएमएस प्रो. शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों को प्लाज्मा के संग्रहण और भंडारण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसएच आरिफ ने कोविड रोगियों से अपील करते हुए कहा कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होने के 14 दिनों के बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं.

प्रो. शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि किडनी नर्वस सिस्टम और अन्य हेमाटोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे रोगियों को अब प्लाज्माफेरेसिस प्रक्रिया के लिए अलीगढ़ से बाहर बडे़ अस्पतालों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी. अब उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डायलिसिस यूनिट नेफ्रोलॉजी डिवीजन में ही गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से रोगियों के लिए स्थापित आधुनिक मशीन से प्लाज्माफेरेसिस की सुविधा उपलब्ध होगी.

एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने बताया कि प्लाज्मा चिकित्सा प्रक्रिया तंत्रिका तंत्र, खून के थक्के बनने संबंधी दुर्लभ विकारों किडनी और फेफड़ों पर हमला करने वाली एंटीबॉडीज से उत्पन्न होने वाली बीमारियों और खून के गाढ़े होने व अंगों को नुकसान पहुंचाने की दशा से संबंधित चिकित्सीय स्थितियों के बड़े क्षेत्र का उपचार करती है. उन्होंने आगे कहा कि प्लाज्मा चिकित्सा प्रक्रिया आरंभ होना मेडिसिन विभाग की नेफ्रोलोजी यूनिट के स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिबद्धता और कठोर श्रम से संभव हो सका.

एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने बताया कि जेएन मेडिकल कॉलेज अब बीएचयू के आईएमएस और एसजीपीजीआई के बाद प्रदेश का तीसरा ऐसा चिकित्सा संस्थान बन गया है, जहां रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी. वहीं प्रोफेसर शादाब खान ने बताया कि जेएन मेडिकल कॉलेज में इस मशीन द्वारा रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा प्रारंभ होने से निजी अस्पतालों के मुकाबले मात्र एक तिहाई खर्च पर उनका इलाज हो सकेगा. इससे उनका आर्थिक बोझ कम होगा.

ये भी पढ़ें: अलीगढ़: जिला अस्पताल में कोरोना मरीजों को नहीं मिल रहा गुणवत्ता परक भोजन

प्रोफेसर शादाब खान ने बताया कि प्लाज्मा चिकित्सा के दौरान मशीन अस्वस्थ प्लाज्मा को हटाकर उसके बदले स्वस्थ प्लाज्मा को चढ़ाएगी. यह चिकित्सा रक्त से हानिकारक तत्वों को दूर करेगी.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त रोगियों के लिए प्लाज्मा थेरेपी शुरू की गई है. एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने जानकारी देते हुए बताया कि कोविड-19 संक्रमित रोगियों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहायक सिद्ध हुई है. मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग के ब्लड बैंक में प्लाज्मा बैंक स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. इससे प्लाज्मा थेरेपी के लिए कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए रोगियों से प्लाज्मा को हासिल कर उसे संग्रह कर सुरक्षित रखना संभव हो सकेगा.

जानकारी देते एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी.

कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने आशा व्यक्त की है कि प्लाज्मा थेरेपी से रोगियों के शीघ्र स्वस्थ होने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा. उन्होंने कहा कि एएमयू का जेएन मेडिकल कॉलेज कोविड-19 महामारी की रोकथाम के उपचार में सक्रिय योगदान दे रहा है. वहीं जेएन मेडिकल कॉलेज के सीएमएस प्रो. शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों को प्लाज्मा के संग्रहण और भंडारण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसएच आरिफ ने कोविड रोगियों से अपील करते हुए कहा कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होने के 14 दिनों के बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं.

प्रो. शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि किडनी नर्वस सिस्टम और अन्य हेमाटोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे रोगियों को अब प्लाज्माफेरेसिस प्रक्रिया के लिए अलीगढ़ से बाहर बडे़ अस्पतालों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी. अब उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डायलिसिस यूनिट नेफ्रोलॉजी डिवीजन में ही गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से रोगियों के लिए स्थापित आधुनिक मशीन से प्लाज्माफेरेसिस की सुविधा उपलब्ध होगी.

एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने बताया कि प्लाज्मा चिकित्सा प्रक्रिया तंत्रिका तंत्र, खून के थक्के बनने संबंधी दुर्लभ विकारों किडनी और फेफड़ों पर हमला करने वाली एंटीबॉडीज से उत्पन्न होने वाली बीमारियों और खून के गाढ़े होने व अंगों को नुकसान पहुंचाने की दशा से संबंधित चिकित्सीय स्थितियों के बड़े क्षेत्र का उपचार करती है. उन्होंने आगे कहा कि प्लाज्मा चिकित्सा प्रक्रिया आरंभ होना मेडिसिन विभाग की नेफ्रोलोजी यूनिट के स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिबद्धता और कठोर श्रम से संभव हो सका.

एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने बताया कि जेएन मेडिकल कॉलेज अब बीएचयू के आईएमएस और एसजीपीजीआई के बाद प्रदेश का तीसरा ऐसा चिकित्सा संस्थान बन गया है, जहां रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी. वहीं प्रोफेसर शादाब खान ने बताया कि जेएन मेडिकल कॉलेज में इस मशीन द्वारा रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा प्रारंभ होने से निजी अस्पतालों के मुकाबले मात्र एक तिहाई खर्च पर उनका इलाज हो सकेगा. इससे उनका आर्थिक बोझ कम होगा.

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प्रोफेसर शादाब खान ने बताया कि प्लाज्मा चिकित्सा के दौरान मशीन अस्वस्थ प्लाज्मा को हटाकर उसके बदले स्वस्थ प्लाज्मा को चढ़ाएगी. यह चिकित्सा रक्त से हानिकारक तत्वों को दूर करेगी.

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