अलीगढ़: कोरोना वायरस सभी के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है. अलीगढ़ में कूड़े के निस्तारण में बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है. कोविड-19 अस्पतालों से निकलने वाले कचरे का निस्तारण जिले में एक गंभीर समस्या बनी हुई है. कोरोना वायरस के उपचार और क्वारंटाइन के समय कई तरह की वस्तुओं का प्रयोग होता है, जिसके बाद सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत उसका निस्तारण किया जाता है. लेकिन अलीगढ़ में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है, जिससे जिले के लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.
कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अलीगढ़ के पं. दीनदयाल उपाध्याय सरकारी अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल में तब्दील किया गया था. यहां 250 बेड कोविड-19 मरीजों के लिए बनाया गया था. कोरोना मरीजों के मद्देनजर शुरूआत में अस्पताल की सही तरीके से साफ-सफाई की जाती थी, लेकिन अब अस्पताल में गंदगी का अंबार लगा हुआ, जिससे मरीज और उनके तीमारदारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत सभी क्वारंटाइन सेंटर को बायो मेडिकल वेस्ट को पीले बैग में एकत्र करना होता है. फिर उसे बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी में भेजना होता है. होम क्वारंटाइन का कचरा भी पीले बैग में रखना होता है. फिर यह कचरा नगर निगम के स्टाफ द्वारा ले जाया जाता है, लेकिन पं. दीनदयाल उपाध्याय सरकारी अस्पताल में इन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए जारी गाइडलाइंस को जिले के बहुत कम ही अस्पताल अमल में ला रहे हैं.
नगर निगम हुआ लापरवाह
नगर निगम के कर्मचारियों के लिए गाइडलाइंस है कि वे कचरा कलेक्शन के काम के समय पीपीई किट पहनेंगे. इसमें थ्री लेयर मास्क, गाउन, ग्लब्स, गम बूट आदि होना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है. जगह-जगह मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट सड़कों के किनारे पड़े नजर आ रहे हैं, तो वहीं अस्पताल के अंदर भी इस तरह के कूड़े का सही प्रबंधन नहीं दिख रहा है. कोविड-19 के कचरे का प्रबंधन एक चुनौती बनता जा रहा है.
घर के बाहर पम्पलेट नहीं
होम क्वारंटाइन होने वाले लोगों में अब देखा जा रहा है कि घर के बाहर पम्पलेट भी नहीं लग रहे हैं. प्रशासन द्वारा यह भी नहीं चेक किया जा रहा है कि लोग कोविड-19 कचरे को अलग करके रख रहे हैं या नहीं. अक्सर आम लोग कोरोना से बचने के लिए मास्क, ग्लब्स आदि चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. घरों में एक साथ कचरा एकत्र किया जाता है, लेकिन इस कचरे को अलग करने का कोई सिस्टम नहीं है. गीला कचरा और सूखा कचरा अलग करने का सिस्टम भी प्रभावी तरीके से नहीं है.
जिले की सड़कों, अस्पतालों, बस स्टैंड आदि जगहों पर इस्तेमाल किए गये मास्क और गल्ब्स मिल रहे हैं. होम क्वारंटाइन लोगों के घरों से निकलने वाले कचरे से संक्रमण फैल सकता है. इससे कचरा इकट्ठा करने वालों को इंफेक्शन भी हो सकता है. इसके लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. कोविड-19 कचरे को सही से निस्तारण किए जाने की जरूरत है.
दीनदयाल उपाध्याय सरकारी अस्पताल में बायो मेडिकल कलेक्शन सेंटर तो बना है, लेकिन कचरा खुले में ही पड़ा हुआ है. कूड़ेदान के बाहर ही कोविड-19 का कचरा पड़ा दिखाई दे रहा है. इसके निस्तारण के लिए कोई ठोस कदम विभाग द्वारा नहीं उठाया जा रहा है.
नगर सफाई मजदूर संघ अध्यक्ष ने दी जानकारी
नगर सफाई मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रदीप भंडारी ने बताया कि फील्ड में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों को मास्क, ग्ल्ब्स, सैनिटाइजर दिया जा रहा है. यदि कर्मचारी कोरोना वायरस संक्रमितों के पास जाते हैं, तो उस दौरान सफाई कर्मचारी को पीपीई किट दी जाती है.
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दौर में सफाई कर्मचारियों के लिए काम करना खतरनाक होता है. लोग इससे बचने के लिए घरों में कैद हैं. सफाई कर्मचारियों को सुविधा दी जा रही है, जिससे वह सुरक्षित रहें. नगर निगम से जुड़े करीब 2400 सफाई कर्मचारी हैं. इनमें से अभी तक एक भी कर्मचारी कोरोना वायरस संक्रमित नहीं हुआ है.
प्रदीप भंडारी ने बताया कि होम क्वारंटाइन में लगे नगर निगम के कर्मचारियों को सुरक्षा के इंतजाम पूरे किए गये हैं. कोविड-19 मरीजों का कूड़ा सफाईकर्मी उठा रहे हैं, लेकिन ईश्वर की कृपा है कि अभी तक कोई भी नगर निगम का सफाईकर्मी कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया है. शहर की आबादी ज्यादा है. ऐसे में 2400 सफाईकर्मी ही काम कर रहे हैं, जबकि सफाई कर्मियों की संख्या और बढ़ाई जानी चाहिए.
समाजसेवी ने उठाई आवाज
समाजसेवी आगा यूनुस खान कोविड-19 कचरे के प्रबंधन पर सवाल उठाते हैं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 कचरे का सही से निस्तारण नहीं हो रहा है. यह एक गंभीर मामला है. कोविड-19 कचरे का निस्तारण सही तरीके से होना ही चाहिए.
सीएमएस ने दी जानकारी
दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एबी सिंह बताते हैं कि हर कोरोना वार्ड में ब्लू, ब्लैक और व्हाइट बैग रखे हैं. सभी वार्डों का कूड़ा इसी बैग में एकत्र किया जाता है. उसके बाद इन सभी कूड़े को एकत्र कर ट्रॉली से एक अलग रूम में पहुंचाया जाता है. इसके बाद यहां से ए टू जेड कंपनी कूड़े को ले जाती है और उसका निस्तारण करती है.
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कचरे को लोग इधर-उधर फेंक देते हैं. इसके लिए डस्टबिन की संख्या बढ़ाई जा रही है. अनजान आदमी अगर मास्क अस्पताल परिसर में नहीं लगाता है, तो उसे जागरूक किया जाता है.
हालांकि सीएमओ के इस दावे के बावजूद भी अस्पताल परिसर में कोविड-19 का कचरा आसानी से देखा जा सकता है, जिसका निस्तारण सही तरीके से नहीं किया जा रहा है. इस लापरवाही से तमाम लोगों की जिंदगियां दांव पर लगी हुई हैं, इसके बावजूद भी जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है.