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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयय के समलैगिंक प्रोफेसर की मौत का नहीं सुलझ रहा रहस्य - aligarh latest news

यूपी के अलीगढ़ में एएमयू के मराठी भाषा के प्रोफेसर रामचंद्र श्रीनिवास सिरास की मौत 11 साल बाद भी पहेली बनी हुई है. जिले के विद्या नगर में किराए के मकान में उनकी डेड बॉडी 7 अप्रैल 2010 को मिली थी. उन्होंने सुसाइड किया या फिर उनकी हत्या हुई थी. यह आज भी रहस्य बना हुआ है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयय के समलैगिंक प्रोफेसर
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयय के समलैगिंक प्रोफेसर
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Published : Apr 7, 2021, 8:54 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयय के मराठी भाषा के प्रोफेसर रामचंद्र श्रीनिवास सिरास की मौत 11 साल बाद भी पहेली बनी हुई है. उनपर समलैंगिकता का आरोप लगाते हुए एएमयू प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इतना ही नहीं उन्हें विश्वविद्यालय में मिले आवास से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था. कुछ लोकल पत्रकारों ने घर में घुसकर उनके निजी जीवन का स्टिंग ऑपरेशन किया गया था. इसके बाद उनके जीवन में तूफान खड़ा हो गया था. विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले के खिलाफ वह इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे. जहां उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिली थी, लेकिन उन्हें जिंदा रहते दोबारा विश्वविद्यालय में ज्वाइन नहीं कराया गया. विद्या नगर में किराए के मकान में उनकी डेड बॉडी 7 अप्रैल 2010 को मिली थी. उन्होंने सुसाइड किया या फिर उनकी हत्या हुई थी. यह आज भी रहस्य बना हुआ है.

रिक्शा चालक के साथ था आपत्तिजनक वीडियो
दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की बेरुखी ने प्रोफेसर सिरास को तोड़ दिया था. वह जीवन में अकेलापन महसूस करने लगे थे. 64 साल की उम्र हो चुकी थी. 6 माह बाद उनका रिटायरमेंट होना था. वह फिर से मराठी विभाग में चेयरमैन बनना चाहते थे लेकिन, स्थानीय पत्रकारों द्वारा उनके आवास में घुसकर उनके निजी जीवन का वीडियो सामने लाया गया. वीडियो सामने आने पर एएमयू प्रशासन ने प्रोफेसर सिरास को सस्पेंड कर दिया था. जानकारी के मुताबिक यह वीडियो एक रिक्शा चालक के साथ था.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

दो दशक तक एएमयू में दी शिक्षा
दो दशक तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उन्होंने अपनी सेवा दी और एक स्टिंग ऑपरेशन से उनकी जिंदगी में तूफान खड़ा हो गया. डॉ. सिरास का शव विद्या नगर में किराए के कमरे में 3 दिन तक पड़ा रहा. जब कमरे से बदबू आने लगी तो पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी थी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोफेसर सिरास के आचरण और व्यवहार को गलत बताते हुए निलंबित कर दिया था. इसके बाद एएमयू प्रशासन के खिलाफ प्रोफेसर सिरास हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने प्रोफेसर सिरास को बहाल कर दिया लेकिन, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एएमयू प्रशासन ने उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया. इस घटना के बाद एएमयू प्रशासन ने उन्हें 7 दिन में आवास खाली करने का आदेश दे दिया था. जब उनकी मौत की खबर आई तो आनन-फानन में जॉइनिंग का लेटर जारी किया गया था.

वह शिक्षक के साथ कवि प्रेमी थे
कुछ लोगों का कहना था कि शिक्षक क्लास रूम में क्या पढ़ाता है यह महत्वपूर्ण है. लेकिन वह अपने बेडरूम में क्या करता है इसका पढ़ाई से कोई मतलब नहीं है. कुछ लोगों ने इसे धर्म से भी जोड़ा और कहा गया कि किसी भी धर्म में समलैंगिकता स्वीकार नहीं है. यह भी कहा गया कि प्रोफेसर सिरास के घर के अंदर घुसकर स्टिंग करने वाले किसी के निजी मामले में कोई कैसे झांक सकता है. यह एक क्राइम है और इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. प्रोफेसर सिरास का अपराध यह था कि वह समलैंगिक थे. उनका दूसरा पहलू भी था. वे शिक्षक के साथ कवि प्रेमी थे. उन्होंने मराठी में कई किताबें भी लिखी हैं.

प्रोफेसर के जीवन पर बनी फिल्म 'अलीगढ़'
सन् 2015 में उनकी लाइफ पर 'अलीगढ़' फिल्म बनी थी. इस फिल्म को कई अवॉर्ड भी मिले. बुसान फेस्टिवल 2015, मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल और लंदन में बीएफआई लंदन फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म को सराहा गया. प्रोफेसर सिरास की मौत के बाद पोस्टमार्टम करने वाले जिला अस्पताल के जिला मलखान सिंह अस्पताल के डॉ. एसके वार्ष्णेय ने बताया कि उनके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए थे. उनका विसरा सुरक्षित रख लिया था. हार्ट अटैक से भी उनकी मौत नहीं हुई थी. डाक्टर वार्ष्णेय बताते हैं कि उनकी बॉडी में जहर के अंश पाए गये थे. उन्होंने बताया कि कानूनी रूप से समलैंगिकता को मान्यता मिल गई है. इनकी अपनी पर्सनल लाइफ होती है. प्रोफेसर सिरास के खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं थी तो इनका उत्पीड़न नहीं करना चाहिए था. उन्होंने सुसाइड किया या फिर किसी ने जहर देकर मारा. इस नतीजे पर अभी नहीं पहुंच पाए हैं. डॉक्टर ने बताया कि किसी को मेंटल टॉर्चर किया जाए या जॉब से हटा दिया जाए, सोशल बहिष्कार कर दिया जाए और उसे बिल्कुल एकाकी जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया जाए. तो ऐसे व्यक्ति को मानसिक मदद की जरूरत होती है.

समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक धारा से हटाया
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष माजिद हुसैन ने बताया कि वह समलैंगिक थे. पत्नी से तलाक हो गया था. कुछ लोगों ने घर में घुसकर उनका स्टिंग किया था. जिसके आधार पर एएमयू प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था. हाईकोर्ट ने उन्हें राहत दी थी लेकिन, ज्वाइनिंग को लेकर कश्मकश बनी हुई थी. माजिन ने बताया कि प्रोफेसर सिरास ने मरने से पहले कहा था कि जिस यूनिवर्सिटी को उन्होंने दो दशक दिया और जिसको बेइंतहा मोहब्बत की वह लोग मुझसे नफरत करने लगे तो अब सहन नहीं होता.

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट डॉ. एपी सिंह ने बताया कि समलैंगिकों से अब भेदभाव नहीं रह गया है. सन् 2018 में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने फैसले में समलैंगिकता को आपराधिक कानून की धारा से हटा दिया था. अब उनके कानूनी अधिकार हैं लेकिन, समाज इसे स्वीकार नहीं कर रहा है और उनका शोषण करता है.

प्रो. सिराज के साथ घटी घटना पर एक नजर-

  • 8 फरवरी 2010- एक वीडियो में रिक्शा चालक के साथ प्रोफेसर सिरास आपत्तिजनक अवस्था में दिखे.
  • 10 फरवरी 2010- एएमयू प्रशासन ने प्रोफेसर रामचंद श्रीनिवास सिरास को सस्पेंड कर दिया और विश्वविद्यालय से मिला मकान छोड़ने का निर्देश.
  • 22 मार्च 2010- रामचंद्र सिराज ने सभी आरोप नकारे और इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की.
  • 4 अप्रैल 2010- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें बहाल करने का निर्देश दिया था.
  • 07 अप्रैल 2010- प्रोफेसर रामचंद्र सिरास किराए के मकान में मृत पाए गए.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयय के मराठी भाषा के प्रोफेसर रामचंद्र श्रीनिवास सिरास की मौत 11 साल बाद भी पहेली बनी हुई है. उनपर समलैंगिकता का आरोप लगाते हुए एएमयू प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इतना ही नहीं उन्हें विश्वविद्यालय में मिले आवास से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था. कुछ लोकल पत्रकारों ने घर में घुसकर उनके निजी जीवन का स्टिंग ऑपरेशन किया गया था. इसके बाद उनके जीवन में तूफान खड़ा हो गया था. विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले के खिलाफ वह इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे. जहां उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिली थी, लेकिन उन्हें जिंदा रहते दोबारा विश्वविद्यालय में ज्वाइन नहीं कराया गया. विद्या नगर में किराए के मकान में उनकी डेड बॉडी 7 अप्रैल 2010 को मिली थी. उन्होंने सुसाइड किया या फिर उनकी हत्या हुई थी. यह आज भी रहस्य बना हुआ है.

रिक्शा चालक के साथ था आपत्तिजनक वीडियो
दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की बेरुखी ने प्रोफेसर सिरास को तोड़ दिया था. वह जीवन में अकेलापन महसूस करने लगे थे. 64 साल की उम्र हो चुकी थी. 6 माह बाद उनका रिटायरमेंट होना था. वह फिर से मराठी विभाग में चेयरमैन बनना चाहते थे लेकिन, स्थानीय पत्रकारों द्वारा उनके आवास में घुसकर उनके निजी जीवन का वीडियो सामने लाया गया. वीडियो सामने आने पर एएमयू प्रशासन ने प्रोफेसर सिरास को सस्पेंड कर दिया था. जानकारी के मुताबिक यह वीडियो एक रिक्शा चालक के साथ था.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

दो दशक तक एएमयू में दी शिक्षा
दो दशक तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उन्होंने अपनी सेवा दी और एक स्टिंग ऑपरेशन से उनकी जिंदगी में तूफान खड़ा हो गया. डॉ. सिरास का शव विद्या नगर में किराए के कमरे में 3 दिन तक पड़ा रहा. जब कमरे से बदबू आने लगी तो पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी थी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोफेसर सिरास के आचरण और व्यवहार को गलत बताते हुए निलंबित कर दिया था. इसके बाद एएमयू प्रशासन के खिलाफ प्रोफेसर सिरास हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने प्रोफेसर सिरास को बहाल कर दिया लेकिन, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एएमयू प्रशासन ने उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया. इस घटना के बाद एएमयू प्रशासन ने उन्हें 7 दिन में आवास खाली करने का आदेश दे दिया था. जब उनकी मौत की खबर आई तो आनन-फानन में जॉइनिंग का लेटर जारी किया गया था.

वह शिक्षक के साथ कवि प्रेमी थे
कुछ लोगों का कहना था कि शिक्षक क्लास रूम में क्या पढ़ाता है यह महत्वपूर्ण है. लेकिन वह अपने बेडरूम में क्या करता है इसका पढ़ाई से कोई मतलब नहीं है. कुछ लोगों ने इसे धर्म से भी जोड़ा और कहा गया कि किसी भी धर्म में समलैंगिकता स्वीकार नहीं है. यह भी कहा गया कि प्रोफेसर सिरास के घर के अंदर घुसकर स्टिंग करने वाले किसी के निजी मामले में कोई कैसे झांक सकता है. यह एक क्राइम है और इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. प्रोफेसर सिरास का अपराध यह था कि वह समलैंगिक थे. उनका दूसरा पहलू भी था. वे शिक्षक के साथ कवि प्रेमी थे. उन्होंने मराठी में कई किताबें भी लिखी हैं.

प्रोफेसर के जीवन पर बनी फिल्म 'अलीगढ़'
सन् 2015 में उनकी लाइफ पर 'अलीगढ़' फिल्म बनी थी. इस फिल्म को कई अवॉर्ड भी मिले. बुसान फेस्टिवल 2015, मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल और लंदन में बीएफआई लंदन फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म को सराहा गया. प्रोफेसर सिरास की मौत के बाद पोस्टमार्टम करने वाले जिला अस्पताल के जिला मलखान सिंह अस्पताल के डॉ. एसके वार्ष्णेय ने बताया कि उनके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए थे. उनका विसरा सुरक्षित रख लिया था. हार्ट अटैक से भी उनकी मौत नहीं हुई थी. डाक्टर वार्ष्णेय बताते हैं कि उनकी बॉडी में जहर के अंश पाए गये थे. उन्होंने बताया कि कानूनी रूप से समलैंगिकता को मान्यता मिल गई है. इनकी अपनी पर्सनल लाइफ होती है. प्रोफेसर सिरास के खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं थी तो इनका उत्पीड़न नहीं करना चाहिए था. उन्होंने सुसाइड किया या फिर किसी ने जहर देकर मारा. इस नतीजे पर अभी नहीं पहुंच पाए हैं. डॉक्टर ने बताया कि किसी को मेंटल टॉर्चर किया जाए या जॉब से हटा दिया जाए, सोशल बहिष्कार कर दिया जाए और उसे बिल्कुल एकाकी जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया जाए. तो ऐसे व्यक्ति को मानसिक मदद की जरूरत होती है.

समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक धारा से हटाया
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष माजिद हुसैन ने बताया कि वह समलैंगिक थे. पत्नी से तलाक हो गया था. कुछ लोगों ने घर में घुसकर उनका स्टिंग किया था. जिसके आधार पर एएमयू प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था. हाईकोर्ट ने उन्हें राहत दी थी लेकिन, ज्वाइनिंग को लेकर कश्मकश बनी हुई थी. माजिन ने बताया कि प्रोफेसर सिरास ने मरने से पहले कहा था कि जिस यूनिवर्सिटी को उन्होंने दो दशक दिया और जिसको बेइंतहा मोहब्बत की वह लोग मुझसे नफरत करने लगे तो अब सहन नहीं होता.

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट डॉ. एपी सिंह ने बताया कि समलैंगिकों से अब भेदभाव नहीं रह गया है. सन् 2018 में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने फैसले में समलैंगिकता को आपराधिक कानून की धारा से हटा दिया था. अब उनके कानूनी अधिकार हैं लेकिन, समाज इसे स्वीकार नहीं कर रहा है और उनका शोषण करता है.

प्रो. सिराज के साथ घटी घटना पर एक नजर-

  • 8 फरवरी 2010- एक वीडियो में रिक्शा चालक के साथ प्रोफेसर सिरास आपत्तिजनक अवस्था में दिखे.
  • 10 फरवरी 2010- एएमयू प्रशासन ने प्रोफेसर रामचंद श्रीनिवास सिरास को सस्पेंड कर दिया और विश्वविद्यालय से मिला मकान छोड़ने का निर्देश.
  • 22 मार्च 2010- रामचंद्र सिराज ने सभी आरोप नकारे और इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की.
  • 4 अप्रैल 2010- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें बहाल करने का निर्देश दिया था.
  • 07 अप्रैल 2010- प्रोफेसर रामचंद्र सिरास किराए के मकान में मृत पाए गए.
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