अलीगढ़: जिले की एक संस्था लावारिश लाशों के लिए मसीहा का काम कर रही है. जहां कहीं भी लावारिस शव का पता चल जाएं. संस्था के लोग वहां पहुंच जाते हैं. मकसद सिर्फ लावारिस शवों को सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार कराना है. लावारिस शवों का अंतिम संस्कार ये पूरे श्रद्धा और कर्मकांड के अनुसार करते हैं. साल 2000 से मानव उपकार संस्था ने ये कवायद शुरू की थी.
अब तक करीब 4600 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. वहीं पितृ पक्ष में लावारिस शवों का अस्थि विसर्जन देश की पवित्र नदियों में संस्था के लोग करते हैं. इस बार 169 लोगों के अस्थि कलश का विसर्जन कन्याकुमारी के रामेश्वरम में करने जा रहे हैं. इस संस्था के सदस्य अलीगढ़ के कमिश्नर अजयदीप सिंह भी है.
पढ़ें: जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने के लिए डॉक्टरों ने चलाया हस्ताक्षर अभियान
मानव उपकार संस्था 169 लावारिस शवों का करेंगी अंतिम संस्कार
मानव उपकार संस्था ऐसे दिवंगत् लोगों का अंतिम संस्कार कराती है. जिनके परिजन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं या उनका इस दुनिया में कोई नहीं होता है. संस्था अंतिम संस्कार के बाद इनकी अस्थियों को पवित्र नदियों में विसर्जन करने का काम भी करते हैं. जो अपने आप में बहुत अनूठा है. इससे बड़ा सत्कार्य कोई हो नहीं सकता. मानव उपकार संस्था ने इस साल 169 ऐसे लावारिस लोगों के अस्थि विसर्जन का काम करने जा रही हैं. लावारिस लोगों का अस्थि विसर्जन कन्याकुमारी के रामेश्वरम में किया जाएगा.
संस्था से जुड़े हैं 239 सदस्य
मानव उपकार की संस्था से जुड़े 239 लोग भी इस पुण्य काम में शामिल हो रहे हैं. ये अस्थि विसर्जन कराने के लिए साथ में जाएंगे. वहीं यह लोग अपने खर्चे पर ही यह लोग जा रहे हैं. इससे दिवंगत् आत्माओं को शांति मिलेगी और इस सत्कर्म से जुड़े लोगों का जीवन भी सफल होगा. इस महान कार्य में जो लोग सहभागी बन रहे हैं. परमात्मा भी इससे खुश होगा. दूसरे लोगों भी इस संस्था से प्रेरणा ले सकते है . वहीं कमिश्नर अजयदीप सिंह भी नुमाइश मैदान में अस्थि कलश को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे और यात्रा को रामेश्वरम के लिए रवाना किया .
संस्था के अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि
मानव उपकार संस्था लावारिस शवों का अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार करती है. उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी करती है. उन्होंने बताया कि सनातन हिंदू धर्म में बताया गया है कि किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां पवित्र नदियों में विसर्जन जब तक न किया जाएं. आत्मा को शांति नहीं मिलती. इस समय पितृपक्ष चल रहा है और इसमें श्राद्ध का भी महत्व होता है. जब तक अस्थि विसर्जन नहीं की जाती, तब तक उनकी आत्मा को तर्पण नहीं मिलता है.
उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए कई वर्षों से हर साल पितृपक्ष में लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने के बाद अस्थियों के विसर्जन के लिए पवित्र जगहों पर जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार 169 ऐसे हिंदूओं के लावारिस शव मिले .जिनकी पहचान नहीं हो पाई. उन लोगों की अस्थियों को लेकर कन्याकुमारी के रामेश्वरम जा रहे हैं.