अलीगढ़: जिले के हरदुआगंज पावर हाउस में दूसरे राज्यों से काम करने आए हजारों मजदूर मुश्किलों में हैं. दरअसल, ये मजदूर पावर हाउस में बिजली उत्पादन के लिए बन रही नई यूनिट में मजदूरी कर रहे थे. देशव्यापी लॉकडाउन के चलते अब ये यहीं फंस गए हैं. इस कठिन समय में तोशिबा कंपनी ने पिछले तीन महीने की मजदूरी भी इनको नहीं दी है, जिस कारण मजदूरों के पास राशन खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. मजदूरों का कहना है कि न ही हम लोगों राशन मिल रहा है और न ही कोई राजकीय सहायता, जिस कारण हम लोग नहर में मछली पकड़कर पेट भरने को मजबूर हैं.
तीन महीने से नहीं मिली मजदूरी
दरअसल, हरदुआगंज पावर हाउस में 660 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए नई यूनिट का निर्माण कार्य चल रहा है. यहां बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से करीब दो हजार मजदूर काम में लगे थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते आधे मजदूर पैदल ही अपने राज्य लौट गये. अब लगभग एक हजार से ज्यादा मजदूर यहां फंस गए हैं. अब न इनके पास खाने के लिए राशन बचा है और न पैसा. तोशिबा कंपनी भी इनकी मजदूरी तीन महीने से लटकाये हुए है. जिला प्रशासन से भी इन लोगों को कोई सहायता नहीं मिल रही है. जिस कारण भूख लगने पर करीब की नहर में मछली पकड़ कर जीवन यापन को मजबूर हैं.
नहर से मछली पकड़ कर खाने को मजबूर
सीतामढ़ी से आए नरेंद्र ने बताया कि हम लोगों को अभी तक कंपनी ने वेतन नहीं दिया है, जिस वजह से लॉकडाउन में हम लोग राशन और साग-सब्जी नहीं खरीद पा रहे हैं. भूख मिटाने के लिए हम लोग नहर में मछली पकड़कर पेट भर रहे हैं. वहीं मीर हासिम ने बताया कि 15 दिन से कोई देखने तक नहीं आया है. कंपनी ने मजदूरी भी नहीं दी है. अब कंपनी मजदूरी दे या न दे 14 तारीख के बाद नहीं रुकेंगे. अपने घर को वापस लौटेंगे, चाहे पुलिस डंडे ही क्यों न मारे. बिहार के हरेराम ने बताया कि यहां कई राज्यों के मजदूर फंसे हैं. हम लोग दूर से आकर काम कर रहे हैं. कंपनी अगर मजदूरी दे देती तो परिवार के लोगों के लिए अच्छा होता.
सरकारी दावे हवा-हवाई
लॉकडाउन में इन लोगों के हालात ठीक नहीं है. सरकारी दावे यहां हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. यह हालात तब हैं जब सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यहां हर राज्य के लोगों को राहत उपलब्ध कराई जाएगी.