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जब देश के पहले शिक्षा मंत्री ने एएमयू में दिया था भाषण

आज राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस है. ये दिन आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में हर वर्ष 11 नवंबर को मनाया जाता है. मौलाना अबुल कलाम आजाद 20 फरवरी, 1949 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे.

मौलाना अबुल कलाम आजाद.
मौलाना अबुल कलाम आजाद.
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Published : Nov 11, 2020, 9:28 PM IST

अलीगढ़: स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से गहरा लगाव था. उन्होंने देश के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया था. उस समय विश्वविद्यालय ने उन्हें 'डॉक्टरेट ऑफ थियोलॉजी' की मानद उपाधि से नवाजा था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उन्हीं के नाम पर मौलाना आजाद लाइब्रेरी भी बनी है, जो कि एशिया की प्रमुख लाइब्रेरीज में शुमार है.

AMU के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा.

अबुल कलाम के नाम पर बनी लाइब्रेरी में 15 लाख किताबों के साथ ही दुर्लभ पांडुलिपियों व ऐतिहासिक किताबें भी हैं. अबुल कलाम के जन्म दिवस पर उन्हें एएमयू में याद किया गया. वहीं, उनके नाम पर ही नेशनल एजुकेशन डे मनाया जाता है. बता दें कि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना मौलाना आजाद ने ही की थी.

मुख्य अतिथि के तौर पर हुए थे शामिल
11 नवंबर के दिन मौलाना आजाद का जन्म 1888 में सऊदी अरब के मक्का में हुआ था. मौलाना अबुल कलाम आजाद 20 फरवरी 1949 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे. स्ट्रैची हॉल में हुए समारोह में भाषण भी दिया था. तब एएमयू के कुलपति पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन थे. हालांकि इसके बाद अबुल कलाम का एएमयू में आना नहीं हुआ, लेकिन लगातार उनका संपर्क यहां से बना रहा.

देश के पहले शिक्षा मंत्री ने एएमयू में दिया था भाषण.
देश के पहले शिक्षा मंत्री ने एएमयू में दिया था भाषण.

एएमयू में मौलाना आजाद के नाम पर बनी है लाइब्रेरी
1958 में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के निधन के बाद विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी का नाम उनके नाम पर रखा गया. इस लाइब्रेरी की नींव 1955 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी. नेहरू ने हीं 1960 में लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था. मौलाना आजाद देश की आजादी के बाद महत्वपूर्ण राजनीतिक पद पर रहे. मौलाना अबुल कलाम महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए उन्होंने काम किया. अबुल कलाम ने द्विराष्ट्र वाद सिद्धांत का विरोध किया और 1923 में कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष भी बनें.


मौलाना आजाद का चश्मा व कपड़ा म्यूजियम में दान
मौलाना अबुल कलाम आजाद के निधन के बाद उनके परिवार ने एएमयू में लाइब्रेरी को उनका सारा सामान दान कर दिया था. अबुल कलाम से जुड़ी हुई यादें आज भी लाइब्रेरी में सुरक्षित हैं. वहीं उनके नाम पर बनी लाइब्रेरी में ही एक म्यूजियम भी है. इस म्यूजियम में ही मौलाना आजाद के कपड़े, चश्मा, बर्तन और बेंत आदि सामान रखा गया है.

इसे भी पढ़ें- खबर का असर, एएमयू पेंशनधारकों को जल्द मिलेगी बकाया पेंशन

अलीगढ़: स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से गहरा लगाव था. उन्होंने देश के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया था. उस समय विश्वविद्यालय ने उन्हें 'डॉक्टरेट ऑफ थियोलॉजी' की मानद उपाधि से नवाजा था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उन्हीं के नाम पर मौलाना आजाद लाइब्रेरी भी बनी है, जो कि एशिया की प्रमुख लाइब्रेरीज में शुमार है.

AMU के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा.

अबुल कलाम के नाम पर बनी लाइब्रेरी में 15 लाख किताबों के साथ ही दुर्लभ पांडुलिपियों व ऐतिहासिक किताबें भी हैं. अबुल कलाम के जन्म दिवस पर उन्हें एएमयू में याद किया गया. वहीं, उनके नाम पर ही नेशनल एजुकेशन डे मनाया जाता है. बता दें कि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना मौलाना आजाद ने ही की थी.

मुख्य अतिथि के तौर पर हुए थे शामिल
11 नवंबर के दिन मौलाना आजाद का जन्म 1888 में सऊदी अरब के मक्का में हुआ था. मौलाना अबुल कलाम आजाद 20 फरवरी 1949 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे. स्ट्रैची हॉल में हुए समारोह में भाषण भी दिया था. तब एएमयू के कुलपति पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन थे. हालांकि इसके बाद अबुल कलाम का एएमयू में आना नहीं हुआ, लेकिन लगातार उनका संपर्क यहां से बना रहा.

देश के पहले शिक्षा मंत्री ने एएमयू में दिया था भाषण.
देश के पहले शिक्षा मंत्री ने एएमयू में दिया था भाषण.

एएमयू में मौलाना आजाद के नाम पर बनी है लाइब्रेरी
1958 में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के निधन के बाद विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी का नाम उनके नाम पर रखा गया. इस लाइब्रेरी की नींव 1955 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी. नेहरू ने हीं 1960 में लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था. मौलाना आजाद देश की आजादी के बाद महत्वपूर्ण राजनीतिक पद पर रहे. मौलाना अबुल कलाम महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए उन्होंने काम किया. अबुल कलाम ने द्विराष्ट्र वाद सिद्धांत का विरोध किया और 1923 में कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष भी बनें.


मौलाना आजाद का चश्मा व कपड़ा म्यूजियम में दान
मौलाना अबुल कलाम आजाद के निधन के बाद उनके परिवार ने एएमयू में लाइब्रेरी को उनका सारा सामान दान कर दिया था. अबुल कलाम से जुड़ी हुई यादें आज भी लाइब्रेरी में सुरक्षित हैं. वहीं उनके नाम पर बनी लाइब्रेरी में ही एक म्यूजियम भी है. इस म्यूजियम में ही मौलाना आजाद के कपड़े, चश्मा, बर्तन और बेंत आदि सामान रखा गया है.

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