अलीगढ़:अलीगढ़ में जिला कारागार में कैद बंदी अपने जीवन को नई दिशा देने में लगे हुए हैं. बंदी अपनी प्रतिभा के बल पर कुछ नया कर रहे है. दीपावली के मौके पर कैदी झालर बना रहे है. यह झालर लोगों को खूब पसंद आ रही है. लोग झालरों को हाथों हाथ ले रहे हैं. जिला कारागार में रंग बिरंगी झालरों को बनाने के लिए कई संगठनों ने आर्डर दिया है. वहीं, जेल में जाकर भी लोग झालरों को खरीद रहे हैं. दरअसल जिला कारागार में कौशल विकास केंद्र से प्रशिक्षित बंदी झालर और झूमर बना कर कमाई कर रहे हैं.
जिला कारागार में इस समय करीब चार हजार से अधिक बंदी है. यहां बंदी पेंटिंग, रंगोली मेकिंग, हार्टीकल्चर के साथ सेहत बनाने जैसे रचनात्मक कार्यों में प्रदेश में अपना नाम चमका रहे हैं. वहीं, बंदिओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास केंद्र भी कारागार में ही शुरू किया गया था. यहां से बदी कंप्यूटर प्रशिक्षण के साथ ही आकर्षक सामान बनाकर आजीविका कमा रहे हैं. वही, दीपावली के मौके पर बंदिओं ने झालर, झूमर, एलइडी बल्ब, नाइट लैंप सहित कई इलेक्ट्रिक सामान बनाना शुरू किया है.
जिला कारागार के जेल अधीक्षक पीके सिंह ने बताया कि गेट के पास ही आउटलेट बनाया गया है. जहां रोजाना मुलाकात के दौरान आने वाले लोग झालर खरीद रहे हैं. जेल में करीब 32 बंदी इस काम में लगे हुए हैं. जो रोज 8 घंटा काम करते हैं. बंदियों को झालर बनाने के लिए संस्था की तरफ से रॉ मैटेरियल उपलब्ध कराया गया है.
झालर बनाने के लिए नोएडा की वीएस एनर्जी कंपनी ने बंदियों से दो हजार से अधिक झालर बनवाई है. वहीं, लखनऊ की संस्था ने भी करीब साढ़े पांच सौ झालर ली है. डिप्टी जेलर राजेश राय ने बताया कि बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से कई गतिविधियां की जा रही है. इसमें कैदी भी रुचि भी ले रहे हैं. ऑर्डर के हिसाब से सभी बंदी काम कर रहे हैं. वहीं, बंधियों द्वारा बनाई गई झालरें चाइनीस झालर के मुकाबले सस्ती और अच्छी है. यह झालर पानी से भी खराब नहीं होगी और करंट लगने की संभावना भी कम है. झालरों की कीमत 90 रुपये से शुरू होती है. वही फैंसी एलइडी लाइट 70 रुपये की है.
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