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पीड़िता के अंतिम बयान पर टिकी है हाथरस गैंगरेप की जांच - dying declaration of victim

यूपी के हाथरस जिले में हुए गैंगरेप की मेडिको-लीगल रिपोर्ट आ चुकी है. इस रिपोर्ट में पीड़िता के साथ गैंगरेप होने की पुष्टि की गई है, मगर फरेंसिक रिपोर्ट में अस्पष्टता के कारण पीड़िता के अंतिम बयान पर हाथरस गैंगरेप की जांच टिकी हुई है.

हाथरस गैंगरेप की जांच
हाथरस गैंगरेप की जांच
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Published : Oct 7, 2020, 10:20 PM IST

अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर गठित एसआईटी हाथरस गैंगरेप मामले की जांच कर रही है. हालांकि प्रदेश सरकार इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर चुकी है. इन दोनों जांच में पीड़िता का वह बयान भी महत्वपूर्ण होगा, जो उसने अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में दिया था. हॉस्पिटल के डॉक्टर हमजा मलिक के अनुसार, 22 सितंबर को जब पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी थी, तब उससे पुलिस और मैजिस्ट्रेट की मौजूदगी में 'डाइंग डिक्लेरेशन' यानी अंतिम बयान लिया गया था. हालांकि हाथरस पुलिस बयान के दौरान मैजिस्ट्रेट की उपस्थिति से इनकार कर रही है. अपने बयान में पीड़ित लड़की ने रेप की बात कही थी और आरोपियों के नाम भी बताए थे. इस संबंध में एक वीडियो भी वायरल हुआ था.

कैसे सामने आई गैंगरेप की बात
अलीगढ़ के मेडकिल कॉलेज में गैंगरेप पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर ताबिश ने उसकी मौत के दूसरे दिन बयान दिया था. डॉक्टर ताबिश ने कहा था कि पीड़िता को जब होश आया तो उसने अपने साथ हुए गलत काम की जानकारी दी थी. उस समय उसके पैर और हाथ काम नहीं कर रहे थे. बयान के बाद गायनिक और फरेंसिक डिपार्टमेंट को जांच के लिए बुलाया गया. दोनों विभाग के डॉक्टरों ने अपनी जांच में क्या पाया, इसका खुलासा नहीं किया गया. डॉक्टर ताबिश ने बताया कि जांच के बाद मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर पीड़िता की जांच की गई.

hathras news
अलीगढ़ में हुए मेडिको लीगल रिपोर्ट में दुष्कर्म के संकेत मिले थे.

पहली चूक तो हाथरस जिला अस्पताल में हुई
वारदात के बाद 14 सितंबर को पीड़िता को पहले हाथरस के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने गले में चोट का हवाला देकर उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था. यहां पर पीड़िता की चोटों की मेडिको-लीगल जांच हुई, जिसमें शरीर के बाहरी हिस्सों यानी गर्दन में चोट, कंधे पर खरोंच, पीठ पर चोट मिली. वहां उसके साथ हुए रेप की जांच नहीं हुई.

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अलीगढ़ में हुए मेडिको लीगल रिपोर्ट में दुष्कर्म के संकेत मिले थे.

मेडिको लीगल में रेप के संकेत मगर फरेंसिक जांच ने उलझाया
पीड़िता के 22 सितंबर को दिए गए बयान के बाद जब मेडिको लीगल जांच की गई तो दुष्कर्म होने के संकेत बताए गए. मगर फरेंसिक लैब में इसकी पुष्टि नहीं हो पाई, जबकि मेडिको-लीगल रिपोर्ट में प्राइवेट पार्ट की झिल्ली का क्षतिग्रस्त होना और घाव होने की बात स्पष्ट तौर से की गई है.

हाथरस दुष्कर्म कांड में जानें क्या बोले डॉक्टर और कानूनविद्.

क्या है डाइंग डिक्लरेशन
डाइंग डिक्लेरेशन के बारे में जेएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ हमजा मलिक ने बताया कि अगर मरीज बहुत गंभीर है और डॉक्टर को लग रहा है कि आने वाले वक्त में वह बचेगा नहीं. तो ऐसे में पीड़ित का बयान लिया जाता है. इसमें डॉक्टर के साथ मैजिस्ट्रेट और पुलिस के अधिकारी भी साथ में रहते हैं. उस समय फैमिली के मेंबर का मौजूद होना महत्वपूर्ण नहीं है. उन्होंने बताया कि डाइंग डिक्लेरेशन को इंडियन एविडेंस एक्ट के सेक्शन-32 के तहत महत्व दिया गया है. उन्होंने बताया कि हाथरस मामले में अब जो साक्ष्य मौजूद हैं, उसे डॉक्टर कोर्ट में पेश करेंगे.

मैजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 के तहत दिया गया बयान काफी महत्वपूर्ण होता है. अगर इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, मैजिस्ट्रेट और डॉक्टर की उपस्थिति में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया है, तो 'डाइंग डिक्लेरेशन' यानी अंतिम बयान माना जा सकता है. हाथरस के मामले में पीड़िता के बयान को लेकर गफलत की स्थिति है. अगर पुलिस 164 का बयान लेती तो केस मजबूत और स्पष्ट हो जाता.

मुकेश सैनी , वरिष्ठ एडवोकेट

अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर गठित एसआईटी हाथरस गैंगरेप मामले की जांच कर रही है. हालांकि प्रदेश सरकार इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर चुकी है. इन दोनों जांच में पीड़िता का वह बयान भी महत्वपूर्ण होगा, जो उसने अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में दिया था. हॉस्पिटल के डॉक्टर हमजा मलिक के अनुसार, 22 सितंबर को जब पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी थी, तब उससे पुलिस और मैजिस्ट्रेट की मौजूदगी में 'डाइंग डिक्लेरेशन' यानी अंतिम बयान लिया गया था. हालांकि हाथरस पुलिस बयान के दौरान मैजिस्ट्रेट की उपस्थिति से इनकार कर रही है. अपने बयान में पीड़ित लड़की ने रेप की बात कही थी और आरोपियों के नाम भी बताए थे. इस संबंध में एक वीडियो भी वायरल हुआ था.

कैसे सामने आई गैंगरेप की बात
अलीगढ़ के मेडकिल कॉलेज में गैंगरेप पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर ताबिश ने उसकी मौत के दूसरे दिन बयान दिया था. डॉक्टर ताबिश ने कहा था कि पीड़िता को जब होश आया तो उसने अपने साथ हुए गलत काम की जानकारी दी थी. उस समय उसके पैर और हाथ काम नहीं कर रहे थे. बयान के बाद गायनिक और फरेंसिक डिपार्टमेंट को जांच के लिए बुलाया गया. दोनों विभाग के डॉक्टरों ने अपनी जांच में क्या पाया, इसका खुलासा नहीं किया गया. डॉक्टर ताबिश ने बताया कि जांच के बाद मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर पीड़िता की जांच की गई.

hathras news
अलीगढ़ में हुए मेडिको लीगल रिपोर्ट में दुष्कर्म के संकेत मिले थे.

पहली चूक तो हाथरस जिला अस्पताल में हुई
वारदात के बाद 14 सितंबर को पीड़िता को पहले हाथरस के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने गले में चोट का हवाला देकर उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था. यहां पर पीड़िता की चोटों की मेडिको-लीगल जांच हुई, जिसमें शरीर के बाहरी हिस्सों यानी गर्दन में चोट, कंधे पर खरोंच, पीठ पर चोट मिली. वहां उसके साथ हुए रेप की जांच नहीं हुई.

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अलीगढ़ में हुए मेडिको लीगल रिपोर्ट में दुष्कर्म के संकेत मिले थे.

मेडिको लीगल में रेप के संकेत मगर फरेंसिक जांच ने उलझाया
पीड़िता के 22 सितंबर को दिए गए बयान के बाद जब मेडिको लीगल जांच की गई तो दुष्कर्म होने के संकेत बताए गए. मगर फरेंसिक लैब में इसकी पुष्टि नहीं हो पाई, जबकि मेडिको-लीगल रिपोर्ट में प्राइवेट पार्ट की झिल्ली का क्षतिग्रस्त होना और घाव होने की बात स्पष्ट तौर से की गई है.

हाथरस दुष्कर्म कांड में जानें क्या बोले डॉक्टर और कानूनविद्.

क्या है डाइंग डिक्लरेशन
डाइंग डिक्लेरेशन के बारे में जेएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ हमजा मलिक ने बताया कि अगर मरीज बहुत गंभीर है और डॉक्टर को लग रहा है कि आने वाले वक्त में वह बचेगा नहीं. तो ऐसे में पीड़ित का बयान लिया जाता है. इसमें डॉक्टर के साथ मैजिस्ट्रेट और पुलिस के अधिकारी भी साथ में रहते हैं. उस समय फैमिली के मेंबर का मौजूद होना महत्वपूर्ण नहीं है. उन्होंने बताया कि डाइंग डिक्लेरेशन को इंडियन एविडेंस एक्ट के सेक्शन-32 के तहत महत्व दिया गया है. उन्होंने बताया कि हाथरस मामले में अब जो साक्ष्य मौजूद हैं, उसे डॉक्टर कोर्ट में पेश करेंगे.

मैजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 के तहत दिया गया बयान काफी महत्वपूर्ण होता है. अगर इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, मैजिस्ट्रेट और डॉक्टर की उपस्थिति में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया है, तो 'डाइंग डिक्लेरेशन' यानी अंतिम बयान माना जा सकता है. हाथरस के मामले में पीड़िता के बयान को लेकर गफलत की स्थिति है. अगर पुलिस 164 का बयान लेती तो केस मजबूत और स्पष्ट हो जाता.

मुकेश सैनी , वरिष्ठ एडवोकेट

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