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डॉ. गेल मिनाल और अंजुमन-ए-इस्लाम को मिला सर सैय्यद उत्कृष्टता पुरस्कार

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने इस वर्ष प्रतिष्ठित इतिहासकार और लेखक डॉ. गेल मिनाल और मुंबई की अंजुमन-ए-इस्लाम संस्था को अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय सर सैय्यद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए चयनित किया है.

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Published : Oct 2, 2020, 4:55 PM IST

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने इस वर्ष अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर एमिरिट्स और प्रतिष्ठित इतिहासकार और लेखक डॉ. गेल मिनाल एवं मुंबई की अंजुमन-ए-इस्लाम संस्था को अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय सर सैय्यद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए चयनित किया है. यह पुरस्कार 17 अक्टूबर 2020 को आनलाइन आयोजित होने वाले सर सैयद दिवस स्मरणोत्सव समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा.

यह निर्णय गुरुवार को कुलपति प्रो. तारिक मंसूर की अध्यक्षता में सर सैयद दिवस समारोह समिति की एक आनलाइन बैठक में लिया गया. अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए क्रमशः दो लाख और एक लाख रुपये की नगद धनराशि प्रदान की जाती है. प्रो. गेल मिनाल ने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से पीएचडी (1972) की है. वह 1972 से टेक्सास विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहीं हैं. 19वीं तथा 20वीं शताब्दी के भारत के सामाजिक इतिहास, धर्म, राजनीति तथा महिला आंदोलन पर उनके शोध कार्यों को विश्वभर में बड़े आदर से देखा जाता है.

अब तक उनकी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. जिनमें खिलाफत आंदोलन- धार्मिक प्रतीकवाद और भारत में राजनीतिक गतिशीलता (1982) तथा एकाकी विद्वान-औपनिवेशिक भारत में महिला शिक्षा तथा मुस्लिम सुधार (1997) विशेष हैं. उन्होंने कई पुस्तकों का संपादन भी किया है. जिनमें विस्तारित परिवार-भारत और पाकिस्तान में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी (1981), पृथक दुनिया-दक्षिणी एशिया में पर्दा पर अध्यन (1982) तथा अबुल कलाम आजाद-धर्मिक तथा बौद्धिक जीवनी (1988) शामिल है. उन्होंने वायस आफ साइलेंस (1986) नाम से एक पुस्तक का अनुवाद भी किया है. उनकी एक पुस्तक 'जेंडर, लैंग्वेज एंड लर्निंग-एसेज इन इंडो-मुस्लिम कल्चरल हिस्ट्री (2009) भी प्रकाशित हो चुकी है.

दूसरी ओर मुंबई की अंजुमन-ए-इस्लाम एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान है, जिसे 1874 में जस्टिस बदरुद्दीन तैय्यब के नेतृत्व में स्थापित किया गया था. इस संस्थान ने महाराष्ट्र में शिक्षा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्राइमरी कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर कक्षाओं तक 100 से अधिक शिक्षण संस्थान इसके अंतर्गत चल रहे हैं. जिनमें इंजीनियरिंग, यूनानी मेडिसिन, मेडिकल, एजूकेशन, मैनेजमेंट, कामर्स, होटल मैनेजमेंट, फार्मेसी, आर्कीटेक्चर, कैटरिंग तथा होटल मैनेजमेंट आदि के कॉलेज शामिल हैं. अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान के अंतर्गत विभिन्न पाठ्यक्रमों में लगभग सवा लाख छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं.

17 अक्टूबर को होने वाले सर सैयद दिवस समारोह की अध्यक्षता कुलपति. प्रो तारिक मंसूर करेंगे. जबकि पुरस्कार विजेताओं के लिए प्रशस्ति पत्र का पाठ कुलसचिव अब्दुल हमीद करेंगे. इनोवेशन काउंसिल पुरस्कार कुलपति द्वारा दिये जाएंगे. जबकि सहकुलपति प्रोफेसर जहीरउद्दीन युवा शोधार्थी पुरस्कार प्रदान करेंगे. सर सैयद दिवस स्मृति कार्यक्रमों का आरंभ 17 अक्टूबर को फजर की नमाज के बाद जामा मस्जिद में कुरान ख्वानी के साथ होगा. जिसके उपरांत कुलपति सर सैयद के मजार पर फूलों की चादर अर्पित की जाएगी. इसके उपरांत कुलपति सर सैयद अकादमी में सर सैयद के चित्रों, पुस्तकों और लेखों पर आधारित एक प्रदर्शिनी का उद्घाटन करेंगे.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने इस वर्ष अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर एमिरिट्स और प्रतिष्ठित इतिहासकार और लेखक डॉ. गेल मिनाल एवं मुंबई की अंजुमन-ए-इस्लाम संस्था को अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय सर सैय्यद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए चयनित किया है. यह पुरस्कार 17 अक्टूबर 2020 को आनलाइन आयोजित होने वाले सर सैयद दिवस स्मरणोत्सव समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा.

यह निर्णय गुरुवार को कुलपति प्रो. तारिक मंसूर की अध्यक्षता में सर सैयद दिवस समारोह समिति की एक आनलाइन बैठक में लिया गया. अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए क्रमशः दो लाख और एक लाख रुपये की नगद धनराशि प्रदान की जाती है. प्रो. गेल मिनाल ने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से पीएचडी (1972) की है. वह 1972 से टेक्सास विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहीं हैं. 19वीं तथा 20वीं शताब्दी के भारत के सामाजिक इतिहास, धर्म, राजनीति तथा महिला आंदोलन पर उनके शोध कार्यों को विश्वभर में बड़े आदर से देखा जाता है.

अब तक उनकी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. जिनमें खिलाफत आंदोलन- धार्मिक प्रतीकवाद और भारत में राजनीतिक गतिशीलता (1982) तथा एकाकी विद्वान-औपनिवेशिक भारत में महिला शिक्षा तथा मुस्लिम सुधार (1997) विशेष हैं. उन्होंने कई पुस्तकों का संपादन भी किया है. जिनमें विस्तारित परिवार-भारत और पाकिस्तान में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी (1981), पृथक दुनिया-दक्षिणी एशिया में पर्दा पर अध्यन (1982) तथा अबुल कलाम आजाद-धर्मिक तथा बौद्धिक जीवनी (1988) शामिल है. उन्होंने वायस आफ साइलेंस (1986) नाम से एक पुस्तक का अनुवाद भी किया है. उनकी एक पुस्तक 'जेंडर, लैंग्वेज एंड लर्निंग-एसेज इन इंडो-मुस्लिम कल्चरल हिस्ट्री (2009) भी प्रकाशित हो चुकी है.

दूसरी ओर मुंबई की अंजुमन-ए-इस्लाम एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान है, जिसे 1874 में जस्टिस बदरुद्दीन तैय्यब के नेतृत्व में स्थापित किया गया था. इस संस्थान ने महाराष्ट्र में शिक्षा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्राइमरी कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर कक्षाओं तक 100 से अधिक शिक्षण संस्थान इसके अंतर्गत चल रहे हैं. जिनमें इंजीनियरिंग, यूनानी मेडिसिन, मेडिकल, एजूकेशन, मैनेजमेंट, कामर्स, होटल मैनेजमेंट, फार्मेसी, आर्कीटेक्चर, कैटरिंग तथा होटल मैनेजमेंट आदि के कॉलेज शामिल हैं. अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान के अंतर्गत विभिन्न पाठ्यक्रमों में लगभग सवा लाख छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं.

17 अक्टूबर को होने वाले सर सैयद दिवस समारोह की अध्यक्षता कुलपति. प्रो तारिक मंसूर करेंगे. जबकि पुरस्कार विजेताओं के लिए प्रशस्ति पत्र का पाठ कुलसचिव अब्दुल हमीद करेंगे. इनोवेशन काउंसिल पुरस्कार कुलपति द्वारा दिये जाएंगे. जबकि सहकुलपति प्रोफेसर जहीरउद्दीन युवा शोधार्थी पुरस्कार प्रदान करेंगे. सर सैयद दिवस स्मृति कार्यक्रमों का आरंभ 17 अक्टूबर को फजर की नमाज के बाद जामा मस्जिद में कुरान ख्वानी के साथ होगा. जिसके उपरांत कुलपति सर सैयद के मजार पर फूलों की चादर अर्पित की जाएगी. इसके उपरांत कुलपति सर सैयद अकादमी में सर सैयद के चित्रों, पुस्तकों और लेखों पर आधारित एक प्रदर्शिनी का उद्घाटन करेंगे.

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