अलीगढ़: अलीगढ़ में नई बस्ती इलाके में पिछले 4-5 सालों से एक तालाब में रह रहा मगरमच्छ स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बन गया था. बुधवार की सुबह मगरमच्छ पोखर से बाहर निकल कर आया तो स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग की टीम को दे दी. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को रेस्क्यू कर पकड़ लिया. इसके बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली.
स्थानीय लोगों का कहना था कि यह मगरमच्छ पोखर में पिछले कई वर्षों से रह रहा था. बारिश के बाद यह गलियों में घूमता था. इसके कारण इलाके में दहशत बनी हुई थी, आए दिन यह मगरमच्छ पोखर से बाहर आ जाया करता था. सीसीटीवी कैमरे में भी यह मगरमच्छ कैद हुआ. इसको लेकर वन विभाग को कई बार शिकायती पत्र दिया गया था, लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गये. इधर जब यह मगरमच्छ बुधवार को पोखर के बाहर दिखाई दिया तो लोगों ने इसकी घेराबंदी कर वन विभाग को सूचना दे दी. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने इसका रेस्क्यू कर मौके से पकड़ लिया.
वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ के मुताबिक इस तरह का मगरमच्छ चंबल घाटी में पाया जाता है. हो सकता है कि यह बदरपुर के ट्रक की बालू में कहीं आ गया हो. इस मगरमच्छ को शायद किसी बालू कारोबारी ने देखा और उसे पोखर में छोड़ दिया हो तभी से यह मछलियां खाकर यहां रह रहा था.
स्थानीय निवासी राशिद ने बताया कि मगरमच्छ आज सुबह ट्रक के नीचे बैठा था. स्थानीय लोगों ने जब देखा तो वन विभाग को सूचना दी. योजनाबद्ध तरीके से मगरमच्छ को पकड़ा गया. राशिद ने बताया कि मगरमच्छ के चलते स्थानीय लोगों में दहशत थी. कई वर्षों से यहां रह रहा था. यह मोहल्ले में गलियों में आ जाता था और लोगों के घरों के गेट पर भी बैठ जाता था जिससे बच्चों के लिए बहुत खतरा बना हुआ था. अब मगरमच्छ के पकड़े जाने से राहत मिली है, हालांकि राशिद बताते हैं कि एक मगरमच्छ और हो सकता है लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं है.
स्थानीय निवासी नादिर खान ने बताया कि पिछले 4-5 सालों से मगरमच्छ यहां पोखर में था जिससे इलाका दहशत में था. कुछ समय से मगरमच्छ तालाब से लगातार निकल रहा था. इस बारे में वन विभाग को सूचना दी गई थी. वन विभाग ने भी अपनी टीम लगाई थी लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा था. वहीं, मगरमच्छ की एक्टिविटी पर स्थानीय लोगों ने नजर रखी. जिला वन अधिकारी दिवाकर वशिष्ठ ने बताया कि यह मादा मगरमच्छ है और इसकी लंबाई 212 सेंटीमीटर नापी गई है.