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एएमयू में शोध छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले में प्रोफेसर को क्लीन चिट, लीक हो गई रिपोर्ट - अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शोध छात्रा ने प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जांच के बाद आरोपी प्रोफेसर को क्लीन चिट दे दी गई है.

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Published : Jun 23, 2023, 8:44 PM IST

अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक से पहले ही शोध छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले की जांच रिपोर्ट लीक हो गई. शनिवार को काउंसिल की सर सैयद हाउस में बैठक होनी है. इसमें काउंसिल के 20 सदस्य शामिल होंगे. वहीं वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न के आरोप में आंतरिक शिकायत कमेटी की रिपोर्ट बैठक से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है. लीक रिपोर्ट में आरोपी प्रोफेसर को क्लीन चिट दी गई है.

बता दें कि एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में शोध छात्रा के साथ उत्पीड़न प्रकरण पर चर्चा होनी है. लीक रिपोर्ट में कमेटी ने यह जानकारी दी है कि केस के दो पहलू है. पहला प्रोफेसर पीएचडी की थीसिस सबमिट नहीं होने दे रहे, वहीं प्रोफेसर ने शोध छात्रा का यौन उत्पीड़न किया. पीएचडी शोध छात्रा ने प्रोफेसर पर नीयत ठीक नहीं होने का आरोप लगाया. प्रोफेसर पर गंदे कमेंट और फायदा उठाने की बात कही. जब पीएचडी छात्रा ने मना किया तो प्रोफेसर ने उनकी पीएचडी सबमिट करवाने से मना कर दिया, वहीं पीएचडी स्कॉलर ने परेशान होकर एएमयू रजिस्ट्रार के माध्यम से ई-मेल करके शिकायत की थी. रजिस्ट्रार ने मामला आंतरिक शिकायत कमेटी को सौंपा. वहीं लीक रिपोर्ट में कमेटी ने जांच में पाया गया कि प्रोफेसर पर उत्पीड़न की बात बेबुनियाद हैं.

कमेटी के सामने पेश हुए दो गवाह : पीएचडी छात्रा ने जिन पांच गवाहों के नाम दिए, उनमें सिर्फ दो कमेटी के सामने पेश हुए. उन दोनों ने भी सिर्फ यही कहा कि प्रोफेसर अनुशासन को लेकर सख्त हैं. उत्पीड़न को लेकर कोई बात सामने नहीं आई है. पीएचडी छात्रा ने डिपार्टमेंट की एक महिला एसोसिएट प्रोफेसर को गवाह बनाया. लेकिन उन्होंने भी कोई ऐसी बात नहीं कही. बल्कि उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अच्छे इंसान हैं. उनके बारे में कभी कोई बात नहीं सुनी गई. गवाहों ने भी प्रोफेसर के खिलाफ कोई तथ्य या गवाही पेश नहीं की.

वाट्सएप चैट में भी कुछ नहीं मिला : लीक रिपोर्ट में बताया गया कि वाट्सएप चैट देखी गई, तो उसमें भी कुछ आपत्तिजनक नहीं निकला. कमेटी ने पाया कि उत्पीड़न की कोई बात सामने नहीं आई है. दबाव बनाने के लिए उत्पीड़न की कहानी बनाई गई, जिससे पीएचडी की थीसिस सबमिट हो जाएं. कमेटी ने कहा कि छात्रा की थीसिस पर प्रोफेसर ने आपत्ति लगाई थी. इसमें कंटेंट और भाषा में सुधार के लिए कहा गया. रिसर्च का कंटेंट चोरी किया हुआ पाया गया था. प्रोफेसर ने इसे सही करने के लिए कहा था, लेकिन छात्रा चाहती थी कि पीएचडी जल्द सबमिट हो जाए, क्योंकि काफी समय पहले ही निकल चुका था. कमेटी की रिपोर्ट में मुख्य बात यह है कि जब स्कॉलर से पूछा गया कि आप क्या चाहती हैं, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वह अपने सुपरवाइजर और सह-पर्यवेक्षक को बदलना चाहती हैं.

आंतरिक शिकायत कमेटी की लीक रिपोर्ट यह भी कहती है कि वाइल्ड लाइफ विभाग के प्रोफेसरों में आपस में ही सियासत है. इसे लेकर छात्रा को मोहरा बनाया गया. किसी के प्रमोशन का मसला है. इसका प्रोफेसर समाधान नहीं होने दे रहे हैं. कमेटी ने कहा कि प्रोफेसर पर फर्जी आरोप लगाए गए हैं.

यह भी पढ़ें : जाहिद ने आर्यन बनकर हिंदू युवती को प्रेमजाल में फंसाया, गिरफ्तार

अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक से पहले ही शोध छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले की जांच रिपोर्ट लीक हो गई. शनिवार को काउंसिल की सर सैयद हाउस में बैठक होनी है. इसमें काउंसिल के 20 सदस्य शामिल होंगे. वहीं वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न के आरोप में आंतरिक शिकायत कमेटी की रिपोर्ट बैठक से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है. लीक रिपोर्ट में आरोपी प्रोफेसर को क्लीन चिट दी गई है.

बता दें कि एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में शोध छात्रा के साथ उत्पीड़न प्रकरण पर चर्चा होनी है. लीक रिपोर्ट में कमेटी ने यह जानकारी दी है कि केस के दो पहलू है. पहला प्रोफेसर पीएचडी की थीसिस सबमिट नहीं होने दे रहे, वहीं प्रोफेसर ने शोध छात्रा का यौन उत्पीड़न किया. पीएचडी शोध छात्रा ने प्रोफेसर पर नीयत ठीक नहीं होने का आरोप लगाया. प्रोफेसर पर गंदे कमेंट और फायदा उठाने की बात कही. जब पीएचडी छात्रा ने मना किया तो प्रोफेसर ने उनकी पीएचडी सबमिट करवाने से मना कर दिया, वहीं पीएचडी स्कॉलर ने परेशान होकर एएमयू रजिस्ट्रार के माध्यम से ई-मेल करके शिकायत की थी. रजिस्ट्रार ने मामला आंतरिक शिकायत कमेटी को सौंपा. वहीं लीक रिपोर्ट में कमेटी ने जांच में पाया गया कि प्रोफेसर पर उत्पीड़न की बात बेबुनियाद हैं.

कमेटी के सामने पेश हुए दो गवाह : पीएचडी छात्रा ने जिन पांच गवाहों के नाम दिए, उनमें सिर्फ दो कमेटी के सामने पेश हुए. उन दोनों ने भी सिर्फ यही कहा कि प्रोफेसर अनुशासन को लेकर सख्त हैं. उत्पीड़न को लेकर कोई बात सामने नहीं आई है. पीएचडी छात्रा ने डिपार्टमेंट की एक महिला एसोसिएट प्रोफेसर को गवाह बनाया. लेकिन उन्होंने भी कोई ऐसी बात नहीं कही. बल्कि उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अच्छे इंसान हैं. उनके बारे में कभी कोई बात नहीं सुनी गई. गवाहों ने भी प्रोफेसर के खिलाफ कोई तथ्य या गवाही पेश नहीं की.

वाट्सएप चैट में भी कुछ नहीं मिला : लीक रिपोर्ट में बताया गया कि वाट्सएप चैट देखी गई, तो उसमें भी कुछ आपत्तिजनक नहीं निकला. कमेटी ने पाया कि उत्पीड़न की कोई बात सामने नहीं आई है. दबाव बनाने के लिए उत्पीड़न की कहानी बनाई गई, जिससे पीएचडी की थीसिस सबमिट हो जाएं. कमेटी ने कहा कि छात्रा की थीसिस पर प्रोफेसर ने आपत्ति लगाई थी. इसमें कंटेंट और भाषा में सुधार के लिए कहा गया. रिसर्च का कंटेंट चोरी किया हुआ पाया गया था. प्रोफेसर ने इसे सही करने के लिए कहा था, लेकिन छात्रा चाहती थी कि पीएचडी जल्द सबमिट हो जाए, क्योंकि काफी समय पहले ही निकल चुका था. कमेटी की रिपोर्ट में मुख्य बात यह है कि जब स्कॉलर से पूछा गया कि आप क्या चाहती हैं, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वह अपने सुपरवाइजर और सह-पर्यवेक्षक को बदलना चाहती हैं.

आंतरिक शिकायत कमेटी की लीक रिपोर्ट यह भी कहती है कि वाइल्ड लाइफ विभाग के प्रोफेसरों में आपस में ही सियासत है. इसे लेकर छात्रा को मोहरा बनाया गया. किसी के प्रमोशन का मसला है. इसका प्रोफेसर समाधान नहीं होने दे रहे हैं. कमेटी ने कहा कि प्रोफेसर पर फर्जी आरोप लगाए गए हैं.

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