ETV Bharat / state

शिव मंदिर का निर्माण कर मजहब की खाई पाट रहे बाबू खान - जवां ब्लॉक अलीगढ़

यूपी के अलीगढ़ में बाबू खान शिव मंदिर का निर्माण कर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल पेश कर रहे हैं. बाबू खान मस्जिद में सजदा करने के साथ शिव मंदिर में भी नियमित पूजा-अर्चना करते हैं.

बाबू खान ने अलीगढ़ में बनवाया शिव मंदिर.
बाबू खान ने अलीगढ़ में बनवाया शिव मंदिर.
author img

By

Published : Mar 11, 2021, 6:09 PM IST

अलीगढ़: जहां एक तरफ सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली सूचनाओं का दौर चल रहा है. वहीं आज भी ऐसे लोग हैं, जो इंसानियत की सोच रखते हैं. ताला और तालीम की नगरी अलगीढ़ में शिव मंदिर का निर्माण करने वाले बाबू खान हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल पेश कर रहे हैं. बाबू खान मस्जिद में सजदा करने के साथ शिव मंदिर में भी नियमित पूजा-अर्चना करते हैं. अनूप शहर रोड पर सीडीएफ पुलिस चौकी के निकट बाबू खान ने 2013 में शिव मंदिर बनवाया था. तब से लेकर अब तक वह मंदिर में धार्मिक आयोजन करवाने के साथ खुद भी पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं.

बाबू खान ने अलीगढ़ में बनवाया शिव मंदिर.
परिवार भी बढ़ाता है हौसला
अलीगढ़ शहर से सटे जवां ब्लॉक के गांव मिर्जापुर सिया निवासी बाबू खान पेशे से किसान हैं और उनकी पत्नी ग्राम प्रधान है. बाबू खान स्कूली पढ़ाई मैट्रिक तक नहीं कर पाए, लेकिन सामाजिकता ने उन्हें अव्वल दर्जे पर पहुंचा दिया. बाबू खान समाज सेवा के साथ हिंदू और मुस्लिम के बीच मजहब की खाई पाटने में लगे हुए हैं. इस काम में उनका परिवार भी हौसला बढ़ाता है.

सौहार्द्र की मिसाल बने बाबू खान
2013 में अनूपशहर रोड स्थित सीडीएफ पुलिस चौकी का इलाका वीरान रहता था. यहां कुछ पत्थर पड़े थे. इसके बाद बाबू खान के जेहन में मंदिर बनाने का ख्याल आया. उन्होंने बताया कि उनके परबाबा ने भी जवां में मंदिर बनाया था. सीडीएफ पुलिस चौकी के पास पर्याप्त जगह तो मिल गई लेकिन उनकी हैसियत नहीं थी कि वह मंदिर निर्माण करा सकें. उन्होंने दूसरे लोगों से चर्चा की और सबको साथ लेकर मंदिर निर्माण की कवायद को आगे बढ़ाया. वर्ष 2013 में शिव मंदिर का निर्माण कराया. इस निर्माण में उन्होंने सवा लाख रुपये भी अपनी तरफ से खर्च किए बाकी और लोगों ने सहायता की. 17 जुलाई 2013 को मंदिर का उद्घाटन हुआ. इलाहाबाद से आये पंडित ने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराई. उन्होंने बताया कि मंदिर में त्योहारों पर भजन कीर्तन व अन्य दूसरे आयोजन भी होते हैं.

मंदिर में भी करते हैं पूजा-अर्चना
बाबू खान समाज सेवा से भी जुड़े हैं और उन्होंने 10 गरीब बेटियों की शादी भी करवा चुके हैं. इसके लिए जिला प्रशासन ने सम्मनित भी कर चुका है. 'मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, हिंदी है हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा' अल्लामा इकबाल के इन अल्फाजों में बाबू खान ने अपने जीने का सलीका ढूंढ़ लिया है. वह जिस शिद्दत से मस्जिद में सजदा करते हैं, उसी तरह शिव मंदिर में भी पूजा अर्चना करते हैं.

लोगों को पढ़ाते हैं इंसानियत का पाठ
बाबू खान कहते हैं कि किसी के दबाव में मंदिर नहीं बनवाया बल्कि अपनी अंतरआत्मा की आवाज सुनकर यह पुण्य कार्य किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें इससे सुख शांति मिलती है. बाबू खान ने बताया कि भगवान, ईश्वर और अल्लाह एक ही है. लोग इसे अपना-अपना कहते हैं, लेकिन जब खून निकलता है तो एक ही रंग का होता है. उन्होंने बताया कि व शिवरात्रि पर मंदिर में पूजा भी करते हैं. बाबू खान का मानना है कि नेता नगरी में मंदिर-मस्जिद को लेकर धार्मिक बात नहीं होनी चाहिए.

अलीगढ़: जहां एक तरफ सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली सूचनाओं का दौर चल रहा है. वहीं आज भी ऐसे लोग हैं, जो इंसानियत की सोच रखते हैं. ताला और तालीम की नगरी अलगीढ़ में शिव मंदिर का निर्माण करने वाले बाबू खान हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल पेश कर रहे हैं. बाबू खान मस्जिद में सजदा करने के साथ शिव मंदिर में भी नियमित पूजा-अर्चना करते हैं. अनूप शहर रोड पर सीडीएफ पुलिस चौकी के निकट बाबू खान ने 2013 में शिव मंदिर बनवाया था. तब से लेकर अब तक वह मंदिर में धार्मिक आयोजन करवाने के साथ खुद भी पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं.

बाबू खान ने अलीगढ़ में बनवाया शिव मंदिर.
परिवार भी बढ़ाता है हौसला
अलीगढ़ शहर से सटे जवां ब्लॉक के गांव मिर्जापुर सिया निवासी बाबू खान पेशे से किसान हैं और उनकी पत्नी ग्राम प्रधान है. बाबू खान स्कूली पढ़ाई मैट्रिक तक नहीं कर पाए, लेकिन सामाजिकता ने उन्हें अव्वल दर्जे पर पहुंचा दिया. बाबू खान समाज सेवा के साथ हिंदू और मुस्लिम के बीच मजहब की खाई पाटने में लगे हुए हैं. इस काम में उनका परिवार भी हौसला बढ़ाता है.

सौहार्द्र की मिसाल बने बाबू खान
2013 में अनूपशहर रोड स्थित सीडीएफ पुलिस चौकी का इलाका वीरान रहता था. यहां कुछ पत्थर पड़े थे. इसके बाद बाबू खान के जेहन में मंदिर बनाने का ख्याल आया. उन्होंने बताया कि उनके परबाबा ने भी जवां में मंदिर बनाया था. सीडीएफ पुलिस चौकी के पास पर्याप्त जगह तो मिल गई लेकिन उनकी हैसियत नहीं थी कि वह मंदिर निर्माण करा सकें. उन्होंने दूसरे लोगों से चर्चा की और सबको साथ लेकर मंदिर निर्माण की कवायद को आगे बढ़ाया. वर्ष 2013 में शिव मंदिर का निर्माण कराया. इस निर्माण में उन्होंने सवा लाख रुपये भी अपनी तरफ से खर्च किए बाकी और लोगों ने सहायता की. 17 जुलाई 2013 को मंदिर का उद्घाटन हुआ. इलाहाबाद से आये पंडित ने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराई. उन्होंने बताया कि मंदिर में त्योहारों पर भजन कीर्तन व अन्य दूसरे आयोजन भी होते हैं.

मंदिर में भी करते हैं पूजा-अर्चना
बाबू खान समाज सेवा से भी जुड़े हैं और उन्होंने 10 गरीब बेटियों की शादी भी करवा चुके हैं. इसके लिए जिला प्रशासन ने सम्मनित भी कर चुका है. 'मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, हिंदी है हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा' अल्लामा इकबाल के इन अल्फाजों में बाबू खान ने अपने जीने का सलीका ढूंढ़ लिया है. वह जिस शिद्दत से मस्जिद में सजदा करते हैं, उसी तरह शिव मंदिर में भी पूजा अर्चना करते हैं.

लोगों को पढ़ाते हैं इंसानियत का पाठ
बाबू खान कहते हैं कि किसी के दबाव में मंदिर नहीं बनवाया बल्कि अपनी अंतरआत्मा की आवाज सुनकर यह पुण्य कार्य किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें इससे सुख शांति मिलती है. बाबू खान ने बताया कि भगवान, ईश्वर और अल्लाह एक ही है. लोग इसे अपना-अपना कहते हैं, लेकिन जब खून निकलता है तो एक ही रंग का होता है. उन्होंने बताया कि व शिवरात्रि पर मंदिर में पूजा भी करते हैं. बाबू खान का मानना है कि नेता नगरी में मंदिर-मस्जिद को लेकर धार्मिक बात नहीं होनी चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.