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अलीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थि कलश यात्रा पैतृक गांव से रवाना - अलीगढ़ खबर

अलीगढ़ जिले में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिहं की अस्थि कलश यात्रा उनके पैतृक गांव मढ़ौली से एटा के विधानसभा क्षेत्र के लिए रवाना की गई है. कल्याण सिंह का एटा से खास नाता रहा है. एटा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है और एटा से कल्याण सिंह सांसद भी रह चुके हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थि कलश लेकर रवाना हुए परिजन
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थि कलश लेकर रवाना हुए परिजन
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Published : Sep 5, 2021, 1:35 PM IST

अलीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह की अस्थि कलश यात्रा उनके पैतृक गांव मढ़ौली से शुरू होकर एटा के विधानसभा क्षेत्रों के लिए रवाना हो गई है. कल्याण सिंह का अस्थि कलश मढ़ौली में उनके बाग में रखा गया था. कल्याण सिंह अतरौली विधानसभा से नौ बार विधायक रहे. 1 सितंबर को त्रयोदशी के बाद अस्थि कलश मढ़ौली बाग में स्थानीय जनता के लिए दर्शन को रखा गया था. मढ़ौली बाग से अस्थि कलश यात्रा छर्रा, गंगीरी आदि स्थानों से होते हुए एटा और कासगंज जिले में जाएगी. अस्थि कलश यात्रा जिले के गंगीरी से प्रस्थान कर ढोलना, नगला पट्टी, बिलराम गेट, सोरों गेट, नंदरई गेट पहुंचेगी. इसके बाद मिरहची, एटा, सिडपुरा, पटियाली, गंजडुंडवारा, सहावर से सोरों गंगा घाट तक अस्थि कलश यात्रा का कार्यक्रम रहेगा.

रविवार को अस्थि कलश यात्रा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के समर्थक मढ़ौली पहुंचे. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थि कलश पर उनके समर्थकों ने फूलों से श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं खुली गाड़ी में अस्थि कलश रखकर अतरौली विधानसभा क्षेत्र में यात्रा निकाली गई. अतरौली और गंगीरी, छर्रा होते हुए अस्थि कलश यात्रा एटा के पांचों विधानसभा से होते हुए सोरों गंगा घाट पहुंचेगी.

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थि कलश लेकर रवाना हुए परिजन

भाजपा के तमाम कार्यकर्ता होंगे शामिल
कल्याण सिंह के अस्थि कलश इससे पहले नरौरा के गंगा घाट में प्रवाहित की गई थी. साथ ही अस्थि कलश अयोध्या, हरिद्वार, प्रयागराज और काशी में भी लोगों के अंतिम दर्शन के लिए ले जाया जाएगा. जो लोग बाबू कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो पाए. वह रोड पर आकर बाबू कल्याण सिंह की अस्थि कलश के दर्शन कर सकते हैं. इस अस्थि कलश यात्रा में कल्याण सिंह के पुत्र व एटा से सांसद राजवीर सिंह राजू भैया और यूपी के राज्यमंत्री संदीप सिंह सहित जनप्रतिनिधिगण, भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल रहेंगे.

एटा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है और एटा से कल्याण सिंह सांसद भी रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पिछड़ों के बड़े नेता रहे हैं और अस्थि कलश यात्रा के जरिए भारतीय जनता पार्टी 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को साधने में लगी है. कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी. विवादित ढांचा गिरने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. राम मंदिर निर्माण को लेकर कल्याण सिंह की छवि और अयोध्या में कराए जा रहे राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा यूपी के विधानसभा चुनाव में भुनाने की तैयारी में जुट गई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल्याण सिंह को लखनऊ स्थित अस्पताल से लेकर उनके त्रयोदशी कार्यक्रम में लगातार उपस्थित रहे. लोगों के मन में सुगबुगाहट यह भी उठी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पिता के निधन पर शामिल नहीं हो सके, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर उन्होंने पुत्र जैसी भूमिका निभाई. भारतीय जनता पार्टी के लिए कल्याण सिंह का फैक्टर बेहद अहम है, क्योंकि वह राम मंदिर आंदोलन और पिछड़ों के बड़े नेता रहे और भाजपा ओबीसी वोट को साधने के लिए वृहद स्तर पर अस्थि कलश यात्रा निकाल रही है. चुनाव में जाति को साधने का खेल अहम रहा है. ऐसे में दूसरे दलों की तरह भाजपा भी जाति के बल पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गई है. कल्याण सिंह पिछड़ी जातियों के सर्वमान्य नेता थे और विधानसभा चुनाव में पिछड़ी जाति को साधने के लिए कलश यात्रा निकाली जा रही है. इसे सरकार, संगठन और आरएसएस का पूरा सहयोग मिल रहा है.

कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा और उनके मुखाग्नि के साथ त्रयोदशी संस्कार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं उपस्थित रहे. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पकड़ आगरा, मेरठ, बरेली, अलीगढ़ मंडल पर अच्छी थी और इस पकड़ को भाजपा बरकरार रखना चाहती है. कल्याण सिंह के निधन के बाद उनकी सहानुभूति की लहर में भाजपा 2022 की विधानसभा चुनाव की नैय्या पार करना चाहती है.

इसे भी पढ़ें:- कल्याण सिंह के नाम पर होगी राम जन्मभूमि की सड़क और अलीगढ़ एयरपोर्ट

एटा के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजू भैया ने बताया कि बाबूजी की अस्थि कलश विसर्जन यात्रा पैतृक गांव मढ़ौली से शुरू हुई, जो एटा के 5 विधानसभा क्षेत्रों से होती हुई सोरों स्थित गंगा घाट पहुंचेगी. जहां अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा. इसके साथ ही 7 सितंबर को अयोध्या, 9 सितंबर को काशी और 11 सितंबर को हरिद्वार स्थित गंगा घाट के लिए अस्थि विसर्जन यात्रा रवाना की जाएगी.

अलीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह की अस्थि कलश यात्रा उनके पैतृक गांव मढ़ौली से शुरू होकर एटा के विधानसभा क्षेत्रों के लिए रवाना हो गई है. कल्याण सिंह का अस्थि कलश मढ़ौली में उनके बाग में रखा गया था. कल्याण सिंह अतरौली विधानसभा से नौ बार विधायक रहे. 1 सितंबर को त्रयोदशी के बाद अस्थि कलश मढ़ौली बाग में स्थानीय जनता के लिए दर्शन को रखा गया था. मढ़ौली बाग से अस्थि कलश यात्रा छर्रा, गंगीरी आदि स्थानों से होते हुए एटा और कासगंज जिले में जाएगी. अस्थि कलश यात्रा जिले के गंगीरी से प्रस्थान कर ढोलना, नगला पट्टी, बिलराम गेट, सोरों गेट, नंदरई गेट पहुंचेगी. इसके बाद मिरहची, एटा, सिडपुरा, पटियाली, गंजडुंडवारा, सहावर से सोरों गंगा घाट तक अस्थि कलश यात्रा का कार्यक्रम रहेगा.

रविवार को अस्थि कलश यात्रा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के समर्थक मढ़ौली पहुंचे. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थि कलश पर उनके समर्थकों ने फूलों से श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं खुली गाड़ी में अस्थि कलश रखकर अतरौली विधानसभा क्षेत्र में यात्रा निकाली गई. अतरौली और गंगीरी, छर्रा होते हुए अस्थि कलश यात्रा एटा के पांचों विधानसभा से होते हुए सोरों गंगा घाट पहुंचेगी.

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थि कलश लेकर रवाना हुए परिजन

भाजपा के तमाम कार्यकर्ता होंगे शामिल
कल्याण सिंह के अस्थि कलश इससे पहले नरौरा के गंगा घाट में प्रवाहित की गई थी. साथ ही अस्थि कलश अयोध्या, हरिद्वार, प्रयागराज और काशी में भी लोगों के अंतिम दर्शन के लिए ले जाया जाएगा. जो लोग बाबू कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो पाए. वह रोड पर आकर बाबू कल्याण सिंह की अस्थि कलश के दर्शन कर सकते हैं. इस अस्थि कलश यात्रा में कल्याण सिंह के पुत्र व एटा से सांसद राजवीर सिंह राजू भैया और यूपी के राज्यमंत्री संदीप सिंह सहित जनप्रतिनिधिगण, भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल रहेंगे.

एटा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है और एटा से कल्याण सिंह सांसद भी रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पिछड़ों के बड़े नेता रहे हैं और अस्थि कलश यात्रा के जरिए भारतीय जनता पार्टी 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को साधने में लगी है. कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी. विवादित ढांचा गिरने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. राम मंदिर निर्माण को लेकर कल्याण सिंह की छवि और अयोध्या में कराए जा रहे राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा यूपी के विधानसभा चुनाव में भुनाने की तैयारी में जुट गई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल्याण सिंह को लखनऊ स्थित अस्पताल से लेकर उनके त्रयोदशी कार्यक्रम में लगातार उपस्थित रहे. लोगों के मन में सुगबुगाहट यह भी उठी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पिता के निधन पर शामिल नहीं हो सके, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर उन्होंने पुत्र जैसी भूमिका निभाई. भारतीय जनता पार्टी के लिए कल्याण सिंह का फैक्टर बेहद अहम है, क्योंकि वह राम मंदिर आंदोलन और पिछड़ों के बड़े नेता रहे और भाजपा ओबीसी वोट को साधने के लिए वृहद स्तर पर अस्थि कलश यात्रा निकाल रही है. चुनाव में जाति को साधने का खेल अहम रहा है. ऐसे में दूसरे दलों की तरह भाजपा भी जाति के बल पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गई है. कल्याण सिंह पिछड़ी जातियों के सर्वमान्य नेता थे और विधानसभा चुनाव में पिछड़ी जाति को साधने के लिए कलश यात्रा निकाली जा रही है. इसे सरकार, संगठन और आरएसएस का पूरा सहयोग मिल रहा है.

कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा और उनके मुखाग्नि के साथ त्रयोदशी संस्कार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं उपस्थित रहे. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पकड़ आगरा, मेरठ, बरेली, अलीगढ़ मंडल पर अच्छी थी और इस पकड़ को भाजपा बरकरार रखना चाहती है. कल्याण सिंह के निधन के बाद उनकी सहानुभूति की लहर में भाजपा 2022 की विधानसभा चुनाव की नैय्या पार करना चाहती है.

इसे भी पढ़ें:- कल्याण सिंह के नाम पर होगी राम जन्मभूमि की सड़क और अलीगढ़ एयरपोर्ट

एटा के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजू भैया ने बताया कि बाबूजी की अस्थि कलश विसर्जन यात्रा पैतृक गांव मढ़ौली से शुरू हुई, जो एटा के 5 विधानसभा क्षेत्रों से होती हुई सोरों स्थित गंगा घाट पहुंचेगी. जहां अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा. इसके साथ ही 7 सितंबर को अयोध्या, 9 सितंबर को काशी और 11 सितंबर को हरिद्वार स्थित गंगा घाट के लिए अस्थि विसर्जन यात्रा रवाना की जाएगी.

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