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NIRF 2020 रैकिंग: एएमयू को लगा झटका, 31वें स्थान पर - एएमयू की रैकिंग

नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्ग (NIRF) की तरफ से जारी भारतीय शिक्षण संस्थानों की रैकिंग में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को 31वां स्थान मिला है. इस रैंकिंग पर अंसतोष जाहिर करते हुए एएमयू जनसंपर्क विभाग ने कहा कि NIRF की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में गलत आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है, जिसे लेकर वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने अपना पक्ष रखेगा.

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.
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Published : Jun 12, 2020, 11:00 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए शुक्रवार का दिन अच्छा नहीं रहा. सन् 2020 के लिए भारतीय शिक्षण संस्थानों की जारी की गई नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में विश्वविद्यालय को 31वां स्थान मिला है. वहीं बीएचयू ने तीसरा स्थान हासिल किया है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन इस रैंकिंग से परेशान और हैरान है. हालांकि कई पैरामीटर पर विश्वविद्यालय ने सुधार किया है. एएमयू जनसंपर्क विभाग ने जारी की गई प्रेस रिलीज में गलत आंकड़ों का इस्तेमाल करने की बात कही है. जनसंपर्क विभाग इसको लेकर एचआरडी मिनिस्ट्री के सामने अपना पक्ष रखेगा.

जानकारी देते संवाददाता.
नेशनल इंस्टीटयूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) द्वारा जारी उच्च शिक्षण संस्थाओं की 2020 की राष्ट्रीय रैंकिंग में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को 31वीं रैंक दिये जाने के सम्बन्ध में विश्वविद्यालय ने कुछ त्रुटियों का चिन्हांकन किया है. NIRF-2020 रैंकिंग अध्ययन में एएमयू में पीएचडी छात्रों की संख्या गलत दर्ज की गई है, जिसके कारण विश्वविद्यालय की रैंकिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

एएमयू रैंकिंग कमेटी के अध्यक्ष प्रो. सालिम बेग ने कहा कि एएमयू में वर्तमान रूप से 2911 पूर्णकालिक शोधार्थी हैं, जबकि एनआईआरएफ के अध्ययन में यह संख्या केवल 33 दिखाई गई है. प्रो. बेग ने बताया कि एएमयू ने NIRF द्वारा निर्धारित पांच मापदंडों में से चार में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन ग्रेजुएशन आउटकम मापदंड पर एएमयू के प्वाइंट कम हो गए हैं. एनआईआरएफ ने एएमयू में गत शिक्षा-सत्र में पीएचडी पूर्ण करने वाले शोधार्थियों की संख्या गलत दर्ज की है, जिसके कारण एएमयू का कुल स्कोर कम रह गया और इसकी रैंकिंग प्रभावित हुई.

इस किले के नाम पर अलीगढ़ का नाम, अब AMU का बोटेनिकल गार्डेन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर गत तीन शिक्षा सत्रों में शोधार्थियों की जो संख्या प्रकाशित की है, वह 2016-17 में 387, 2017-18 में 312 तथा 2018-19 में 363 है. जबकि एनआईआरएफ द्वारा प्रकाशित डाटा के अनुसार यह संख्या 2016-17 में 8, 2017-18 में 10 तथा 2018-19 में 8 है. प्रोफेसर बेग ने कहा कि इस त्रुटि को शीघ्र सही किया जाना चाहिए. एएमयू इस सम्बन्ध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय व एनआईआरएफ के समक्ष अपना पक्ष रखेगा.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए शुक्रवार का दिन अच्छा नहीं रहा. सन् 2020 के लिए भारतीय शिक्षण संस्थानों की जारी की गई नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में विश्वविद्यालय को 31वां स्थान मिला है. वहीं बीएचयू ने तीसरा स्थान हासिल किया है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन इस रैंकिंग से परेशान और हैरान है. हालांकि कई पैरामीटर पर विश्वविद्यालय ने सुधार किया है. एएमयू जनसंपर्क विभाग ने जारी की गई प्रेस रिलीज में गलत आंकड़ों का इस्तेमाल करने की बात कही है. जनसंपर्क विभाग इसको लेकर एचआरडी मिनिस्ट्री के सामने अपना पक्ष रखेगा.

जानकारी देते संवाददाता.
नेशनल इंस्टीटयूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) द्वारा जारी उच्च शिक्षण संस्थाओं की 2020 की राष्ट्रीय रैंकिंग में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को 31वीं रैंक दिये जाने के सम्बन्ध में विश्वविद्यालय ने कुछ त्रुटियों का चिन्हांकन किया है. NIRF-2020 रैंकिंग अध्ययन में एएमयू में पीएचडी छात्रों की संख्या गलत दर्ज की गई है, जिसके कारण विश्वविद्यालय की रैंकिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

एएमयू रैंकिंग कमेटी के अध्यक्ष प्रो. सालिम बेग ने कहा कि एएमयू में वर्तमान रूप से 2911 पूर्णकालिक शोधार्थी हैं, जबकि एनआईआरएफ के अध्ययन में यह संख्या केवल 33 दिखाई गई है. प्रो. बेग ने बताया कि एएमयू ने NIRF द्वारा निर्धारित पांच मापदंडों में से चार में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन ग्रेजुएशन आउटकम मापदंड पर एएमयू के प्वाइंट कम हो गए हैं. एनआईआरएफ ने एएमयू में गत शिक्षा-सत्र में पीएचडी पूर्ण करने वाले शोधार्थियों की संख्या गलत दर्ज की है, जिसके कारण एएमयू का कुल स्कोर कम रह गया और इसकी रैंकिंग प्रभावित हुई.

इस किले के नाम पर अलीगढ़ का नाम, अब AMU का बोटेनिकल गार्डेन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर गत तीन शिक्षा सत्रों में शोधार्थियों की जो संख्या प्रकाशित की है, वह 2016-17 में 387, 2017-18 में 312 तथा 2018-19 में 363 है. जबकि एनआईआरएफ द्वारा प्रकाशित डाटा के अनुसार यह संख्या 2016-17 में 8, 2017-18 में 10 तथा 2018-19 में 8 है. प्रोफेसर बेग ने कहा कि इस त्रुटि को शीघ्र सही किया जाना चाहिए. एएमयू इस सम्बन्ध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय व एनआईआरएफ के समक्ष अपना पक्ष रखेगा.

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