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हाथरस गैंगरेप केस के आरोपियों का होगा नार्को टेस्ट, गुजरात ले गई CBI

हाथरस कांड की जांच कर रही सीबीआई अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों को पुलिस की सुरक्षा में गुजरात के गांधीनगर लेकर गई है. यहां के इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में चारों आरोपियों का नार्को, पॉलीग्राफिक व ब्रेन मैपिंग टेस्ट होगा.

अलीगढ़ जिला कारागार.
अलीगढ़ जिला कारागार.
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Published : Nov 22, 2020, 10:42 PM IST

Updated : Nov 23, 2020, 10:27 AM IST

अलीगढ़/लखनऊ: हाथरस गैंगरेप कांड में सीबीआई अलीगढ़ जिला कारागार में बंद चारों आरोपियों को नार्को, ब्रेन मैपिंग व पॉलीग्राफिक टेस्ट के लिए गुजरात के गांधीनगर लेकर गई है. न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई की टीम चारों को लेकर रवाना हो चुकी है.

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई चारों आरोपियों को लेकर गांधीनगर पहुंच चुकी है. इस दौरान अगर टेस्ट में देरी होती है तो आरोपियों को गांधीनगर की जेल में ही रखा जाएगा. कोर्ट की तरफ से यह बात कही गई है. हांलाकि अलीगढ़ जिला कारागार के जेल अधीक्षक से संपर्क नहीं हो सका है.

गांधीनगर में होगा पॉलीग्राफिक व ब्रेन मैपिंग टेस्ट
चारों आरोपियों के नार्को, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफिक टेस्ट की मांग पहले उठी थी. चारों आरोपियों में एक नाबालिग भी है. गांधीनगर के इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंसेज में पॉलीग्राफिक व ब्रेन मैपिंग टेस्ट होगा. हाथरस के बुलगढ़ी रेप कांड के चारों आरोपी पिछले दो महीने से अलीगढ़ जेल में बंद हैं. इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई ने पॉलीग्राफिक व ब्रेन मैपिंग टेस्ट के लिए कोर्ट से अनुमति ली है. इस मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी छोटू का भी नार्को टेस्ट हो सकता है. पीड़िता के परिजनों का भी नार्को टेस्ट सीबीआई करा सकती है. हालांकि पीड़िता के परिजनों ने खुद का नार्को टेस्ट कराने से इनकार किया है.

हर पहलू पर जांच-पड़ताल कर रही सीबीआई
हाथरस मामले में सीबीआई की जांच को करीब 42 दिन हो चुके हैं. पीड़ित पक्ष के साथ ही आरोपी पक्ष से कई बार सीबीआई पूछताछ कर चुकी है. वहीं सीबीआई ने इस केस में हाथरस के डीएम व एसपी के साथ थाना चंदपा के पूर्व थानी प्रभारी व पुलिसकर्मियों से पूछताछ की है. चंदपा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर स्टाफ से भी जांच के संबंध में पूछताछ की है.

क्या होता है पॉलीग्राफ, नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट
पॉलीग्राफ टेस्ट से पुलिस यह पता लगाने की कोशिश करती है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. पॉलीग्राफ एक मशीन है, जिसमें व्यक्ति से अटैच किए गए सेंसर से आ रहे सिग्नल को एक मूविंग पेपर पर रिकॉर्ड किया जाता है. यह प्रक्रिया पॉलीग्राफ टेस्ट कहलाती है.

क्या होता है नार्को टेस्ट
नार्को टेस्ट में अपराधी या किसी व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम की एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है या फिर सोडियम पेंटोथल का इंजेक्शन लगाया जाता है. इस दवा का असर होते ही व्यक्ति ऐसी अवस्था में पहुंच जाता है जहां व्यक्ति पूरी तरह से बेहोश भी नहीं होता है और पूरी तरह से होश में भी नहीं रहता. यह दोनों की बीच की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति ज्यादा बोल नहीं पाता है. इन दवाइयों के असर से कुछ समय के लिए व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है. इस स्थिति में उस व्यक्ति से प्रश्न पूछे जाते हैं और उसका एक टेस्ट लिया जाता है. इस कारण वह सवालों का जवाब घुमा फिरा के नहीं दे सकता है. यानी काफी हद तक सच बोलता है.

क्या है ब्रेन मैपिंग टेस्ट
ब्रेन मैपिंग टेस्ट एक ऐसी जांच प्रक्रिया है, जिसके तहत मस्तिष्क में होने वाली हलचल की छवियों के जरिए उसके दोषी होने का पता लगाया जाता है. यह सेंसर आधारित टेस्ट होता है, जिसमें संबंधित आरोपी के सिर में सेंसर लगाए जाते हैं. इसमें इलेक्ट्रोड की पतली रॉड लगी होती है और सामने एक कंप्यूटर स्क्रीन लगी होती है. इस कम्यूटर स्क्रीन पर आरोपी के दिमाग की तस्वीरें दिखाई देने लगती हैं. सेंसर लगाने के बाद आरोपी से घटना से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. जब आरोपी से सवाल पूछे जाते हैं और उसका जवाब आरोपी देता है तो उसके जवाबों को संबंधित घटना से मिलान किया जाता है कि दी गई जानकारी से यह मेल कर रही है कि नहीं. अगर दोनों बातें मिलान कर रही हैं तो उस समय p300 तरंगे निकलने लगती हैं, जिसे कंप्यूटर स्क्रीन पर देखा जाता है.

अलीगढ़/लखनऊ: हाथरस गैंगरेप कांड में सीबीआई अलीगढ़ जिला कारागार में बंद चारों आरोपियों को नार्को, ब्रेन मैपिंग व पॉलीग्राफिक टेस्ट के लिए गुजरात के गांधीनगर लेकर गई है. न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई की टीम चारों को लेकर रवाना हो चुकी है.

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई चारों आरोपियों को लेकर गांधीनगर पहुंच चुकी है. इस दौरान अगर टेस्ट में देरी होती है तो आरोपियों को गांधीनगर की जेल में ही रखा जाएगा. कोर्ट की तरफ से यह बात कही गई है. हांलाकि अलीगढ़ जिला कारागार के जेल अधीक्षक से संपर्क नहीं हो सका है.

गांधीनगर में होगा पॉलीग्राफिक व ब्रेन मैपिंग टेस्ट
चारों आरोपियों के नार्को, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफिक टेस्ट की मांग पहले उठी थी. चारों आरोपियों में एक नाबालिग भी है. गांधीनगर के इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंसेज में पॉलीग्राफिक व ब्रेन मैपिंग टेस्ट होगा. हाथरस के बुलगढ़ी रेप कांड के चारों आरोपी पिछले दो महीने से अलीगढ़ जेल में बंद हैं. इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई ने पॉलीग्राफिक व ब्रेन मैपिंग टेस्ट के लिए कोर्ट से अनुमति ली है. इस मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी छोटू का भी नार्को टेस्ट हो सकता है. पीड़िता के परिजनों का भी नार्को टेस्ट सीबीआई करा सकती है. हालांकि पीड़िता के परिजनों ने खुद का नार्को टेस्ट कराने से इनकार किया है.

हर पहलू पर जांच-पड़ताल कर रही सीबीआई
हाथरस मामले में सीबीआई की जांच को करीब 42 दिन हो चुके हैं. पीड़ित पक्ष के साथ ही आरोपी पक्ष से कई बार सीबीआई पूछताछ कर चुकी है. वहीं सीबीआई ने इस केस में हाथरस के डीएम व एसपी के साथ थाना चंदपा के पूर्व थानी प्रभारी व पुलिसकर्मियों से पूछताछ की है. चंदपा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर स्टाफ से भी जांच के संबंध में पूछताछ की है.

क्या होता है पॉलीग्राफ, नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट
पॉलीग्राफ टेस्ट से पुलिस यह पता लगाने की कोशिश करती है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. पॉलीग्राफ एक मशीन है, जिसमें व्यक्ति से अटैच किए गए सेंसर से आ रहे सिग्नल को एक मूविंग पेपर पर रिकॉर्ड किया जाता है. यह प्रक्रिया पॉलीग्राफ टेस्ट कहलाती है.

क्या होता है नार्को टेस्ट
नार्को टेस्ट में अपराधी या किसी व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम की एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है या फिर सोडियम पेंटोथल का इंजेक्शन लगाया जाता है. इस दवा का असर होते ही व्यक्ति ऐसी अवस्था में पहुंच जाता है जहां व्यक्ति पूरी तरह से बेहोश भी नहीं होता है और पूरी तरह से होश में भी नहीं रहता. यह दोनों की बीच की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति ज्यादा बोल नहीं पाता है. इन दवाइयों के असर से कुछ समय के लिए व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है. इस स्थिति में उस व्यक्ति से प्रश्न पूछे जाते हैं और उसका एक टेस्ट लिया जाता है. इस कारण वह सवालों का जवाब घुमा फिरा के नहीं दे सकता है. यानी काफी हद तक सच बोलता है.

क्या है ब्रेन मैपिंग टेस्ट
ब्रेन मैपिंग टेस्ट एक ऐसी जांच प्रक्रिया है, जिसके तहत मस्तिष्क में होने वाली हलचल की छवियों के जरिए उसके दोषी होने का पता लगाया जाता है. यह सेंसर आधारित टेस्ट होता है, जिसमें संबंधित आरोपी के सिर में सेंसर लगाए जाते हैं. इसमें इलेक्ट्रोड की पतली रॉड लगी होती है और सामने एक कंप्यूटर स्क्रीन लगी होती है. इस कम्यूटर स्क्रीन पर आरोपी के दिमाग की तस्वीरें दिखाई देने लगती हैं. सेंसर लगाने के बाद आरोपी से घटना से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. जब आरोपी से सवाल पूछे जाते हैं और उसका जवाब आरोपी देता है तो उसके जवाबों को संबंधित घटना से मिलान किया जाता है कि दी गई जानकारी से यह मेल कर रही है कि नहीं. अगर दोनों बातें मिलान कर रही हैं तो उस समय p300 तरंगे निकलने लगती हैं, जिसे कंप्यूटर स्क्रीन पर देखा जाता है.

Last Updated : Nov 23, 2020, 10:27 AM IST
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