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बनारस में रहकर सर सैयद ने देखा था आधुनिक विश्वविद्यालय बनाने का सपना - बनारस से अलीगढ़ का रिश्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करेंगे. वे इस समय वाराणसी से लोकसभा सांसद हैं. यहीं पर रहने के दौरान एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने भविष्य में एक आधुनिक विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब देखा था. देखिए ये खास रिपोर्ट...

sir syed ahmed khan had special relationship with varanasi
सर सैयद अहमद खां और काशी.
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Published : Dec 21, 2020, 7:08 PM IST

अलीगढ़ : सर सैयद अहमद खां का प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस से गहरा नाता रहा है. बनारस में ही रहकर सर सैयद अहमद खां ने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसा विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब देखा था. सेवानिवृत्ति के बाद अलीगढ़ आकर एमएओ कॉलेज की स्थापना की तो काशी नरेश राजा शंभू नारायण ने समारोह में शामियाने की व्यवस्था की थी.

स्पेशल रिपोर्ट...

काशी नरेश से थी गहरी मित्रता
सन् 1864 से 1876 तक सर सैयद अहमद खां बनारस में जज के तौर पर तैनात थे. इसी दौरान सर सैयद अहमद अपने पुत्र सैयद हामिद और सैयद महमूद सहित इंग्लैंड की यात्रा पर गए थे. इंग्लैंड से लौटने के बाद उन्होंने पहले मदरसा और फिर कॉलेज की स्थापना की थी. वे ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के तर्ज पर देश में भी मॉडर्न शिक्षा के पक्षधर थे. वे बनारस में काशी नरेश राजा शंभू नारायण के संपर्क में रहे. काशी नरेश से उनकी गहरी मित्रता थी. जब कॉलेज की स्थापना की तो राजा शंभू नारायण भी मौजूद थे. उस समय बनारस की अपेक्षा अलीगढ़ आधुनिक नहीं था. यहां संसाधन कम थे. काशी नरेश राजा शंभू नारायण के नाम का एक पत्थर भी स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है.

सर सैयद का बनारस से रहा खास संबंध
एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह में मंगलवार को बनारस संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर सैयद द्वारा बनाई गई विश्वविद्यालय को संबोधित करेंगे. इससे बनारस और सर सैयद अहमद खान की यादें ताजा हो गई. सर सैयद अहमद खां ने बनारस में ही भविष्य का एक आधुनिक विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब देखा था. बनारस में ही कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय स्थापित करना उनके जेहन में आ गया था. बनारस में ही रहने के दौरान वे काशी के राजा शंभू नारायण के संपर्क में आए और राजा साहब से उनकी गहरी मित्रता हो गई.

sir syed ahmed khan had special relationship with varanasi
सर सैयद पर जारी डाक टिकट.

स्ट्रेची हॉल में आज भी लगा है काशी नरेश के नाम का पत्थर
सर सैयद रिटायर होने के बाद जब अलीगढ़ आकर एमएओ कॉलेज की स्थापना की तो उस समय काशी के राजा भी मौजूद थे. अलीगढ़ उस समय बनारस के मुकाबले आधुनिक नहीं था. अलीगढ़ में संसाधन कम थे, तब कॉलेज की स्थापना के समारोह में काशी के नरेश राजा शंभू नारायण ने शामियाना उपलब्ध कराया था. राजा शंभू नारायण के नाम का एक पत्थर आज भी विश्वविद्यालय के स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है. इस तरह से बनारस और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का आपस में गहरा संबंध है. यह संजोग है कि बनारस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे हैं.

sir syed ahmed khan had special relationship with varanasi
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.

'हम मदरसा या कॉलेज नहीं, विश्वविद्यालय बनाने जा रहे हैं'
एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राबत अबरार ने बताया कि सर सैयद के जेहन में विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब बनारस में आया था. सन् 1873 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी की पहली मीटिंग बनारस में ही रखी थी. तब उन्होंने कहा था कि हम मदरसा या कॉलेज नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय बनाने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सर सैयद अहमद खां के बनारस के लोगों से बड़े अच्छे संबंध थे. वहां के राजा शंभू नारायण और सर सैयद की गहरी मित्रता थी. जब सर सैयद सन् 1876 में रिटायरमेंट के बाद अलीगढ़ आए थे, तब काशी के राजा शंभू नारायण ने एमएओ में एक स्कॉलरशिप भी शुरू की थी.

लंच में वायसराय के साथ शामिल हुए थे काशी नरेश
8 जनवरी सन् 1877 में काशी नरेश शंभू नारायण एमएओ कॉलेज के उद्घाटन समारोह में भी शामिल हुए थे. उस समय अलीगढ़ छोटा शहर था. कॉलेज के उद्घाटन के लिए शामियाना और क्रॉकरी की व्यवस्था बनारस नरेश ने ही की थी. उस समय के वायसराय लार्ड लिटन के साथ 10 लोगों के लंच में काशी नरेश भी शामिल थे. काशी नरेश शंभू नारायण ने सर सैयद अहमद खान को पांच सौ रुपये का चंदा दिया था. जिसका एक पत्थर आज भी स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है. वहीं मदन मोहन मालवीय भी सर सैयद अहमद खान से प्रभावित थे. उन्होंने सर सैयद की मौत पर श्रद्धांजलि लेख भी लिखा था.

बनारस से अलीगढ़ का रिश्ता पुराना
एएमयू जनसंपर्क विभाग के राहत अबरार बताते हैं कि बनारस और अलीगढ़ का गहरा रिश्ता रहा है. महमूदुर्रहमान जब एएमयू के वाइस चांसलर थे, तब बनारस यूनिवर्सिटी ने महमूदुर्रहमान को मानद उपाधि से सम्मानित किया था. वहीं ऐसे शिक्षक भी एएमयू में मौजूद हैं, जो बीएचयू से पढ़कर एएमयू में पढ़ा रहे हैं. बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जो कि शताब्दी समारोह को संबोधित करने जा रहे हैं. बनारस से अलीगढ़ का रिश्ता बहुत पुराना है, जो कि सर सैयद अहमद खां के समय से चला आ रहा है.

अलीगढ़ : सर सैयद अहमद खां का प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस से गहरा नाता रहा है. बनारस में ही रहकर सर सैयद अहमद खां ने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसा विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब देखा था. सेवानिवृत्ति के बाद अलीगढ़ आकर एमएओ कॉलेज की स्थापना की तो काशी नरेश राजा शंभू नारायण ने समारोह में शामियाने की व्यवस्था की थी.

स्पेशल रिपोर्ट...

काशी नरेश से थी गहरी मित्रता
सन् 1864 से 1876 तक सर सैयद अहमद खां बनारस में जज के तौर पर तैनात थे. इसी दौरान सर सैयद अहमद अपने पुत्र सैयद हामिद और सैयद महमूद सहित इंग्लैंड की यात्रा पर गए थे. इंग्लैंड से लौटने के बाद उन्होंने पहले मदरसा और फिर कॉलेज की स्थापना की थी. वे ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के तर्ज पर देश में भी मॉडर्न शिक्षा के पक्षधर थे. वे बनारस में काशी नरेश राजा शंभू नारायण के संपर्क में रहे. काशी नरेश से उनकी गहरी मित्रता थी. जब कॉलेज की स्थापना की तो राजा शंभू नारायण भी मौजूद थे. उस समय बनारस की अपेक्षा अलीगढ़ आधुनिक नहीं था. यहां संसाधन कम थे. काशी नरेश राजा शंभू नारायण के नाम का एक पत्थर भी स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है.

सर सैयद का बनारस से रहा खास संबंध
एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह में मंगलवार को बनारस संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर सैयद द्वारा बनाई गई विश्वविद्यालय को संबोधित करेंगे. इससे बनारस और सर सैयद अहमद खान की यादें ताजा हो गई. सर सैयद अहमद खां ने बनारस में ही भविष्य का एक आधुनिक विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब देखा था. बनारस में ही कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय स्थापित करना उनके जेहन में आ गया था. बनारस में ही रहने के दौरान वे काशी के राजा शंभू नारायण के संपर्क में आए और राजा साहब से उनकी गहरी मित्रता हो गई.

sir syed ahmed khan had special relationship with varanasi
सर सैयद पर जारी डाक टिकट.

स्ट्रेची हॉल में आज भी लगा है काशी नरेश के नाम का पत्थर
सर सैयद रिटायर होने के बाद जब अलीगढ़ आकर एमएओ कॉलेज की स्थापना की तो उस समय काशी के राजा भी मौजूद थे. अलीगढ़ उस समय बनारस के मुकाबले आधुनिक नहीं था. अलीगढ़ में संसाधन कम थे, तब कॉलेज की स्थापना के समारोह में काशी के नरेश राजा शंभू नारायण ने शामियाना उपलब्ध कराया था. राजा शंभू नारायण के नाम का एक पत्थर आज भी विश्वविद्यालय के स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है. इस तरह से बनारस और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का आपस में गहरा संबंध है. यह संजोग है कि बनारस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे हैं.

sir syed ahmed khan had special relationship with varanasi
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.

'हम मदरसा या कॉलेज नहीं, विश्वविद्यालय बनाने जा रहे हैं'
एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राबत अबरार ने बताया कि सर सैयद के जेहन में विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब बनारस में आया था. सन् 1873 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी की पहली मीटिंग बनारस में ही रखी थी. तब उन्होंने कहा था कि हम मदरसा या कॉलेज नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय बनाने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सर सैयद अहमद खां के बनारस के लोगों से बड़े अच्छे संबंध थे. वहां के राजा शंभू नारायण और सर सैयद की गहरी मित्रता थी. जब सर सैयद सन् 1876 में रिटायरमेंट के बाद अलीगढ़ आए थे, तब काशी के राजा शंभू नारायण ने एमएओ में एक स्कॉलरशिप भी शुरू की थी.

लंच में वायसराय के साथ शामिल हुए थे काशी नरेश
8 जनवरी सन् 1877 में काशी नरेश शंभू नारायण एमएओ कॉलेज के उद्घाटन समारोह में भी शामिल हुए थे. उस समय अलीगढ़ छोटा शहर था. कॉलेज के उद्घाटन के लिए शामियाना और क्रॉकरी की व्यवस्था बनारस नरेश ने ही की थी. उस समय के वायसराय लार्ड लिटन के साथ 10 लोगों के लंच में काशी नरेश भी शामिल थे. काशी नरेश शंभू नारायण ने सर सैयद अहमद खान को पांच सौ रुपये का चंदा दिया था. जिसका एक पत्थर आज भी स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है. वहीं मदन मोहन मालवीय भी सर सैयद अहमद खान से प्रभावित थे. उन्होंने सर सैयद की मौत पर श्रद्धांजलि लेख भी लिखा था.

बनारस से अलीगढ़ का रिश्ता पुराना
एएमयू जनसंपर्क विभाग के राहत अबरार बताते हैं कि बनारस और अलीगढ़ का गहरा रिश्ता रहा है. महमूदुर्रहमान जब एएमयू के वाइस चांसलर थे, तब बनारस यूनिवर्सिटी ने महमूदुर्रहमान को मानद उपाधि से सम्मानित किया था. वहीं ऐसे शिक्षक भी एएमयू में मौजूद हैं, जो बीएचयू से पढ़कर एएमयू में पढ़ा रहे हैं. बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जो कि शताब्दी समारोह को संबोधित करने जा रहे हैं. बनारस से अलीगढ़ का रिश्ता बहुत पुराना है, जो कि सर सैयद अहमद खां के समय से चला आ रहा है.

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