अलीगढ़: एएमयू के कुलपति का आरएसएस के कार्यक्रम में भाग लेने पर कांग्रेस नेता जमकर आलोचना कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में संघ चालक मोहन राव भागवत मुख्य अतिथि के रूप में शामिल थे. आरएसएस कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. जिसमें कुलपति डॉ. तारिक मंसूर को आगे की कुर्सी पर बैठने के लिए स्थान नहीं मिला था.जिसके बाद कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कांग्रेस नेता राजा भैया ने कुलपति से इस्तीफा मांगा है.
दरअसल 17 मार्च को दिल्ली के लाल किला स्थित पार्क में सामवेद के हिंदी और उर्दू पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आरएसएस द्वारा आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में एएमयू कुलपति डॉ. तारिक मंसूर ने भी भाग लिया था. यहां एएमयू कुलपति आरएसएस के नेताओं से बात भी किए. आरएसएस के कार्यक्रम में कुलपति के शामिल होने को लेकर पूर्व छात्र और कांग्रेस नेता राजा भैया ने इसकी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का कुलपति सिर्फ एएमयू के कुलपति नहीं है. इन्हें पूरी दुनिया के मुसलमान और भारत के मुसलमान बड़ी हसरत भरी निगाह से देखते हैं. यहां से पढ़कर निकले छात्र कौम और देश के लिए बहुत कुछ करते हैं. जिस संस्था पर बहुत सारे दाग हैं, उस आरएसएस के कार्यक्रम में कुलपति को बैठने के लिए जगह तक नहीं मिली है.
कांग्रेस नेता राजा भैया ने कहा कि एएमयू के कुलपति का एक वकार (इज्जत) और म्यार (हैसियत) होता है. लेकिन विश्वविद्यालय के वकार को ताक पर रखकर कुलपति आरएसएस के कार्यक्रम में जाते हैं. इससे विश्वविद्यालय छात्रों का विश्वास कुलपति से हट गया है. राजा भैया ने कहा कि आरएसएस कार्यक्रम में जाना है तो कुलपति पद से इस्तीफा देकर आरएसएस ज्वाइन कर लें. इसके साथ ही कुलपति वसीम रिजवी भी बन सकते हैं. लेकिन एएमयू के कुलपति के पद पर आसीन होने के बाद ऐसी हरकतें शोभा नहीं देती हैं. इसका जवाब उन्हें एएमयू के छात्र ही देंगे. उन्होंने कहा कि क्या बीएचयू के कुलपति जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के कार्यक्रम में पहुंचते हैं. शैक्षिक संस्थान के कुलपति धार्मिक कार्यक्रम में ऐसे नहीं जा सकते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि कुलपति पद से इस्तीफा देने के बाद वह आरएसएस के कार्यक्रम में जाएं. इसके साथ ही उसका प्रचार प्रसार करें. लेकिन एएमयू के कुलपति के पद पर आसीन होने के बाद किसी संस्था का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते हैं.
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