अलीगढ़: खेतों में पराली जलाने के लेकर जिला प्रशासन गंभीर है. डीएम चन्द्र भूषण सिंह ने किसानों को सूचित किया है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेशानुसार, फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है. उन्होंने बताया कि पराली जलाने की घटना पाये जाने पर 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपये, 5 एकड़ क्षेत्र तक के लिए 5000 रुपये और 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15000 रुपये तक पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली किये जाने का प्रावधान है. घटना की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कारावास का प्रावधान भी है. उन्होंने कहा कि राजस्व ग्राम के लेखपाल, कृषि विभाग के प्रावैधिक सहायक एवं थाना प्रभारियों की पूर्ण जिम्मेदारी होगी कि अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनाएं बिल्कुल न होने दें. अन्यथा उनकी जिम्मेदारी तय करते हुए सम्बन्धित के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी.
डीएम चंद्र भूषण सिंह ने कलेक्ट्रेट में मीटिंग के दौरान कहा कि फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिये जनपद एवं तहसील स्तर पर कमेटी गठित की जा रही है. उन्होंने बताया कि जनपद स्तर पर एडीएम वित्त को अध्यक्ष, अपर पुलिस अधीक्षक, उप कृषि निदेशक एवं जिला पंचायतराज अधिकारी को सदस्य नामित किया गया है. इसी प्रकार प्रत्येक तहसील में एसडीएम को दस्ता प्रभारी, पुलिस विभाग से पुलिस क्षेत्राधिकारी, उप सम्भागीय कृषि अधिकारी एवं ब्लाक पर तैनात सहायक विकास अधिकारी (कृषि) को शामिल किया गया है.
डीएम ने निर्देश दिए कि फसल अवशेष जलाये जाने से रोकने के लिये जनपद में चलने वाली प्रत्येक कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ कृषि विभाग का एक कर्मचारी रहेगा, जो अपनी देख-रेख में कटाई कार्य कराएगा. जनपद में कोई भी कम्बाईन हार्वेस्टर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम या स्ट्रा रीपर या स्ट्रा रेक एवं वेलर के बिना चलते हुये पायी गयी तो उसको तत्काल सीज कर दिया जायेगा और कम्बाईन मालिक के स्वयं के खर्चे पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम लगवाकर ही छोड़ा जायेगा.
डीएम ने निर्देश दिये कि किसानों द्वारा उपरोक्त कमेटी एवं शासनादेश में दिये गये निर्देशों के क्रम में दोषी किसानों के विरूद्ध निर्धारित अर्थ दण्ड लगाते हुए कार्रवाई सुनिश्चित करें. समिति अपने क्षेत्र में नियमित रूप से सूचना प्राप्त होने पर तत्काल सक्रिय रूप से आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे.
उप निदेशक कृषि अनिल कुमार ने बताया कि भारत सरकार द्वारा संचालित फसल अवशेष प्रबन्धन के लिये 14 प्रकार के यंत्र चिन्हित किये गये हैं, जिसमें व्यक्तिगत किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान एवं एफपीओ और पंजीकृत किसान समितियों को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिये 80 प्रतिशत अनुदान पर यंत्र विभागीय पोर्टल के माध्यम से दिये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सहकारी समिति, गन्ना समिति एवं पचायतों के माध्यम से फसल अवषेश प्रबन्धन के लिए 5 लाख तक के कृषि यंत्र 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराए जायेंगे.