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पति की मौत के बाद पाई-पाई को मोहताज परिवार, CM से लगाई मदद की गुहार - Aligarh political news

अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड का दंश आज भी परिजन झेल रहे हैं. सरकारी ठेके से जहरीली शराब पीकर मारे गए लोगों के परिवार बेसहारा हो गए हैं. और तो और आलम यह है कि छोटे-छोटे बच्चे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. स्कूल की फीस जमा न होने के कारण उनका स्कूल से नाम भी कटने की नौबत आ गई.

पति की मौत के बाद पाई-पाई को मोहताज परिवार
पति की मौत के बाद पाई-पाई को मोहताज परिवार
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Published : Oct 9, 2021, 8:40 AM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड का दंश आज भी परिजन झेल रहे हैं. सरकारी ठेके से जहरीली शराब पीकर मारे गए लोगों के परिवार बेसहारा हो गए हैं. और तो और आलम यह है कि छोटे-छोटे बच्चे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. स्कूल की फीस जमा न होने के कारण उनका स्कूल से नाम भी कटने की नौबत आ गई. सरकार से अनुबंधित देसी शराब के ठेकों से जहरीली शराब के इसी साल मई-जून माह में लोग शिकार हुए थे, करीब 119 लोगों की इस शराब कांड में मौत हो गई थी. सरकार की नजर में जहरीली शराब पीकर मारे गए लोगों की जान की कीमत महज तीस हजार रुपये रही. वहीं, भुखमरी के कगार पर खड़ा परिवार अब जिला प्रशासन व मुख्यमंत्री से भरण-पोषण की गुहार लगा रहा है.

पति की मौत के बाद पाई-पाई को मोहताज परिवार

जिले के महुआखेड़ा थाना क्षेत्र के धनीपुर के रहने वाले अजय कुमार की सरकारी ठेके से शराब पीने से बीते 31 मई को मौत हो गई थी. मृतक अजय के दो बच्चे और पत्नी आज दाने-दाने को मोहताज हैं. मृतक की पत्नी अनीता ने बताया कि वह किराए के मकान में बच्चों के साथ रहती हैं.

इसे भी पढ़ें- बदला प्रियंका की प्रतिज्ञा रैली का नाम, अब काशी से किसानों के न्याय की लड़ाई लड़ेगी कांग्रेस

खाने-पीने का बड़ी मुश्किलों से इंतजाम हो पा रहा है. मृतक की पत्नी आगे बताया कि सरकारी ठेके से शराब पीने से पति की मौत हो गई थी. लेकिन जिला प्रशासन और सरकार ने जीने का कोई साधन नहीं दिया. मेरे पति की मौत की तीस हजार रुपये कीमत लगा कर छोड़ दिया. मेरे दो छोटे बेटे हैं. इनकी पढ़ाई का खर्चा भी नहीं निकल पाता.

आलम यह है कि स्कूल से नाम कटवाने की नौबत आ गई. अनीता बताती है कि जो जमीन थी. वह सास ने बेच दिया और जो पैसा आया. वह खाने- पीने में खर्चा हो गया. पति ने एक घर बनाने की सोची थी. लेकिन वह भी पूरा नहीं हो पाया. अब न घर है, न खाने के लिए कुछ है और न ही बच्चों को पढ़ा पा रही हूं.

अनीता ने बताया कि सरकार ने मेरे पति की जान की कीमत तीस हजार रुपये लगाकर छोड़ दिया. कुछ मायके वाले और ससुराल वाले मदद कर देते हैं. प्रशासन व मुख्यमंत्री से कई बार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

अनीता के छोटे भाई कृपाल ने बताया कि बहन से संबंधित प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री जनता दरबार में लगाई थी. तीन बार जा चुके हैं. लेकिन अब यह कह कर लौटा दिया जाता है कि आपको तीस हजार रुपये की धनराशि प्राप्त हो गई है. लेकिन अब बहन का जीवन यापन कठिन हो गया है.

भाई कृपाल ने कहा कि हम भी कब तक कर सकेंगे. हमारा भी घर-परिवार है. कृपाल कहते हैं कि सरकारी ठेके से शराब पीने पर मौत मिली और सरकार ने उसकी कीमत तीस हजार रुपये लगा दी. कृपाल ने सरकार से गुहार लगाई है कि बच्चों की पढ़ाई और अनीता की सहायता के लिए सरकार मदद करें.

अलीगढ़: अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड का दंश आज भी परिजन झेल रहे हैं. सरकारी ठेके से जहरीली शराब पीकर मारे गए लोगों के परिवार बेसहारा हो गए हैं. और तो और आलम यह है कि छोटे-छोटे बच्चे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. स्कूल की फीस जमा न होने के कारण उनका स्कूल से नाम भी कटने की नौबत आ गई. सरकार से अनुबंधित देसी शराब के ठेकों से जहरीली शराब के इसी साल मई-जून माह में लोग शिकार हुए थे, करीब 119 लोगों की इस शराब कांड में मौत हो गई थी. सरकार की नजर में जहरीली शराब पीकर मारे गए लोगों की जान की कीमत महज तीस हजार रुपये रही. वहीं, भुखमरी के कगार पर खड़ा परिवार अब जिला प्रशासन व मुख्यमंत्री से भरण-पोषण की गुहार लगा रहा है.

पति की मौत के बाद पाई-पाई को मोहताज परिवार

जिले के महुआखेड़ा थाना क्षेत्र के धनीपुर के रहने वाले अजय कुमार की सरकारी ठेके से शराब पीने से बीते 31 मई को मौत हो गई थी. मृतक अजय के दो बच्चे और पत्नी आज दाने-दाने को मोहताज हैं. मृतक की पत्नी अनीता ने बताया कि वह किराए के मकान में बच्चों के साथ रहती हैं.

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खाने-पीने का बड़ी मुश्किलों से इंतजाम हो पा रहा है. मृतक की पत्नी आगे बताया कि सरकारी ठेके से शराब पीने से पति की मौत हो गई थी. लेकिन जिला प्रशासन और सरकार ने जीने का कोई साधन नहीं दिया. मेरे पति की मौत की तीस हजार रुपये कीमत लगा कर छोड़ दिया. मेरे दो छोटे बेटे हैं. इनकी पढ़ाई का खर्चा भी नहीं निकल पाता.

आलम यह है कि स्कूल से नाम कटवाने की नौबत आ गई. अनीता बताती है कि जो जमीन थी. वह सास ने बेच दिया और जो पैसा आया. वह खाने- पीने में खर्चा हो गया. पति ने एक घर बनाने की सोची थी. लेकिन वह भी पूरा नहीं हो पाया. अब न घर है, न खाने के लिए कुछ है और न ही बच्चों को पढ़ा पा रही हूं.

अनीता ने बताया कि सरकार ने मेरे पति की जान की कीमत तीस हजार रुपये लगाकर छोड़ दिया. कुछ मायके वाले और ससुराल वाले मदद कर देते हैं. प्रशासन व मुख्यमंत्री से कई बार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

अनीता के छोटे भाई कृपाल ने बताया कि बहन से संबंधित प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री जनता दरबार में लगाई थी. तीन बार जा चुके हैं. लेकिन अब यह कह कर लौटा दिया जाता है कि आपको तीस हजार रुपये की धनराशि प्राप्त हो गई है. लेकिन अब बहन का जीवन यापन कठिन हो गया है.

भाई कृपाल ने कहा कि हम भी कब तक कर सकेंगे. हमारा भी घर-परिवार है. कृपाल कहते हैं कि सरकारी ठेके से शराब पीने पर मौत मिली और सरकार ने उसकी कीमत तीस हजार रुपये लगा दी. कृपाल ने सरकार से गुहार लगाई है कि बच्चों की पढ़ाई और अनीता की सहायता के लिए सरकार मदद करें.

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