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एक दिव्यांग का हौंसला जो पैरा एथलेटिक्स खेल में रच रहा इतिहास

अलीगढ़ जिले के अनिल अमरावत ने अपने हौंसले और जज़्बे से एक मिसाल कायम की है. राज्य स्तरीय बास्केटबाल के खिलाड़ी यह पहले रह चुके हैं. 2016 में चोट लगने के कारण पैरालिसिस से ग्रस्त अनिल ने फिर से हौंसला दिखाया. अब वह पैरा एथिलिटिक्स में भाग लेने को पूरे जुनून के साथ तैयार हैं.

अनिल अमरावत के हौंसले ने रचा इतिहास
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Published : Jul 10, 2019, 8:30 PM IST

अलीगढ़: एक युवक जिसके दिव्यांग होने के बाद भी उसके जीने का हौसला कम नहीं हुआ. व्हील चेयर बॉस्केटबॉल व क्रिकेट के खेलों में भाग लेकर एक अलग मुकाम बना रहा है. अमिल अमरावत अलीगढ़ से एकमात्र खिलाड़ी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर व्हील चेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं.

अनिल अमरावत की रीढ़ का स्पाइनल कॉर्ड डैमेज है, जिससे शरीर के नीचे का हिस्सा पैरालिसिस से प्रभावित है, लेकिन इस चोट से उबर कर अनिल ने पैरा एथलीट के रूप में जिंदगी में वापसी की है.

अपने जज़्बे से अनिल ने पैरा एथिलिटिक्स में भाग लेना शुरु किया

अनिल की कहानी-

  • अनिल थाना दादो के नगला मछरिया गांव के रहने वाले हैं.
  • 2016 में करंट लगने से अनिल तीसरी मंजिल से गिर गया था.
  • रीढ़ की हड्डी टूटने से कमर के नीचे का हिस्सा पैरालिसिस से ग्रस्त हो गया.
  • दिल्ली के बसंतकुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में इलाज कराया.
  • ईलाज के दौरान ही पैरा गेम्स के बारे में पता चला.
  • अनिल राष्ट्रीय स्तर पर पैरा बास्केटबॉल चैंपियनशिप में दिल्ली के टीम से खेल चुके हैं.
  • पैरा एथलेटिक्स गेम में भाग लेते हुये दिल्ली व हैदराबाद की टीम में चयन हुआ है.

अलीगढ़: एक युवक जिसके दिव्यांग होने के बाद भी उसके जीने का हौसला कम नहीं हुआ. व्हील चेयर बॉस्केटबॉल व क्रिकेट के खेलों में भाग लेकर एक अलग मुकाम बना रहा है. अमिल अमरावत अलीगढ़ से एकमात्र खिलाड़ी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर व्हील चेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं.

अनिल अमरावत की रीढ़ का स्पाइनल कॉर्ड डैमेज है, जिससे शरीर के नीचे का हिस्सा पैरालिसिस से प्रभावित है, लेकिन इस चोट से उबर कर अनिल ने पैरा एथलीट के रूप में जिंदगी में वापसी की है.

अपने जज़्बे से अनिल ने पैरा एथिलिटिक्स में भाग लेना शुरु किया

अनिल की कहानी-

  • अनिल थाना दादो के नगला मछरिया गांव के रहने वाले हैं.
  • 2016 में करंट लगने से अनिल तीसरी मंजिल से गिर गया था.
  • रीढ़ की हड्डी टूटने से कमर के नीचे का हिस्सा पैरालिसिस से ग्रस्त हो गया.
  • दिल्ली के बसंतकुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में इलाज कराया.
  • ईलाज के दौरान ही पैरा गेम्स के बारे में पता चला.
  • अनिल राष्ट्रीय स्तर पर पैरा बास्केटबॉल चैंपियनशिप में दिल्ली के टीम से खेल चुके हैं.
  • पैरा एथलेटिक्स गेम में भाग लेते हुये दिल्ली व हैदराबाद की टीम में चयन हुआ है.
Intro:अलीगढ़ : एक युवक दिव्यांग होने के बाद भी जीने का  हौसला कम नहीं हुआ . व्हीलचेयर बॉस्केटबॉल व क्रिकेट के खेलों में भाग लेकर एक अलग मुकाम बना रहा है . अमिल अमरावत अलीगढ़ से एकमात्र खिलाड़ी हैं . जो राष्ट्रीय स्तर पर व्हील चेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं .  अनिल अमरावत की रीढ़ का स्पाइनल कॉर्ड डैमेज है, जिससे शरीर के नीचे का हिस्सा पैरालिसिस से प्रभावित है. लेकिन इस चोट से उबर कर अनिल ने पैरा एथलीट के रूप में जिंदगी में वापसी की है, अनिल थाना दादों के नगला मछरिया गांव के रहने वाले हैं.






Body:दिल्ली के बसंतकुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में इलाज कराया. इस इलाज में अनिल की पुश्तैनी जमीन बिक गई. परिवार की माली हालत खराब हो गई.लेकिन पैरा एथलेथिक श्रेणी के खेल की ट्रेंनिग व फिर खेलों में भाग लेकर कुछ अलग करने की ठानी. अनिल राष्ट्रीय स्तर पर पैरा बास्केटबॉल चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुके हैं.  अनिल 2016 में रंगाई पुताई का काम करने के दौरान करंट लगने से तीसरी मंजिल से गिर गया था. जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और कमर के नीचे का हिस्सा पैरालिसिस से ग्रस्त हो गया और पैर बेजान हो गये . इलाज में चार लाख रुपये खर्च हो गये और खेती की जमीन भी बिक गई. अस्पताल में इलाज के दौरान ही उसे पैरा गेम्स के बारे में पता चला. चोट लगने से पहले वह जिला और राज्य स्तरीय खेल में भी भाग ले चुका था. व्हील चेयर राष्ट्रीय बास्केटबॉल चैंपियनशिप में अनिल दिल्ली की टीम से खेल चुके हैं. अनिल ने हौंसला किया . और पैरा एथलेटिक्स गेम में भाग लेते चले गये. दिल्ली व हैदराबाद की टीम में चयन हुआ.


Conclusion:लेकिन इस गेम में प्रैक्टिस के लिए न तो कोई कोर्ट है और न ही कोच है.और न ही अच्छी ब्हील चेयर है . जिससे अनिल निराश हैं. राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वालों के पास पांच पांच लाख रुपये की व्हील चेयर से खिलाड़ी खेलते है. जब कि यूपी में अलीगढ़ में पांच हजार की भी व्हील चेयर नहीं है. उन्होंने दिव्यांग लोगों के लिए कहा जैसा जीवन मिला है उसको खुलकर जिये.उन्होंने कहा कि स्पाइलन कार्ड इंजरी के बाद लोग आत्म हत्या करने की सोचते है. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए.क्यों कि इसके आगे भी जीवन हैं. अनिल ने बताया कि दिव्यांगों को रोजगार क्षेत्र में आगे ले जाना है.

बाइट - अनिल अमरावत , पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535


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