अलीगढ़ः तस्वीर महल पार्क चौराहे पर राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के नाम से निर्मित पार्क में उनके जन्मदिन पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. नगर निगम ने पार्क की एक दिन पहले ही रंगाई-पुताई करवाकर चमका दिया था. राजा महेंद्र सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी को भी हराया था.
हांलाकि राजा महेन्द्र प्रताप अपने जीवन में किसी राजनैतिक दल से नहीं बंधे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में लड़ते हुए हराया और संसद भवन पहुंचे थे. जाट महासभा ने पहली बार कार्यक्रम कराते हुए सभी को आमंत्रित किया. उनकी जयंती पर भाजपा और कांग्रेस के लोग पहुंचकर कार्यक्रम को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया.
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भाजपा के लोग जब कार्यक्रम में हावी होने लगे, तो कांग्रेस के पूर्व सांसद ने कहा कि कुछ लोग महापुरुषों के नाम पर राजनीति करते हैं. वहीं राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के नाम से बन रहे राजकीय विश्वविद्यालय के लिए योगी सरकार को बधाई दी गई. इस कार्यक्रम में उन्हें भारत रत्न देने की भी मांग उठी.
एक दिसम्बर 1886 को जन्मे राजा महेन्द्र प्रताप ने देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष किया और 32 साल विदेश में रहे. सन् 1915 में काबुल में हिन्द सरकार का गठन किया, जिसके वह स्वयं राष्ट्रपति और मौलाना बरकतुल्ला को प्रधानमंत्री बनाया था. वह भूमिगत रहते हुए जर्मनी, रुस, जापान, अफगानिस्तान, तुर्की आदि देशों में अपनी मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया. उनके जन्मदिवस पर वक्ताओं ने कहा कि आजादी के बाद उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला.
कार्यक्रम में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के नाम से विश्वविद्यालय बनाए जाने की चर्चा सभी ने की. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी गई और कहा गया कि दल अपनी जगह है और राजनीति अपनी जगह है. लेकिन मौजूदा सरकार ने राजा महेन्द्र प्रताप के महत्व को समझा और अलीगढ़ में बनने वाले राजकीय विश्वविद्यालय राजा के नाम से बनाया जा रहा है.
कांग्रेस के पूर्व सांसद चौधरी विजेन्द्र सिंह ने कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप ने कभी जाति और धर्म की राजनीति नहीं की थी, तभी उन्होंने काबुल में जब हिन्द सरकार का गठन किया तो बरकतुल्ला को अपना प्रधानमंत्री बनाया था. उन्होंने कहा कि राजा के नाम पर विश्वविद्यालय बनाकर किसी दल को राजनीति नहीं करने दूंगा. वहीं भाजपा सांसद सतीश गौतम ने कहा कि एएमयू में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह को सम्मान नहीं मिला, इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें सम्मान देने का काम किया है.