आगरा : किरावली में पुलिस ने रविवार को भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले रैकेट के चार सदस्यों को पकड़ा. पुलिस दो महीने से निगरानी कर रही थी. एक मामले में सीएमओ की टीम फेल हो गई थी. इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की. सीएमओ ने इस मामले में जानकारी देने वाले एक खबरी के बारे में पुलिस को बताया था. पुलिस ने इस खबरी के जरिए नेटवर्क का खुलासा किया. रेकैट में शामिल सदस्यों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं.
पकड़ी गई आरोपी सरिता ने पुलिस को बताया कि मथुरा का एक चिकित्सक भी इस गैंग में शामिल है. उसने ही पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन खरीदवाई थी. भ्रूण लिंग परीक्षण रैकेट अपने नेटवर्क के जरिए राजस्थान और हरियाणा की गर्भवती महिलाओं को आगरा जांच के लिए बुलाता था. तीन हजार रुपए में गर्भवती की कोख में पल रहे भ्रूण का लिंग बताया जाता था. बता दें कि, करीब दो महीने पहले खबरी ने स्वास्थ्य विभाग को देवरी रोड पर भ्रूण लिंग परीक्षण रैकेट चलने की सूचना दी थी. इस पर सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने खुद काम करने के साथ ही पुलिस की मदद लेने की योजना बनाई थी. सीएमओ ने पुलिस के उच्च अधिकारी को खबरी का मोबाइल नंबर दिया. इस पर पुलिस ने खबरी से मिले मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए. इससे पता चला कि देवरी रोड की बजाए अब भ्रूण लिंग परीक्षण सेंटर किरावली में शिफ्ट हो गया हे. इस पर पुलिस ने रेकी शुरू कर दी.
मथुरा का डॉक्टर निकला रैकेट का सदस्य : सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि, किरावली में पकड़े गए भ्रूण लिंक परीक्षण रैकेट का सदस्य मथुरा का एक चिकित्सक भी है. पूछताछ में सरिता ने बताया कि, पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन मथुरा के डॉ. अजय कुंतल के माध्मय से खरीदी थी. वह भी रैकेट का सक्रिय सदस्य है. यह पुरानी मशीन है. सरिता ने एत्मादउद्दौला थाना क्षेत्र से स्थित एक हॉस्पिटल में भ्रूण लिंग परीक्षण करना सीख लिया था. एक गर्भवती के गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग की जांच करने के एवज में गिरोह तीन हजार रुपए लेता था. मगर, रिपोर्ट नहीं दी जाती थी. उन्हें कोडवर्ड में कोख में पल रहे भ्रूण का लिंग बताया जाता था.
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि, भ्रूण लिंग परीक्षण रैकेट के सेंटर पर आठ महिलाएं मिली थीं. तीन गर्भवती भ्रूण लिंग जांच करा रही थीं. जबकि, पांच अन्य प्रतीक्षा में बैठीं थीं. देखा जाए तो पीसी पीएनडीटी कानून के हिसाब से सभी आरोपी हैं. इनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए. ऐसे मामलों में पहले भी कई बार मुकदमे हुए हैं. इसलिए, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग रैकेट के सेंटर पर जांच कराने आईं महिलाओं और उनके परिजनों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर देर रात तक विचार करते रहे. इसके साथ ही पुलिस अब इस रैकेट के यूपी से सटे राजस्थान और हरियाणा के जिलों में फैले नेटवर्क के बारे में छानबीन कर रही है.
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
अक्तूबर 2017 में टेढ़ीबगिया निवासी रुखसार बेगम के घर पर छापेमारी में पोर्टेबल मशीन बरामद हुई थी. 2018 में पीसीपीएनडीटी टीम ने मैक्स डायग्नोस्टिक एंड पैथोलाजी बोदला रोड पर लिंग परीक्षण करते संचालक डॉ. अजय उपाध्याय, प्रीति कुलश्रेष्ठ को पकड़ा था. मार्च 2021 में एसटीएफ ने अछनेरा के रैपुरा अहीर से सात और ट्रांस यमुना कालोनी फेज-टू से प्रिया अस्पताल के संचालक डॉ. राजीव कुमार के घर से नर्स सरिता को पकड़ा था. मौके से दो कार, तीन अल्ट्रासाउंड मशीनें, 84090 रुपये, 13 मोबाइल, एक बाइक बरामद हुईं थीं. जुलाई 2022 में स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने डॉ. दीपक अग्रवाल के रीयल डायग्नोस्टिक सेंटर ट्रांस यमुना पर छापा माराकर दलाल समेत दो लोग पकड़े थे.
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