आगरा: आज शिक्षक दिवस है. अब तकनीकी युग के 'गुरूजी' भी हाईटेक हैं. पहले की तरह 'गुरूजी' के हाथ में छड़ी नहीं, अब स्मार्टफोन और लैपटॉप है. अब शिक्षक छड़ी छोड़ अपनी 'ट्रिक और टेक्निक' से मासूमों (देश) का भविष्य संवार रहे हैं. 'शिक्षक दिवस' पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए और जानिये आगरा के इनोवेटिव और हाईटेक शिक्षकों की कहानी. जिसमें एक शिक्षिका ट्रिक से बच्चों को गणित का ज्ञान सिखा रहीं हैं तो एक शिक्षक पढ़ाई के साथ ही बच्चों को 'कौन बनेगा चैंपियन' गेम खिला रहा है. एक शिक्षिका ने गीत और डांस से बच्चों को सौर मंडल याद करा रहीं हैं, तो एक शिक्षिका ने पेटीएम और व्हाट्सएप ग्रुप की मदद से बच्चों की स्कूल में उपस्थित शत प्रतिशत कर दी है.
शिक्षकों को सराहाना और पुरस्कार भी मिला रहा
बता दें कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले. इस पर योगी सरकार का विशेष ध्यान है. इसलिए अब शिक्षक और शिक्षिकाएं भी बच्चों के निपुण लक्ष्य हासिल कराने के लिए नए-नए नवाचार कर रहे हैं. जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़ें और पढ़ाई से मन ना चुराएं. स्कूल जाने से न डरते हुए प्रतिदिन जांए. जिससे बच्चे खूब पढ़कर आगे बढ़ें. इसका असर भी अब स्कूलों में दिखने लगा है. शिक्षक-शिक्षिकाओं के नवाचार से बच्चों की पढ़ाई बेहतर होने के साथ ही नवाचारों को सराहाना और पुरस्कार मिल रहे हैं.
गीत और डांस से हुई पढ़ाई में दिलचस्पी
फतेहपुर सीकरी ब्लाॅक के दाउदपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका प्रीतिराज ने बताया कि स्कूल के बच्चों का पढ़ाई में ध्यान लगे और उनका मन न भटके. इसके लिए उन्होंने विद्यालय में गाने और डांस के मिश्रण से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. वह सरल भाषा में कविता के रूप में बच्चों को पढ़ाती हैं. जिससे बच्चे मन लगाकर पढ़ते हैं. बच्चों को सौरमंडल बताने के लिए उन्होंने एक ट्रिक अपनाई है. जिसमें वह बच्चों की सहभागिता भी रखती हैं. सौर मंडल पढ़ाने में वह 9 बच्चों को शामिल करती हैं.
बच्चों के ग्रहों के नाम पर नाम
शिक्षिका ने बताया कि एक बच्चे को सूर्य और दूसरे बच्चों को ग्रह का नाम रखती हैं. इस तरह वह बच्चों को ग्रह के हिसाब से खड़ा करके उन्हें कविता "अंडे जैसी अपनी धरती, सूरज के चक्कर है करती" से बच्चों को सौर मंडल का ज्ञान करवाती हैं. ऐसे ही हिंदी, गणित और अन्य विषय को वह ट्रिक अपनाते हुए गीत और डांस से पढ़ाती हैं. जिससे बच्चे बोर न होकर लगन से पढ़ाई करते हैं.
व्हाट्सएप ग्रुप से होती है बच्चों उपस्थित
फतेहपुर सीकरी ब्लाॅक के गांव डाबर स्थित प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका लता रानी ने बताया कि जब वह दो साल पहले स्कूल में पढ़ाने आई थी. उन्होंने देखा कि स्कूल में बच्चों का दाखिला कम है. इसके अलावा जिन बच्चों का दाखिला हुआ है. वह स्कूल भी नहीं आते हैं. जबकि स्कूलों में सरकार की तरफ से बच्चों की उपस्थिती जोरों से अधिक चल रही है. इसके बाद वह धीरे-धीरे सभी बच्चों के घर जाकर उनके परिजनों से बात की. साथ ही उनके परिजनों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताया. इसके बाद वह स्कूल में सभी बच्चों के परिजनों के साथ 2 बार मीटिंग करने लगी.
बच्चों कि उपस्थिति शत-प्रतिशत
शिक्षिका ने बताया कि इसके बाद बच्चों के परिजनों से उनके मोबाइल नंबर लिए, साथ ही जिन बच्चों के परिजन व्हाट्सएप चलाते थे. उनका एक ग्रुप बना दिया गया. साथ ही जिन बच्चों के परिजन व्हाट्सएप नहीं चलाते थे. उनसे फोन कॉल द्वारा संपर्क करना शुरू कर दिया. परिजनों से संवाद होने के बाद स्कूल में अधिक से अधिक बच्चे आने लगे. स्कूल में किसी बच्चे के न आने पर उनके परिजनों से संपर्क कर कारण पूछती थी. इसके बाद धीरे-धीरे स्कूल में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति दर्ज हो रही है.
कंचे से आया आइडिया, बनाई जोड़-घटाने की मशीन
शमशाबाद ब्लाॅक के गांव करीमपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका कंचन लता ने बताया कि अधिकतर स्कूल ग्रामीण क्षेत्र में हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे बचपन से ही कंचे खेलते हैं. उन्हें सही तरह से पहचानते हैं. इसलिए उन्होंने इस पर काम कर गणित पढ़ाने की ट्रिक तैयार की. इसके बाद छोटे-छोटे बच्चों को जोड़ना और घटाना सीखने की एक मशीन बनाई.
कंचे से बनाई जोड़नो और घटान की मशीन
शिक्षिका ने बताया कि जब बच्चे कंचे खेलते हैं तो उन्हें गिनते हैं. कंचे गिनने से ही उन्हें जीतने और हारने की जानकारी होती है. इसलिए उन्होंने कंचे से ही बच्चों को जोड़ने और घटाने की मशीन बना डाली. इस मशीन से बच्चे आसानी से मन लगाकर सीखते हैं. इसके साथ ही बच्चों को मात्राएं सिखाने के लिए मात्रा खिड़की बनाई है. इससे भी बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई करते हैं.
'कौन बनेगा चैंपियन' में खूब प्रतिभाग करते हैं बच्चे
सहायक अध्यापक अशोक कुमार ने बताया कि बच्चों को पढ़ाई से डर ना लगे. वे मन लगाकर पढ़ें. इसलिए उन्होंने स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए खेल आधारित शिक्षण विधि अपनाते हैं. खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाने के लिए विषय के मुताबिक पहले सवाल और जबाव की एक सीरीज तैयार करते हैं. पहले वह कक्षा में बच्चों को अच्छी तरह से विषय पढ़ाते हैं.
स्कोर के आधार देते हैं मेडल
शिक्षक ने बताया कि वह 'कौन बनेगा चैंपियन' में बच्चों से सवाल-जबाव करते हैं. हर सवाल के 4 ऑप्शन होते हैं. जिसमें से एक सही और बाकी के 3 गलत ऑप्शन होते हैं. बच्चों को एक ऑप्शन का बटन दबाना होता है. यदि सही उत्तर होता है तो वह ग्रीन बटन दबाकर उन्हें बताते हैं कि आपका उत्तर गलत सही है, साथ ही लाल बटन दबाकर बताते हैं कि आपका उत्तर गलत है. सवालों के जबाव के मुताबिक बच्चों को स्कोर के आधार पर मेडल दिए जाते हैं. इस वजह से उनके स्कूल के बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करते हैं. इसके साथ ही बच्चे 'कौन बनेगा चैंपियन' में प्रतिभाग करते हैं. जिससे उनकी पढ़ाई का स्तर बेहतर रहता है.
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