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Supreme Court order: ताजमहल के पास की दुकानों के पुनर्वास पर रिपोर्ट दें, दुकानदारों को मिली राहत - ताजमहल के पास से दुकानदारों को हटाने का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल मामले में दुकानदारों को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और एडीए से तीन महीने में पुनर्वास रिपोर्ट मांगी है.

ताजमहल
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Published : Jan 18, 2023, 10:52 AM IST

आगरा: व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर ताजमहल लगातार चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर ताजमहल के पश्चिमी गेट की 71 दुकानों के मामले में दुकानदारों को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में राज्य सरकार ओैर आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) से तीन महीने में पुनर्वास रिपोर्ट तलब की है. इससे एडीए अधिकारियों में खलबली मच गई है. क्योंकि, पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल ताजमहल की बाउंड्रीवॉल से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधियां बंद करने का आदेश दिया था. इससे करीब 3000 व्यवसायिक प्रतिष्ठान और 30,000 से ज्यादा लोग बेरोजगार व एक लाख की आबादी प्रभावित हो रही है. लेकिन, इस मामले में पहले ही ताजगंज क्षेत्र के लोगों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने सुनवाई में दुकानों के ताजमहल के पश्चिमी गेट से हटने पर लगाई रोक के अपने आदेश को फिलहाल बरकरार रखा है. पीठ ने एडीए से तीन महीने में इन दुकानों के पुनर्वास पर रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि एडीए दुकानदारों को पुनर्वास नहीं कर सकता है तो फिर क्यों न दुकानदारों को वहीं रहने दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले में अभी पुनर्वास पर कमेटी की ओर से विचार किया जा रहा है.

ताजमहल पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह राठौर ने बताया कि सन् 1998 में ताजमहल परिसर से हमारी 71 दुकानें हटाई गईं थीं. इस पर पहले उन्हें ताजमहल के पश्चिमी गेट के पास ही आईटीडीसी रेस्टोरेंट के सामने उद्यान विभाग के टीले पर दुकान लगाने की जगह दी. तब किराया 20 रुपये मासिक था. सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2000 में ताजमहल की सुरक्षा और पॉल्यूशन को लेकर आदेश दिया तो उनकी दुकानें वहां से भी हटाई गई. फिर, एडीए ने पश्चिमी गेट की अमरूदों के टीला के पास पार्किंग से सटी जगह दी. नक्शा भी बनाया और अपनी रकम से दुकानें बनवाईं.

एडीए ने हर दुकान से 450 रुपये मासिक लाइसेंस फीस निर्धारित की. इसमें एडीए को मार्केट में बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था करनी थी, जो अभी तक नहीं हुई. सुविधाएं नहीं आने से पर्यटक आते नहीं हैं, जिससे आधी दुकानें बंद हैं. लेकिन, बीते साल एडीए की बोर्ड मीटिंग में हर दुकान की हर माह 3,000 रुपये लाइसेंस फीस निर्धारित की तो दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल थी. दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें 500 मीटर से हटाकर पश्चिमी गेट पार्किंग के पास शिफ्ट कर दिया. लेकिन, इसके एवज में तय सुविधाएं नहीं दी गईं. जबकि, पश्चिमी गेट के पास अन्य दुकानदार अभी भी 500 मीटर की परिधि में कार्य कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दुकानदारों की याचिका पर सुनवाई हुई. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार और एडीए को अधिकारियों से कहा कि पश्चिमी गेट पार्किंग मार्केट के दुकानदारों को राहत देने के लिए योजना बनानी होगी. आखिर इन दुकानदारों को कहीं शिफ्ट करना है या फिर जहां पर हैं, वहीं पर रखना है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और एडीए से पुनर्वास रिपोर्ट मांगी है. तीन महीने में रिपोर्ट देनी है. इससे दुकानदारों को राहत मिली है, जिससे उनकी दुकानों को हटाए जाने का कोई खतरा नहीं है.

यह भी पढ़ें: Atal Residential Schools In UP : जानिए यूपी में कब से शुरू होगी अटल आवासीय विद्यालयों में पढ़ाई

आगरा: व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर ताजमहल लगातार चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर ताजमहल के पश्चिमी गेट की 71 दुकानों के मामले में दुकानदारों को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में राज्य सरकार ओैर आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) से तीन महीने में पुनर्वास रिपोर्ट तलब की है. इससे एडीए अधिकारियों में खलबली मच गई है. क्योंकि, पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल ताजमहल की बाउंड्रीवॉल से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधियां बंद करने का आदेश दिया था. इससे करीब 3000 व्यवसायिक प्रतिष्ठान और 30,000 से ज्यादा लोग बेरोजगार व एक लाख की आबादी प्रभावित हो रही है. लेकिन, इस मामले में पहले ही ताजगंज क्षेत्र के लोगों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने सुनवाई में दुकानों के ताजमहल के पश्चिमी गेट से हटने पर लगाई रोक के अपने आदेश को फिलहाल बरकरार रखा है. पीठ ने एडीए से तीन महीने में इन दुकानों के पुनर्वास पर रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि एडीए दुकानदारों को पुनर्वास नहीं कर सकता है तो फिर क्यों न दुकानदारों को वहीं रहने दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले में अभी पुनर्वास पर कमेटी की ओर से विचार किया जा रहा है.

ताजमहल पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह राठौर ने बताया कि सन् 1998 में ताजमहल परिसर से हमारी 71 दुकानें हटाई गईं थीं. इस पर पहले उन्हें ताजमहल के पश्चिमी गेट के पास ही आईटीडीसी रेस्टोरेंट के सामने उद्यान विभाग के टीले पर दुकान लगाने की जगह दी. तब किराया 20 रुपये मासिक था. सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2000 में ताजमहल की सुरक्षा और पॉल्यूशन को लेकर आदेश दिया तो उनकी दुकानें वहां से भी हटाई गई. फिर, एडीए ने पश्चिमी गेट की अमरूदों के टीला के पास पार्किंग से सटी जगह दी. नक्शा भी बनाया और अपनी रकम से दुकानें बनवाईं.

एडीए ने हर दुकान से 450 रुपये मासिक लाइसेंस फीस निर्धारित की. इसमें एडीए को मार्केट में बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था करनी थी, जो अभी तक नहीं हुई. सुविधाएं नहीं आने से पर्यटक आते नहीं हैं, जिससे आधी दुकानें बंद हैं. लेकिन, बीते साल एडीए की बोर्ड मीटिंग में हर दुकान की हर माह 3,000 रुपये लाइसेंस फीस निर्धारित की तो दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल थी. दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें 500 मीटर से हटाकर पश्चिमी गेट पार्किंग के पास शिफ्ट कर दिया. लेकिन, इसके एवज में तय सुविधाएं नहीं दी गईं. जबकि, पश्चिमी गेट के पास अन्य दुकानदार अभी भी 500 मीटर की परिधि में कार्य कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दुकानदारों की याचिका पर सुनवाई हुई. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार और एडीए को अधिकारियों से कहा कि पश्चिमी गेट पार्किंग मार्केट के दुकानदारों को राहत देने के लिए योजना बनानी होगी. आखिर इन दुकानदारों को कहीं शिफ्ट करना है या फिर जहां पर हैं, वहीं पर रखना है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और एडीए से पुनर्वास रिपोर्ट मांगी है. तीन महीने में रिपोर्ट देनी है. इससे दुकानदारों को राहत मिली है, जिससे उनकी दुकानों को हटाए जाने का कोई खतरा नहीं है.

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