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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कीठम पक्षी विहार का दायरा बढ़कर हुआ 799 हेक्टेयर - कीठम पक्षी विहार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

आगरा-दिल्ली हाईवे पर कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के बाद 403 हेक्टेयर से बढ़कर 799 हेक्टेयर हो गया है.

कीठम पक्षी विहार.
कीठम पक्षी विहार.
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Published : Sep 27, 2022, 9:59 AM IST

आगरा: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आगरा-दिल्ली हाईवे पर कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा अब 403 हेक्टेयर से बढ़कर 799 हेक्टेयर हो गया है. इस आधार पर यह इको सेंसटिव जोन निर्धारित हो सकेगा.

दरअसल, शहर के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार करके यह निर्देश दिए हैं. इससे आगरा में ईको टूरिज्म की संभावनाएं बढ़ेंगी. कीठम का दायरा बढ़ने से यहां पर देसी-विदेशों पक्षियों की संख्या में भी इजाफा होगी.

राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के तहत 24 अप्रैल 2018 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 799 हेक्टेयर के सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन के संबंध में प्री-गजट नोटिफिकेशन जारी किया था. फिर, 10 अक्टूबर- 2019 को जारी फाइनल गजट में यह दायरा घटाकर 403 हेक्टेयर तक सीमित कर दिया था. इस पर खूब हंगामा हुआ. आगरा के तमाम पर्यावरणविदों ने इस पर सवाल उठाए थे.

दयालबाग निवासी पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा कम किए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. इसके साथ ही वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, निदेशक, उप निदेशक, सलाहकार इको सेंसटिव जोन, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, मंडलायुक्त आगरा, मुख्य वन संरक्षक समेत 13 अफसरों को तथ्यों के साथ शिकायत और 3 बार स्मरण पत्र भी भेजे. मगर, कहीं से भी दायरा घटाने संबंधी सवाल का जवाब नहीं दिया. इस पर पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में चले गए. उन्होंने एक याचिका दायर की. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी का गठन किया. सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने नवंबर-2021 में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी. जिसमें रिजर्व फारेस्ट ब्लॉक 380.5 हेक्टेयर व बफर जोन 15.5 हेक्टेयर को मिलाते हुए वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1772 के तहत सूर सरोवर पक्षी विहार का कुल दायरा 799 हेक्टेयर करने की सिफारिश की थी.

सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है. यही, वजह रही कि, अब राज्य सरकार ने भी इस पर अपनी सहमति जताई है. यही वजह रही कि, सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की रिपोर्ट और राज्य सरकार की सहमति पर 23 सितंबर 2022 को सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा दो गुना करने पर मुहर लगा दी है.

सीबीआई जांच में फंसेंगे कई अफसर
पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने कहा कि, सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा बढ़ा गया है. यह सत्य की जीत है. अब सीबीआई से अफसरों की कार्य प्रणाली की जांच कराने की तैयारी शुरू कर दी है. सेंचुरी का दायरा कम करने की शिकायत उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, निदेशक, उप निदेशक, सलाहकार सहित प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सहित 13 अफसरों से शिकायत की थी. इसलिए, अब अफसरों की गर्दन इसमें फंस सकती है.

इसे भी पढ़ें- जोधपुर झाल और कीठम झील की वादियां बनी मेहमान परिंदों का आशियाना

आगरा: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आगरा-दिल्ली हाईवे पर कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा अब 403 हेक्टेयर से बढ़कर 799 हेक्टेयर हो गया है. इस आधार पर यह इको सेंसटिव जोन निर्धारित हो सकेगा.

दरअसल, शहर के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार करके यह निर्देश दिए हैं. इससे आगरा में ईको टूरिज्म की संभावनाएं बढ़ेंगी. कीठम का दायरा बढ़ने से यहां पर देसी-विदेशों पक्षियों की संख्या में भी इजाफा होगी.

राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के तहत 24 अप्रैल 2018 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 799 हेक्टेयर के सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन के संबंध में प्री-गजट नोटिफिकेशन जारी किया था. फिर, 10 अक्टूबर- 2019 को जारी फाइनल गजट में यह दायरा घटाकर 403 हेक्टेयर तक सीमित कर दिया था. इस पर खूब हंगामा हुआ. आगरा के तमाम पर्यावरणविदों ने इस पर सवाल उठाए थे.

दयालबाग निवासी पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा कम किए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. इसके साथ ही वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, निदेशक, उप निदेशक, सलाहकार इको सेंसटिव जोन, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, मंडलायुक्त आगरा, मुख्य वन संरक्षक समेत 13 अफसरों को तथ्यों के साथ शिकायत और 3 बार स्मरण पत्र भी भेजे. मगर, कहीं से भी दायरा घटाने संबंधी सवाल का जवाब नहीं दिया. इस पर पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में चले गए. उन्होंने एक याचिका दायर की. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी का गठन किया. सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने नवंबर-2021 में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी. जिसमें रिजर्व फारेस्ट ब्लॉक 380.5 हेक्टेयर व बफर जोन 15.5 हेक्टेयर को मिलाते हुए वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1772 के तहत सूर सरोवर पक्षी विहार का कुल दायरा 799 हेक्टेयर करने की सिफारिश की थी.

सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है. यही, वजह रही कि, अब राज्य सरकार ने भी इस पर अपनी सहमति जताई है. यही वजह रही कि, सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की रिपोर्ट और राज्य सरकार की सहमति पर 23 सितंबर 2022 को सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा दो गुना करने पर मुहर लगा दी है.

सीबीआई जांच में फंसेंगे कई अफसर
पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने कहा कि, सूर सरोवर पक्षी विहार का दायरा बढ़ा गया है. यह सत्य की जीत है. अब सीबीआई से अफसरों की कार्य प्रणाली की जांच कराने की तैयारी शुरू कर दी है. सेंचुरी का दायरा कम करने की शिकायत उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, निदेशक, उप निदेशक, सलाहकार सहित प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सहित 13 अफसरों से शिकायत की थी. इसलिए, अब अफसरों की गर्दन इसमें फंस सकती है.

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