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ऐसा मंदिर जहां दिन में तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग, अभी तक नहीं सुलझा रहस्य

आपने भगवान शिव के कई मंदिर देखे होंगे, दर्शन भी किए होंगे, लेकिन आगरा के अनोखे राजेश्वर महादेव मंदिर (Unique Rajeshwar Mahadev Temple of Agra) के बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे. यह मंदिर कई राज समेटे हुए है, आज तक इनसे कोई भी पर्दा नहीं उठा पाया.

आगरा
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Published : Jul 10, 2023, 6:46 PM IST

Updated : Jul 10, 2023, 7:57 PM IST

मंदिर में सावन के हर सोमवार पर मेला भी लगता है.

आगरा : शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है. लगभग 900 साल पुराने इस मंदिर से लोगों की आस्था के साथ कई रहस्य भी जुड़े हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. एक सेठ ने इस शिवलिंग को ले जाने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसे हिला भी भी नहीं पाया था. यह शिवलिंग खुद से ही स्थापित है. पवित्र सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ जुटती है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. सावन के हर सोमवार पर मंदिर में मेला लगता है.

900 वर्ष पुराना है मंदिर का इतिहास : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, आगरा के शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है. यह मंदिर करीब 850 से 900 वर्ष पुराना बताया जाता है. समय-समय पर सौंदर्यीकरण के कारण इस मंदिर का स्वरूप बदलता रहा लेकिन लोगों की आस्था पहले की ही तरह इस मंदिर से जुड़ी हुई है. पूरे साल यहां पर भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं, लेकिन सावन के सोमवार पर यहां पर ज्यादा भीड़ रहती है.

मंदिर अपनी अलग खासियत के लिए विख्यात है.
मंदिर अपनी अलग खासियत के लिए विख्यात है.

भगवान शिव का आदेश न मानना सेठ को पड़ा भारी : उप सचिव के अनुसार पूर्वज बताया करते हैं कि भरतपुर के राजा खेड़ा का एक साहूकार (सेठ) नर्मदा नदी के पास बैलगाड़ी से शिवलिंग दूसरी जगह स्थापित करने के लिए ले जा रहा था. मंदिर के पास एक कुआं था. रात होने पर अक्सर यहां लोग विश्राम के लिए रुक जाया करते थे. सेठ भी यहीं पर रुक गया था. सेठ को भगवान शिव ने सपना दिखाया. कहा था कि, शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया जाए. इसके बावजूद सेठ नहीं माना. वह शिवलिंग लेकर जाने की कोशिश करने लगा. बैलगाड़ी में दो बैल थे, मजदूर धक्का लगा रहे थे. इसके बावजूद बैलगाड़ी टस से मस नहीं हुई. इससे बाद बैलगाड़ी में दो बैल और जोड़े गए, इसके बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा. सेठ शिवलिंग को हिला भी नहीं पाया. इसके बाद बैलगाड़ी से लुढ़क कर शिवलिंग यहां पर स्वयं स्थापित हो गया. इससे बाद सेठ ने चला गया.

यह भी पढ़ें : सावन में इस बार टूट गए बाबा विश्वनाथ दर्शन के सारे रिकॉर्ड, 5 करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा

सुबह से लेकर शाम तक बदलता है शिवलिंग का रंग : राजेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी रूपेश उपाध्याय बताते हैं कि, मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. सुबह मंगला आरती के समय शिवलिंग हल्के गुलाबी रंग का दिखाई देता है. इसके बाद दोपहर की आरती में बाबा महादेव का शिवलिंग हल्का नीला हो जाता है. यह नीलकंठ जैसा हो जाता है. शाम को आरती के समय शिवलिंग सफेद रंग का हो जाता है. मंदिर में सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों की भीड़ उमडती है. सोमवार को दिन भर भगवान शिव का जलाभिषेक श्रद्धालु करते हैं. देर रात 12 बजे शयन आरती कर मंदिर के द्वार बंद किए जाते हैं.

300 स्वयंसेवक संभाल रहे व्यवस्था : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव ने बताया कि मंदिर के पिछले गेट से कांवड़ियों को प्रवेश दिया जा रहा है. निकासी भी पिछले गेट से ही है. मंदिर में बेरीकेडिंग की गई है. महिला व पुरुषों की अलग-अलग लाइन है. मंदिर और मेला क्षेत्र में व्यवस्था संभालने के लिए 300 स्वयंसेवक लगाए गए हैं. राजेश्वर सेना, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता इसमें शामिल हैं. इसके साथ ही पुलिसकर्मी भी सादा कपड़ों में तैनात हैं.

यह भी पढ़ें : सावन के पहले सोमवार को बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक को निकली यादव बंधुओं की टोली, जानिए परंपरा के बारे में

मंदिर में सावन के हर सोमवार पर मेला भी लगता है.

आगरा : शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है. लगभग 900 साल पुराने इस मंदिर से लोगों की आस्था के साथ कई रहस्य भी जुड़े हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. एक सेठ ने इस शिवलिंग को ले जाने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसे हिला भी भी नहीं पाया था. यह शिवलिंग खुद से ही स्थापित है. पवित्र सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ जुटती है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. सावन के हर सोमवार पर मंदिर में मेला लगता है.

900 वर्ष पुराना है मंदिर का इतिहास : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, आगरा के शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है. यह मंदिर करीब 850 से 900 वर्ष पुराना बताया जाता है. समय-समय पर सौंदर्यीकरण के कारण इस मंदिर का स्वरूप बदलता रहा लेकिन लोगों की आस्था पहले की ही तरह इस मंदिर से जुड़ी हुई है. पूरे साल यहां पर भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं, लेकिन सावन के सोमवार पर यहां पर ज्यादा भीड़ रहती है.

मंदिर अपनी अलग खासियत के लिए विख्यात है.
मंदिर अपनी अलग खासियत के लिए विख्यात है.

भगवान शिव का आदेश न मानना सेठ को पड़ा भारी : उप सचिव के अनुसार पूर्वज बताया करते हैं कि भरतपुर के राजा खेड़ा का एक साहूकार (सेठ) नर्मदा नदी के पास बैलगाड़ी से शिवलिंग दूसरी जगह स्थापित करने के लिए ले जा रहा था. मंदिर के पास एक कुआं था. रात होने पर अक्सर यहां लोग विश्राम के लिए रुक जाया करते थे. सेठ भी यहीं पर रुक गया था. सेठ को भगवान शिव ने सपना दिखाया. कहा था कि, शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया जाए. इसके बावजूद सेठ नहीं माना. वह शिवलिंग लेकर जाने की कोशिश करने लगा. बैलगाड़ी में दो बैल थे, मजदूर धक्का लगा रहे थे. इसके बावजूद बैलगाड़ी टस से मस नहीं हुई. इससे बाद बैलगाड़ी में दो बैल और जोड़े गए, इसके बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा. सेठ शिवलिंग को हिला भी नहीं पाया. इसके बाद बैलगाड़ी से लुढ़क कर शिवलिंग यहां पर स्वयं स्थापित हो गया. इससे बाद सेठ ने चला गया.

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सुबह से लेकर शाम तक बदलता है शिवलिंग का रंग : राजेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी रूपेश उपाध्याय बताते हैं कि, मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. सुबह मंगला आरती के समय शिवलिंग हल्के गुलाबी रंग का दिखाई देता है. इसके बाद दोपहर की आरती में बाबा महादेव का शिवलिंग हल्का नीला हो जाता है. यह नीलकंठ जैसा हो जाता है. शाम को आरती के समय शिवलिंग सफेद रंग का हो जाता है. मंदिर में सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों की भीड़ उमडती है. सोमवार को दिन भर भगवान शिव का जलाभिषेक श्रद्धालु करते हैं. देर रात 12 बजे शयन आरती कर मंदिर के द्वार बंद किए जाते हैं.

300 स्वयंसेवक संभाल रहे व्यवस्था : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव ने बताया कि मंदिर के पिछले गेट से कांवड़ियों को प्रवेश दिया जा रहा है. निकासी भी पिछले गेट से ही है. मंदिर में बेरीकेडिंग की गई है. महिला व पुरुषों की अलग-अलग लाइन है. मंदिर और मेला क्षेत्र में व्यवस्था संभालने के लिए 300 स्वयंसेवक लगाए गए हैं. राजेश्वर सेना, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता इसमें शामिल हैं. इसके साथ ही पुलिसकर्मी भी सादा कपड़ों में तैनात हैं.

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Last Updated : Jul 10, 2023, 7:57 PM IST
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